सिलीगुड़ी : चाय बागान श्रमिकों की वर्षों पुरानी न्यूनतम मजदूरी की मांग को लेकर श्रमिक संगठनों के ज्वाइंट फोरम ने फिर से आंदोलन की आवाज बुलंद की है. इसी के साथ ज्वाइंट फोरम ने जुलाई के अंत तक बागान श्रमिकों के न्यूनतम मजदूरी की घोषणा करने का अल्टीमेटम राज्य सरकार को दिया.
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न्यूनतम मजदूरी को लेकर ज्वाइंट फोरम की चेतावनी
सिलीगुड़ी : चाय बागान श्रमिकों की वर्षों पुरानी न्यूनतम मजदूरी की मांग को लेकर श्रमिक संगठनों के ज्वाइंट फोरम ने फिर से आंदोलन की आवाज बुलंद की है. इसी के साथ ज्वाइंट फोरम ने जुलाई के अंत तक बागान श्रमिकों के न्यूनतम मजदूरी की घोषणा करने का अल्टीमेटम राज्य सरकार को दिया. अन्यथा 19 अगस्त […]
अन्यथा 19 अगस्त से पूरे उत्तर बंगाल में जोरदार आंदोलन की हुंकार भरी है. अविलंब न्यूनतम मजदूरी की घोषणा करने की मांग को लेकर ज्वाइंट फोरम राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से मुलाकात की गुहार लगायी है
घटक दलों के साथ बैठक के बाद रविवार की दोपहर हिलकर्ट रोड स्थित किसान भवन में पत्रकारों को संबोधित करते हुए ज्वाइंट फोरम के संयुक्त सचिव जियाउल आलम ने बताया कि न्यूनतम मजदूरी सलाहकार समिती ने भी वर्ष 2018 के दिसंबर महीने में रिपोर्ट राज्य सरकार के पास जमा करा चुकी है. लेकिन इसके सात महीने बाद भी राज्य सरकार खामोश है. डंकन्स, एलकेमिस्ट सहित उत्तर बंगाल के 24 चाय बागान वर्षों से बंद पड़े हैं.
इन्हें खोलने की दिशा में राज्य व केंद्र सरकार की कोई सकारात्मक कदम अभी तक दिखाई नहीं दिया है. चाय बागान के स्टॉफ व सब स्टॉफ के मासिक वेतन में राज्य सरकार ने अंतरिम बढोत्तरी कर वेतन बढ़ाने का नोटिस जारी किया, लेकिन मालिक पक्ष ने बड़ी ही सफाई से राज्य के श्रम विभाग को भ्रमित कर उसे भी लागू नहीं किया.
जियाउल आलम ने कहा कि मालिक पक्ष न्यूनतम मजदूरी के बदले फिर त्रिपक्षीय बैठक के माध्यम से अंतरिम वेतन बढोत्तरी की साजिश में जुटा है. लेकिन अब बागान श्रमिकों के सब्र का बांध टूटने के कगार पर है. जुलाई के अंत तक राज्य सरकार को न्यूनतम मजदूरी की घोषणा करनी होगी. अन्यथा 19 अगस्त से बागान श्रमिक के आंदोलन का रूख स्थिति तय करेगी.
आंदोलन की रूप रेखा तैयार करने के लिए तराई व डुआर्स के चाय बागानों में श्रमिकों के साथ गेट मीटिंग किया जायेगा. 26 जुलाई को दार्जिलिंग में बागान श्रमिक संगठनों के साथ बैठक करने का निर्णय लिया गया है. निर्धारित समय सीमा के भीतर न्यूनतम मजदूरी की घोषणा नहीं होने पर 1 अगस्त को सरकारी कार्यालय के बाहर धरना प्रदर्शन किया जायेगा.
लोकसभा चुनाव के बाद चाय बागान श्रमिक संगठनो के ज्वाइंट फोरम के आक्रामक रूख से राजनीतिक हलकों में खलबली मच गयी है. राजनीतिक विशेषज्ञों की माने को बीते लोकसभा चुनाव में उत्तर बंगाल की जमीन तृणमूल के पैरों तले से खिसक गयी है.
तृणमूल उस जमीन को वापस पाने के लिए हर मुमकिन कोशिश करेगी. इसी मौके का फायदा उठाकर ज्वाइंट फोरम बागान श्रमिकों के न्यूनतम मजदूरी की मांग को सामने रखकर तृणमूल को न्योता दिया है.
इधर, दूसरी तरफ हमेशा से ज्वाइंट फोरम के खिलाफ खड़ा रहने वाली तृणमूल समर्थित तराई डुआर्स प्लांटेशन वर्कर्स यूनियन भी अगले आंदोलन में समर्थन को तैयार हुई है. इसकी पुष्टि ज्वाइंट फोरम से संयुक्त सचिव जियाउल आलम ने स्वयं की है. वहीं इस राजनीतिक पेच को समझकर भाजपा समर्थित चाय बागान श्रमिक संगठन ज्वाइंट फोरम से दूर होती नजर आ रही है.
फिलहाल ज्वाइंट फोरम में 29 घटक दल हैं. लेकिन आज की बैठक में भाजपा श्रमिक संगठन के प्रतिनिधि उपस्थित नहीं हुए. आज की बैठक में ज्वाइंट फोरम के संयुक्त सचिव मणि कुमार दर्नाल, सीटू नेता समन पाठक, आइएनटीयूसी नेता आलोक चक्रवर्ती सहित अन्य उपस्थित थे.
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