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12 को उत्तर बंगाल में हड़ताल का एलान

सिलीगुड़ी : लगातार कई बैठकों के बाद चाय बागान श्रमिकों की मजदूरी वृद्धि को लेकर हुई बातचीत के विफल होने के बाद विभिन्न चाय श्रमिक संगठनों के नेताओं के सब्र का बांध टूट गया है. चाय श्रमिक संगठन के संयुक्त फोरम ने श्रमिकों की मजदूरी वृद्धि नहीं होने को लेकर इस महीने की 12 तारीख […]

सिलीगुड़ी : लगातार कई बैठकों के बाद चाय बागान श्रमिकों की मजदूरी वृद्धि को लेकर हुई बातचीत के विफल होने के बाद विभिन्न चाय श्रमिक संगठनों के नेताओं के सब्र का बांध टूट गया है. चाय श्रमिक संगठन के संयुक्त फोरम ने श्रमिकों की मजदूरी वृद्धि नहीं होने को लेकर इस महीने की 12 तारीख को उत्तर बंगाल में हड़ताल का आह्वान किया है.

शुक्रवार को एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए संयुक्त फोरम के नेता अभिजीत मजुमदार ने कहा कि चाय बागान श्रमिकों के वेतन तथा मजदूरी वृद्धि को लेकर एक अप्रैल 2014 से ही विभिन्न चाय बागान के मालिकों तथा राज्य सरकार से अपील की जा रही है. इसके बावजूद बागान प्रबंधन ने इस दिशा में कोई दिलचस्पी नहीं दिखायी है. श्रमिकों के वेतन तथा मजदूरी संबंधित समझौता 31 मार्च 2014 को ही खत्म हो गया है. उसके बाद विभिन्न चाय बागानों को नये समझौते के अनुसार श्रमिकों को वेतन व मजदूरी देनी चाहिए थी, लेकिन इस मामले में चाय बागान प्रबंधन टालमटोल का रवैया अपनाये हुए हैं. इस समस्या के समाधान में न तो राज्य सरकार और न ही केंद्र सरकार ने कोई दिलचस्पी दिखायी है. मालिक पक्ष ने हर वर्ष 12 से 15 रुपये बढ़ाने का प्रस्ताव दिया है.

बागान मालिकों का यह प्रस्ताव न्यूनतम वेतनमान देने संबंधी कानून का भी एक तरह से उल्लंघन हो रहा है. श्री मजुमदार ने कहा कि एक अप्रैल 2014 से ही नये वेतनमान निर्धारित करने को लेकर राज्य के श्रम विभाग के साथ चाय श्रमिक संगठनों, कॉर्डिनेशन कमेटी, डिफेंस कमेटी, युनाइटेड टी वर्कर्स फ्रंट के नेताओं की कई बार बैठक हुई. इन बैठकों में बागान प्रबंधन के प्रतिनिधियों ने हमेशा ही श्रमिकों की आवाज दबाने की कोशिश की. उन्होंने आरोप लगाया कि इस मुद्दे को लेकर जितनी बार भी बैठक हुई, श्रमिक संगठन के नेताओं को बागान मालिकों ने बोलने नहीं दिया. उसके बाद बागान मालिकों के साथ वेतन वृद्धि समझौता तथा आंदोलन की रूपरेखा तय करने के लिए चाय बागान के सभी श्रमिक संगठनों को लेकर एक संयुक्त फोरम का गठन किया गया.

श्री मजुमदार ने कहा कि विभिन्न चाय बागानों में बागान प्रबंधन की ओर से श्रम कानूनों का घोर उल्लंघन किया जा रहा है. चाय श्रमिकों का वेतन तो पहले से ही कम है, ऊपर से उन्हें न्यूनतम सुविधाएं भी नहीं दी जा रही हैं. इसके अलावा वेतन वृद्धि से बचने के लिए कई बागान मालिकों ने अपने चाय बागानों को बंद कर दिया है. वहां काम कर रहे श्रमिक बेकार हो गये हैं और उनके समक्ष रोजी-रोटी का संकट पैदा हो गया है. उन्होंने सभी बंद पड़े चाय बागानों को शीघ्र खोलने की मांग की. श्री मजुमदार ने कहा कि चाय बागान उत्तर बंगाल की अर्थव्यवस्था में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका अदा करते हैं. अगर चाय बागान श्रमिकों की मजदूरी नहीं बढ़ायी गयी, तो आनेवाले दिनों में और भी कई चाय बागान बंद हो जायेंगे. उत्तर बंगाल की अर्थव्यवस्था पर इसका बुरा असर पड़ेगा. उन्होंने कहा कि 11 व 12 नवंबर को चाय उद्योग में 24 घंटा बंद का आह्वान किया गया है.

इस दौरान विभिन्न चाय बागानों के साथ-साथ चाय बनाने वाली फैक्ट्रियों में भी काम नहीं होंगे. इसके अलावा 12 नवंबर को जलपाईगुड़ी, अलीपुरद्वार व दाजिर्लिंग जिले के साथ-साथ इसलामपुर व मेखलीगंज महकमा में 12 घंटे बंद का भी आह्वान किया गया है. संवाददाता सम्मेलन में अन्य चाय श्रमिक संगठनों के नेता भी उपस्थित थे.

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