कालचीनी : डुआर्स के बंद बागानों स्थिति ने भयंकर रूप धारण कर लिया है. जहां चिकित्सा के अभाव में श्रमिकों की मौत का सिलसिला बढ़ता जा रहा है. इस पर पूर्णविराम लगने का नाम ही नहीं ले रहा. आये दिन लगातार हो रहे इस तरह की घटना से डुआर्स के चाय बागानों में हलचल मचा हुआ है. सोमवार की शाम फिर डुआर्स के बंद राईमाटांग चाय बागान में एक श्रमिक की मौत हो गयी. परिजनों ने कहा कि इलाज के लिए बाहर ले जाने के लिए हाथ में पैसे नहीं थे.
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बंद बागानों की स्थिति भयावह, इलाज के अभाव में श्रमिक की मौत
कालचीनी : डुआर्स के बंद बागानों स्थिति ने भयंकर रूप धारण कर लिया है. जहां चिकित्सा के अभाव में श्रमिकों की मौत का सिलसिला बढ़ता जा रहा है. इस पर पूर्णविराम लगने का नाम ही नहीं ले रहा. आये दिन लगातार हो रहे इस तरह की घटना से डुआर्स के चाय बागानों में हलचल मचा […]
प्राप्त जानकारी के अनुसार अलीपुरदुआर जिले के कालचीनी प्रखंड स्थित राईमाटांग चाय बागान में नीलकुमार तामांग नामक एक श्रमिक की मौत हो गयी. उनके परिवार के सदस्यों के मुताबिक वे विगत कुछ महीने से बीमार पड़े हुए हैं. पहले उन्हें उत्तर लाताबाड़ी ग्रामीण अस्पताल ले जाया गया था. फिर उन्हें बाहर ले जाने के कहा गया, लेकिन उनके परिवार वालों के हाथ मे उतने पैसे नही थे कि वे उन्हें बाहर ले जा पाए. बाध्य होकर घर पर लाचार पड़े चिकित्सा के आभाव में जिंदगी और मौत के बीच लड़ते-लड़ते श्रमिक निलकुमार तामांग की मौत हो गई. इस घटना से पूरे राईमाटांग चाय बागान में शोक की लहर हैं.
उल्लेखनीय है कि ‘द बाक्सा डुआर्स टी कंपनी लिमिटेड’ के अंतर्गत कालचीनी और राईमाटांग चाय बागान विगत 26 अक्टूबर से बंद हैं. बागान बंद होने के पश्चात यहां के श्रमिकों की स्थिति अत्यंत खराब हो चुकी है. पेट के जुगाड़ के लिए कितने श्रमिक बागान छोड़ पलायन कर रहे हैं. विद्यार्थी युवा काम की तलाश में पढ़ाई-लिखाई छोड़ इधर-उधर भटक रहे हैं.
यहां के श्रमिक किसी तरह बागान खुलने की आस में दिन में तीन बार की जगह एक बार खाकर दिन यापन करने पर विवश है. वहीं बताया गया कि इससे पहले भी बागान में बगैर पैसे व चिकित्सा के अभाव में लगभग आठ श्रमिकों की मौत हो चुकी है. जब तक बागान नहीं खुलेगा, तब तक श्रमिकों के मौत के सिलसिला पर पूर्णविराम नहीं लगने वाला. इस विषय पर मृतक श्रमिक की पत्नी माइली तामांग ने बताया कि मेरा पति बागान के अस्पताल में माली का काम किया करता था.
बागान बंद होने के कुछ दिन पहले से वे रोग से पीड़ित थे. जिसके पश्चात हम उन्हें अपने नजदीकी अस्पताल ले गए. जहां से बेहतर इलाज के लिए उन्हें कहीं बाहर ले जाने को कहा गया. इसी बीच बागान बंद हो गया और हमारे हाथ में इतने पैसे नहीं थे कि हम उन्हें कहीं बाहर ले जा सके.
उन्होंने कहा कि बागान बंद होने के बाद हमारे घर में खाने-पीने का अभाव है तो उनका इलाज हम कैसे कर पाते. मृतक के परिजनों ने बताया कि हमलोग अब ऐसी स्थिति में पहुंच रहे हैं कि ना हमारे पास खाने का ना उपचार करने का सटीक पैसा है. हमलोग बेहद ही गंभीर अवस्था में पड़ चुके हैं, क्योंकि हमारा चाय बागान बंद हैं.
जिसके बावजूद भी हमारे लिए किसी प्रकार की व्यवस्था नहीं. उन्होंने कहा कि अगर हमारा बागान बंद ना हुआ होता और हमारे हाथ में पैसे होते तो हमारे परिवार का सदस्य आज हमारे साथ होता. इस विषय में राईमाटांग चायबगान के समाजसेवी बंदना मुंडा ने बताया कि हमारे कालचीनी और राईमाटांग दोनों चाय बागान के बंद हुए आज चार महीने होने जा रहे हैं. इसके चलते आज यहां ट्रिटमेंट के अभाव में श्रमिकों के इलाज में कमी आ रही है.
उन्होंने कहा कि आर्थिक अवस्था की कमी के चलते श्रमिक सही जगह पर इलाज करने नहीं पहुंच पा रहे हैं. जिसके वजह से आज हमारे दोनों बागानों को मिलाकर लगभग 8 से 10 श्रमिकों की मृत्यु हो चुकी है. उन्होंने कहा कि अगर बागान ऐसे ही बंद रहा तो यहां श्रमिकों के मौत का सिलसिला नहीं रुकने वाला एवं इसका नतीजा बेहद गंभीर होगा.
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