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फूल मेला में आकर्षण का केंद्र बना साढ़े चार फुट का गागर पेड़

मेला में फूल व सब्जियों के लगाये गये 82 स्टॉल सिलीगुड़ी : कंचनजंघा स्टेडियम के मेला मैदान में सिलीगुड़ी हॉर्टिकल्चर सोसायटी के तत्वाधान में आयोजित फुल मेला का आकर्षण साढ़े चार फुट का गागर का पेड़ है. उस छोटे पेड़ में लगे चार-पांच गागर लोगों को अपनी ओर आकर्षित कर रहा है. फूल मेले में […]

मेला में फूल व सब्जियों के लगाये गये 82 स्टॉल

सिलीगुड़ी : कंचनजंघा स्टेडियम के मेला मैदान में सिलीगुड़ी हॉर्टिकल्चर सोसायटी के तत्वाधान में आयोजित फुल मेला का आकर्षण साढ़े चार फुट का गागर का पेड़ है. उस छोटे पेड़ में लगे चार-पांच गागर लोगों को अपनी ओर आकर्षित कर रहा है. फूल मेले में आने वाले पर्यटक गागर पेड़ के साथ सेल्फी लेने में व्यस्त हैं. खास बात है कि बालुरघाट निवासी 65 वर्षीय रिटायर पीडब्ल्यूडी विभाग के इंजीनियर ने तीन वर्षों में इस पेड़ को तैयार किया है. उस पेड़ को तैयार करने में जैविक खाद का उपयोग किया गया है.

36 वे फुल मेले में पूरे उत्तर बंगाल, पहाड़ समतल से कुल 82 नर्सरी अपने रंग बिरंगे फूलों के स्टॉल को लेकर पहुंचे हैं. उस मेले में फुल के अलावे विभिन्न प्रकार की सब्जी तथा फलों के भी कई स्टॉल लगाये गये हैं. केवल सिलीगुड़ी ही नहीं, बल्कि दार्जिलिंग, पहाड़, सिक्किम से विभिन्न काम के सिलसिले में सिलीगुड़ी आने वाले लोग इस मेले में आकर खरीदारी कर रहे हैं.

आयोजकों का कहना है कि सुबह से मेला प्रांगण में लोगों का आगमन शुरू हो जाता है. शाम होते होते मेला मैदान लोगों की भीड़ से गुलजार हो उठता है. यहां ये भी बताते चले कि फूल मेले में 80 किस्म के 249 फूलों की प्रदर्शनी भी लगायी गयी है.

केवल गागर का पेड़ ही नहीं, बल्कि वहां ऐसे कई सब्जी व फल के पेड़ है जो लोगों को अपनी ओर आकर्षित कर रहा है. गागर पेड़ को तैयार करने वाले उत्तर दिनाजपुर जिले के बालुरघाट चकभवानी इलाके के निवासी रिटायर पीडब्ल्यूडी के इंजीनियर निखील चंद्र दास(65) ने बताया कि कई दशकों से वे इस काम को कर रहे हैं. घर के छत पर ही उन्होंने एक बागीचा तैयार किया है.

जहां वे इस प्रकार के शोध करते रहते हैं. उन्होंने बताया कि इस पेड़ को गमले में तैयार कर उसे फल देने लायक बनाने में तीन वर्ष का समय लगा है. इसके साथ छत पर उन्होंने संतरा, मौसंबी व अन्य कई फलों के पौधे को इसी तरीके से तैयार किया है. उन्होंने बताया कि सिलीगुड़ी ही नहीं वे अपने इस कलाकारी के चलते कोलकाता व अन्य बड़े शहरों में जा चुके हैं. जहां लोगों द्वारा उनकी कलाकारी को काफी सराहना मिल चुकी है.

वहीं सिलीगुड़ी हॉर्टिकल्चर सोसायटी के महासचिव प्रसेनजीत सेन ने बताया कि उत्तर बंगाल फूल मेला इस क्षेत्र का सबसे बड़ा फूल मेला है. उन्होंने बताया कि मेले में पहाड़ का आर्किड, कैक्टस, जेनापियम के साथ समतल का सिजनल फूल चंद्रमल्लिका, डालिया, पिटूनिया, मैरीगोल्ड तथा विभिन्न प्राकर के फल व सब्जी के पौधे लोगों को आकर्षित कर रहे हैं.

उन्होंने बताया कि इसके लिए कई अलग अलग स्टॉल भी लगाये गये है. मेले में 80 किस्म के 249 फूलों को एक कैटेगरी में रखा गया है. उन्होंने बताया गत वर्ष फूल मेले में दो करोड़ की आय हुई थी. लेकिन जिस तरीके से फुल मेले में लोगों का आगमन हो रहा है. इससे उन्हें लगता है कि इस बार यहां से 3 करोड़ का व्यापार होगा.

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