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अस्पतालों में गहराया रक्त संकट

पार्टी के बैनर तले रक्तदान की अनुमति नहीं पॉजीटिव के मुकाबले निगेटिव ग्रुप कीभारी किल्लत सिलीगुड़ी : इस चुनावी मौसम में रक्त संकट ने गंभीर रूप धारण कर लिया है. किसी पार्टी के बैनर तले अस्पतालों में रक्तदान की अनुमति नहीं है. इसके अलावा चुनाव प्रचार में लगे होने के कारण विभिन्न पार्टियों के कार्यकर्ता […]

पार्टी के बैनर तले रक्तदान की अनुमति नहीं

पॉजीटिव के मुकाबले निगेटिव ग्रुप कीभारी किल्लत
सिलीगुड़ी : इस चुनावी मौसम में रक्त संकट ने गंभीर रूप धारण कर लिया है. किसी पार्टी के बैनर तले अस्पतालों में रक्तदान की अनुमति नहीं है. इसके अलावा चुनाव प्रचार में लगे होने के कारण विभिन्न पार्टियों के कार्यकर्ता भी अस्पताल परिसर के इतर रक्तदान शिविर लगाने में दिलचस्पी नहीं दिखा रहे हैं. जसकी वजह से रक्त की समस्या बढ़ती जा रही है. ऐसे भी प्रत्येक वर्ष इस महीने में रक्त संकट होता है. परंतु चुनाव में रक्तदान शिविर आयोजित नहीं होने के कारण यह गंभीर हो गया है.
सिलीगुड़ी जिला अस्पताल में पॉजिटिव रक्त ग्रुप के मुकाबले नेगेटिव ग्रुप के रक्त की भारी कमी है. इस समस्या पर अस्पताल प्रबंधन ने कहा कि यदि बिना किसी राजनीतिक पार्टी के बैनर तले रक्तदान शिविरों का आयोजन होता है उसमें अवश्य सहयोग करेंगे.सरकारी स्वास्थ्य व्यवस्था में सुधार की कोशिश राज्य सरकार लगाता कर रही है. रोगियों की सुविधा के लिए सिलीगुड़ी जिला अस्पताल में 24 घंटे इमरजेंसी विभाग चालू करने के साथ ही ब्लड बैंक की भी स्थापना की गयी. यहां रोगियों के लिए हर वक्त रक्त उपलब्ध करने की बात कहीं गई थी. जबकि सोमवार को सिलीगुड़ी जिला अस्पताल के ब्लड बैंक का आलम कुछ और ही था.
जिला अस्पताल में डेली ब्लड स्टॉक रिपोर्ट में ‘ए’ पॉजिटिव 2 उसके मुकाबले नेगेटिव 0 था. जबकी ‘बी’ पॉजिटिव12 तथा नेगेटिव 0, ‘ओ’ पॉजिटिव रक्त 2 एंव नेगेटिव 2, ‘एबी’ पॉजिटिव 2 उसके मुकाबले नेगेटिव 0 था. आरोप है कि जरुरत पड़ने पर रोगियों को रक्त के लिए काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है. आरोप तो यहां तक है कि अस्पताल में रक्त होने के बाद भी बाहर से मोटी रकम देकर रक्त की व्यवस्था करनी पड़ती है.
इस विषय पर अस्पताल अधीक्षक डॉ अमिताभ मंडल ने बताया कि रोजाना ब्लड स्टॉक रिपोर्ट तैयार होता है. लोकसभा चुनाव के चलते आचार संहिता लागू है. वे किसी भी राजनीतिक पार्टी के बैनर तले आयोजित होने वाले रक्तदान शिविर में हिस्सा नहीं ले सकते हैं. यदि कोई सामाजिक संगठन बगैर किसी राजनीतिक बैनर के रक्तदान शिविरों का आयोजन करती है तो वे अवश्य अपनी भागीदारी देंगे.
रक्त को लेकर रोगियों को होने वाली समस्या पर श्री मंडल ने कहा कि अस्पताल में भर्ती किसी भी रोगी को रक्त की आवश्यकता होती है तो उसे मुहैया करवाने की जिम्मेदारी अस्पताल प्रबंधन की है. अगर कोई नार्सिंग होम का केस उनके पास आता है तो वे उसमें कुछ नहीं कर सकते हैं.

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