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हाई स्कूल के निर्माण का काम अटका, मंजूरी के तीन साल बाद भी प्रशासन की कोई पहल नहीं

सिलीगुड़ी : शिक्षा विभाग की अनुमति के तीन वर्ष बाद भी जूनियर हाइस्कूल निर्माण अधर में लटका हुआ है. अबतक एक एक इंट गाड़ने का काम भी नहीं हुआ है. तीन वर्ष बाद भी विद्यालय का निर्माण नहीं होने से इलाकाई लोग आंदोलन की तैयारी कर रहे हैं. स्थानीय लोगों ने निर्माण कार्य नहीं होने […]

सिलीगुड़ी : शिक्षा विभाग की अनुमति के तीन वर्ष बाद भी जूनियर हाइस्कूल निर्माण अधर में लटका हुआ है. अबतक एक एक इंट गाड़ने का काम भी नहीं हुआ है. तीन वर्ष बाद भी विद्यालय का निर्माण नहीं होने से इलाकाई लोग आंदोलन की तैयारी कर रहे हैं. स्थानीय लोगों ने निर्माण कार्य नहीं होने को लेकर आरटीआई लगायी है.
साथ ही जिला स्कूल निरीक्षक से भी इसकी शिकायत की गयी है. यह मामला सिलीगुड़ी से सटे जलपाईगुड़ी जिला अंतर्गत गाजलडोबा स्थित टाकीमारी इलाके का है. राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के सपनो की परियोजना प्राकृतिक सौंदर्य से भरपूर ‘भोरेर आलो’ इसी गाजलडोबा में है. वहीं गाजलडोबा से सटे एक गांव में उच्च शिक्षा के लिए हाई स्कूल तक नहीं है.जबकि स्कूल बनाने की मंजूरी सरकार ने पहले ही दे दी है.
उच्च शिक्षा के लिए बच्चे जाते हैं पांच किमी दूर
मिली जानकारी के अनुसार जलपाईगुड़ी जिले के राजगंज ब्लॉक व सदर ब्लॉक के सात ग्राम संसदो में एक भी उच्च माध्यमिक, माध्यमिक या जूनियर हाई स्कूल नहीं है. यहां प्रत्येक ग्राम संसदों में एक के हिसाब से सात प्राथमिक विद्यालय, 2 शिशु शिक्षा केंद्र, व बांग्ला माध्यम के 4 नर्सरी स्कूल ही हैं. उच्च शिक्षा के लिए यहां कोई हाई स्कूल नहीं है.
प्राथमिक विद्यालय के बाद हाई स्कूल के लिए इन सात गांवो के छात्र-छात्राओं को 5 से 10 किलोमीटर दूर स्थित मंतादारी हाई स्कूल जाना होता है. इलाकाई लोग पिछले काफी लंबे समय से सात गांव के बीच में एक हाई स्कूल की मांग कर रहे हैं. इलाकावासियों की मांग के अनुसार राज्य शिक्षा विभाग ने फरवरी 2015 को टाकीमारी में एक जूनियर हाई स्कूल बनाने का निर्देश दिया.
शिक्षा विभाग के इस निर्देशि का तीन वर्ष गुजरने के बाद भी टाकीमारी में जूनियर हाई स्कूल का निर्माण नहीं हुआ. स्कूल निर्माण के लिए एक पत्थर तक नहीं गाड़ा गया है. स्कूल बनाने की मंजूरी के बाद भी इलाकाई लोग नेता-मंत्री से गुहार लगाते फिर रहे हैं. इलाकावासियों का आरोप है कि टाकीमारी से मंतादारी हाई स्कूल 5 किलोमीटर दूर है.
बल्कि टाकीमारी के पीछे भी कई गांव हैं जहां से छात्र मंतादारी हाई स्कूल में पढ़ने आते हैं. गांव से विद्यालय की दूरी इतनी अधिक है कि चौथी पास करने वाले छात्र-छात्राओं के लिए आना-जाना कठिन है. इसके अतिरिक्त मंतादारी हाई स्कूल जाने का रास्ता वैकुंठपुर जंगल के बीच से होकर जाता है. रास्ते में कई जगह हाथियों का कोरीडोर है. हाथी व अन्य जंगली जानवरों के हमले की कई घटनाएं भी घट चुकी है. दूरी की वजह से छात्राओं के साथ छात्रों की शिक्षा भी बाधित हो रही है.
मंतादारी हाई स्कूल के अलावा दूसरा गाजलडोबा और पांचीराम नाहाटा हाई स्कूल है. टाकीमारी से इन स्कूलों की दूरी करीब 15 किलोमीटर है. लेकिन इन स्कूलों को जाने वाली सड़कों पर यात्री वाही गाड़ियां नहीं के बराबर चलती है. सामान ढोने वाली पिकअप या ट्रकों में लदकर छात्र-छात्राओं को स्कूल जाना होता है. बीते दो सप्ताह में इस सड़क पर हुए हादसों में 17 से अधिक छात्र-छात्राएं घायल हुए हैं.
स्थानीय लोगों ने दी आंदोलन की धमकी
ऐसी परिस्थिति में इलाकावासी व बाजार कमेटी ने हाई स्कूल निर्माण की मांग को लेकर जोरदार आंदोलन का निर्णय लिया है. टाकीमारी बाजार कमेटी के सचिव अंकुर दास ने बताया कि इस वर्ष के समाप्त होने में चंद महीने बचे हैं. इस वर्ष के अंत तक टाकीमारी में हाई स्कूल का निर्माण कार्य शुरू न होने से जोरदार आंदोलन शुरू किया जायेगा.
आवश्यकता होने पर अदालत का दरवाजा भी खटखटाया जायेगा. स्थानीय तृणमूल ग्राम पंचायत के सदस्य धनेश वर्मन ने बताया कि किसी भी कीमत पर इस वर्ष हाई स्कूल का निर्माण कार्य शुरू कराया जायेगा.

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