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एनआरसी के जरिये गोर्खाओं को विदेशी बनाने में जुटी भाजपा : विनय

गोरखाओं के त्याग और बलिदान को महत्व नहीं देने का लगाया आरोप अपने स्वार्थ के लिए एनआरसी लागू करने पर तुली भाजपा दार्जिलिंग :भारतीय जनता पार्टी एक ओर जहां गोरखाओं के जातीय पहचान की बात कर रही है वहीं दूसरी तरफ एनआरसी के जरिये जातीय पहचान पर सवाल खड़ा करके विदेशी होने का संज्ञा देने […]

गोरखाओं के त्याग और बलिदान को महत्व नहीं देने का लगाया आरोप

अपने स्वार्थ के लिए एनआरसी लागू करने पर तुली भाजपा

दार्जिलिंग :भारतीय जनता पार्टी एक ओर जहां गोरखाओं के जातीय पहचान की बात कर रही है वहीं दूसरी तरफ एनआरसी के जरिये जातीय पहचान पर सवाल खड़ा करके विदेशी होने का संज्ञा देने का कार्य कर रही है. उक्त बातें गोरखा जनमुक्ति मोर्चा के अध्यक्ष विनय तमांग ने कही है.एक प्रेस विज्ञप्ति जारी करके श्री तमांग ने कहा कि भारतीय गोरखाओं के देश के प्रति त्याग और बलिदान के महत्व को केंद्र सरकार दरकिनार कर रही है.

श्री तमांग ने कहा कि देश रक्षक गोर्खाओं को बार-बार विदेशी की नजर से देखा जा रहा है. कई बार भारत-नेपाल संधी के आधार पर विदेशी का आरोप लगाया गया है. इतना सबकुछ करने के बावजूद भी आज एनआरसी की बातें की जा रही है. विनय तमांग ने आरोप लगाते हुए कहा कि एनआरसी के माध्यम से गोरखाओं को अधिकारिक रूप से विदेशी होने का प्रमाण देने में भारत सरकार लगी हुई है. असम के गोरखाओं पर एनआरसी के जरिये विदेशी बनाने का कार्य किया जा रहा है.

असम के गोरखाओं के साथ भेदभाव किया जा रहा है. गोजमुमो अध्यक्ष ने कहा कि स्वतंत्रता सेनानी छविलाल उपाध्याय के परिजनों को डी वोटर की सूची में शामिल किया गया. इसी तरह से शहीद महिला बैजंती देवी के परिवार को भी एनआरसी ने अयोग्य ठहराया है. बैजंती देवी देश के स्वतंत्रता आंदोलन में शहीद हुई थी. केंद्र सरकार के इस कार्य का हमलोग विरोधकरते हैं.

श्री तमांग ने कहा कि लोकसभा चुनाव के दौरान भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं गृह मंत्री अमित शाह ने बंगाल में एनआरसी लागू करने की बात खुले तौर पर कही थी. भाजपा ने अपने राजनीतिक स्वार्थ के लिए एनआरसी लागू करने को तैयार है. जैसे असम के गोर्खाओं पर एनआरसी का प्रभाव पड़ा है, उसी तरह से दार्जिलिंग और तराई-डुआर्स क्षेत्र के गोर्खाओं पर प्रभाव पड़ सकता है.

भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने गोर्खाओं पर एनआरसी से कोई असर नहीं पड़ने की जो बात कही थी, वह केवल अफवाह है. असम के 30 गोर्खाओं का पिछले 26 जून के एनआरसी के सूची में 1 लाख से अधिक गोर्खाओं का नाम ही नहीं है. यह छोटी बात नहीं है. दार्जिलिंग से निर्वाचित भाजपा सांसद और विधायक ने इस बार क्या-क्या काम किया है, अध्यक्ष तामांग ने सवाल उठाया.

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