नागरकाटा : नागराकाटा ब्लॉक स्थित लुकसान बजार में सिंगापुरी लीची फल का उत्पादन होने से स्थानीय लोग आश्चर्यचकित हो गए हैं. इस विचित्र फल को देखने के लिए विभिन्न जगह से लोगों का भीड़ उमड़ने लगी है. घर के मालिक, शिक्षक एवं ग्राम पंचायत सदस्य उत्तम बरूआ ने कृषि विभाग को इस पर विशेष ध्यान देने की मांग की है.
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ग्राम पंचायत सदस्य के घर उत्पादन हो रहा सिंगापुरी लीची
नागरकाटा : नागराकाटा ब्लॉक स्थित लुकसान बजार में सिंगापुरी लीची फल का उत्पादन होने से स्थानीय लोग आश्चर्यचकित हो गए हैं. इस विचित्र फल को देखने के लिए विभिन्न जगह से लोगों का भीड़ उमड़ने लगी है. घर के मालिक, शिक्षक एवं ग्राम पंचायत सदस्य उत्तम बरूआ ने कृषि विभाग को इस पर विशेष ध्यान […]
लुकसान में होने वाला यह सिंगापुर लीची स्थानीयवासियों को आश्चर्य और हैरान कर दिया है. वैसे भी डुआर्स में लीची पैदा होने का समय बीत चुका है. लेकिन इस मौसम में उत्तम बरूआ की जमीन पर उत्पादित लीची हर किसी को आकर्षित कर रहा है.
उत्तम बरूआ ने बताया कि प्रतिदिन लीची को देखने और स्वाद लेने के लिए काफी लोगों का घर में आने-जाने का क्रम लगा रहता है. वृक्ष में फल पिछले 2 वर्षों से लगने लगा है. लेकिन इस वर्ष वृक्ष पर ज्यादा फल लगने के कारण लोगों को काफी आकर्षित कर रहा है.
यहां होने वाला लीची से सिंगापुरी लीची का स्वाद और इसकी आकार में काफी भिन्नता है. लीची का आकार देखने पर बच्चों का खिलौना तथा प्लास्टिक बॉल जैसा दिखाई पड़ता है. लेकिन अंदर का फल रस से भरा हुआ रहता है. बीज को देखने पर में कटहल के बीज की तरह दिखाई पड़ता है. बरूआ ने कहा कि मेरी साली सिंगापुर में रहती है.
साली जब घर आयी थी तो खाने के लिए वहां से लीची लेकर आई थी. लेकिन काफी दिनों पड़ा रहने के बाद लीची सड़ गया. उस सड़े हुए लीची में अंकुर निकला हुआ था. उसी बीज को मैंने जमीन पर लगाया था. इसे लगाने के तीन साल बाद उसमें से फल पैदा होने लगा. वृक्ष ने जब फल देना शुरु क्या तो पहले का एक-दो वर्ष ज्यादा फल नहीं लगा.
लेकिन इस साल ज्यादा फल लगा है. ज्यादा फल लगने के कारण लोगों को ज्यादा आकर्षित कर रहा है. प्रथम वर्ष जब पेड़ में फल लगा तो उसे देखकर हम सभी डर गए थे. फल विचित्र आकार का था. लीची का स्वाद भी बहुत स्वादिष्ट और अच्छा है.
साधारणता देखा जाता है यहां पैदा होने वाले फल पर पक्षी काफी आकर्षित होते हैं. पक्षी फल का आधा हिस्सा को खाकर नष्ट कर देते हैं. लेकिन आज तक एक भी पक्षी ने इस फल को नहीं खाया है. उन्होंने बताया कि फल का आकार अलग तरह का होने के कारण पक्षी इसे पहचान नहीं पाए होंगे.
उन्होंने कहा मैं खुद भी एक ग्राम पंचायत सदस्य हूं. इस विषय पर कृषि विभाग को ध्यान आकर्षण कराऊंगा. मुझे लगता है कि इस फल के लिए यहां की जमीन उपयुत्त है. यदि इस फल को हमारे क्षेत्र में लगाया गया तो अवश्य कृषक इसका लाभ उठा सकते है.
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