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रेड बैंक चाय बागान खुलने के नहीं दिख रहे आसार

धूपगुड़ी : लोकसभा चुनाव 2019 को लेकर सत्ता से लेकर विपक्ष तक इन दिनों प्रचार कार्य में व्यस्त हैं. लेकिन बंद चाय बागानों के बेरोजगार और बदहाली के शिकार श्रमिकों का हाल जानने की शायद ही किसी को भी फुर्सत मिली हो. ऐसा लगता है कि चुनावी बिगुल के बीच इन लाचार और बेबस श्रमिकों […]

धूपगुड़ी : लोकसभा चुनाव 2019 को लेकर सत्ता से लेकर विपक्ष तक इन दिनों प्रचार कार्य में व्यस्त हैं. लेकिन बंद चाय बागानों के बेरोजगार और बदहाली के शिकार श्रमिकों का हाल जानने की शायद ही किसी को भी फुर्सत मिली हो.

ऐसा लगता है कि चुनावी बिगुल के बीच इन लाचार और बेबस श्रमिकों की पीड़ा दब गयी है. उल्लेखनीय है कि रेड बैंक चाय बागान के राज्य सरकार द्वारा अधिग्रहण के बाद भी विगत तीन माह के भीतर बंद बागान के छह श्रमिकों की मौत हो चुकी है.
प्रशासन का कहना है कि इन श्रमिकों की मौत शराब पीने की वजह से हुई है. लेकिन श्रमिक नेताओं का कहना है कि जिन श्रमिकों के पास दो वक्त के भोजन के लिये पर्याप्त रुपये नहीं हैं वे शराब के लिये पैसे कहां से लायेंगे भला.
उनके अनुसार दरअसल, ये मौतें विगत एक दशक से हो रही हैं जिसकी प्रमुख वजह कुपोषण और उनसे उपजी बीमारियां हैं. चाय बागान के अस्पताल की पंजिका के अनुसार जनवरी 2019 से लेकर 21 मार्च के बीच छह श्रमिकों की मौत की घटनायें दर्ज हैं.
मृत श्रमिकों के नाम हैं, पंचम उरांव (43), जय बहादुर थापा (61), सरिता छेत्री (38), उतेन शबर (69), रामप्रसाद नायक (46) और राजकुमार महाली (39). श्रमिकों की इस असमय मौत के बारे में धूपगुड़ी ब्लॉक प्रशासन ने कोई मंतव्य नहीं किया है.
चाय श्रमिक नेता राजू गुरुंग ने बताया कि यह सही है कि राज्य सरकार अपनी क्षमता के अनुसार राहत देने के लिये कोशिश कर रही है. योजना के तहत बंद बागान के श्रमिकों को दो रुपये किलो की दर से चावल दिया जा रहा है
. पेयजल की व्यवस्था की गयी है. इन्हें सरकारी भत्ता फाउलाई के 1500 प्रति माह मिल रहे हैं. उन्हें मनरेगा योजना के तहत काम भी दिया जा रहा है.
पहले से श्रमिकों की हालत में सुधार है. लेकिन हालात पूरी तरह बदल गये हों यह भी नहीं कहा जा सकता है. असमय मौत का कारवां आज भी बदस्तूर जारी है. अतिरिक्त आय के लिये महिलायें नदी में पत्थर तोड़ने का भी काम कर रही हैं.
वहीं, जलपाईगुड़ी लोकसभा केंद्र से कांग्रेसी प्रत्याशी और वरिष्ठ चाय श्रमिक नेता मणि कुमार दर्नाल ने कहा कि चाय बागान के श्रमिकों को ठीक से खाना नसीब नहीं हो रहा है. काम नहीं मिलने से वे अन्य राज्यों को जा रहे हैं.
राज्य सरकार बंद बागानों को खोलने की दिशा में कोई पहल नहीं कर रही है. भरपेट खाना नहीं मिलने से यहां के श्रमिक कुपोषण से पीड़ित होकर असमय ही मौत के मुंह में समा रहे हैं.

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