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सिलीगुड़ी : नौकरी के नाम पर करते थे ठगी
वन विभाग के नाम पर फर्जीवाड़े का हुआ भंडाफोड़ सिलीगुड़ी : वन विभाग के नाम पर बड़े फर्जीवाड़े का खुलासा हुआ है. वन विभाग में नौकरी दिलाने के नाम पर ठगी करने वाले एक गिरोह का पर्दाफाश हुआ है. वैंकुठपुर वन विभाग की बेलाकोवा रेंज के रेंजर व स्पेशल टास्क फोर्स प्रमुख संजय दत्त ने […]
वन विभाग के नाम पर फर्जीवाड़े का हुआ भंडाफोड़
सिलीगुड़ी : वन विभाग के नाम पर बड़े फर्जीवाड़े का खुलासा हुआ है. वन विभाग में नौकरी दिलाने के नाम पर ठगी करने वाले एक गिरोह का पर्दाफाश हुआ है. वैंकुठपुर वन विभाग की बेलाकोवा रेंज के रेंजर व स्पेशल टास्क फोर्स प्रमुख संजय दत्त ने गिरोह के तीन सदस्यों को गिरफ्तार किया है.
उनके पास से नगदी व कई दस्तावेज भी बरामद हुए हैं. जांच के लिए बेलाकोवा रेंज ने आरोपी सहित सभी दस्तावेज जलपाईगुड़ी जिला पुलिस की राजगंज थाना पुलिस के हवाले कर दिया है. बेलाकोवा रेंज की तरफ से भी राजगंज थाने में मामला भी दर्ज कराया गया है. राजगंज थाना पुलिस ने तीनों आरोपियों को गुरूवार जलपाईगुड़ी अदालत में पेश कर पूछताछ के लिए रिमांड मांगा. अदालत ने तीनों आरोपियों को दस दिन की रिमांड पर पुलिस को सौंप दिया है.
पूरे देश में युवा रोजगार की तलाश में भटक रहे हैं. योग्यता के बाद भी युवाओं को रोजगार के अवसर नहीं मिल रहे हैं. किसी भी पद से कई गुणा अधिक आवेदकों की संख्या होती है. इसी का फायदा उठाकर कुछ लोग नौकरी देने के नाम पर ठगी कर रहे हैं. नौकरी की आस में युवा इन फरेबियों की फांस में फंस भी रहे हैं. देश के करीब सभी सरकारी विभाग में नौकरी देने के नाम पर ठगी हो रही है.
नौकरी के नाम पर ठगी का मामला आये दिन सुर्खियों में होता है. ऐसा ही एक मामला सिलीगुड़ी के निकट जलपाईगुड़ी में सामने आया है. इस बार पश्चिम बंगाल राज्य वन विभाग में नौकरी देने के नाम पर लाखों की ठगी करने का मामला सामने आया है. मामले की भनक लगते ही बेलाकोवा रेंज के रेंजर सह स्पेशल टास्क फोर्स प्रमुख संजय दत्ता ने बीते बुधवार की देररात सिलीगुड़ी इलाके से तीन लोगों को गिरफ्तार किया है.
आरोपियों में विक्रम कुमार सिंह, शुभम कुमार ढाली व प्रदीप कुमार घोष शामिल हैं. इनमें से शुभम कुमार ढाली सिलीगुड़ी का निवासी है. वहीं विक्रम मालदा और प्रदीप दमदम का रहने वाला है. यह गिरोह पिछले कई वर्षों से युवाओं को ठग रहा था. इनका जाल पड़ोसी राज्य बिहार व उत्तर प्रदेश में भी फैला है.
बरामद हुए कागजातों में राज्य वन विभाग सचिव (पीसीसीएफ) चंदन सिन्हा के सील व हस्ताक्षर वाले दस्तावेज भी बरामद हुए हैं. नियुक्ति पत्रों पर उनके सील व हस्ताक्षर हैं. विभागीय अधिकारियों की मिलीभगत के बिना इतनी बड़ी साजिश रचना संभव नहीं. यह मामला सामने आने से पूरा वन विभाग कटघरे में खड़ा हो गया है.
कैसे होता था फर्जीवाड़ा
वन विभाग सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार गिरोह के सदस्य पहले रोजगार की तालाश में भटक रहे युवाओं पर निशाना साधते हैं. उसके बाद नौकरी का ऑफर दिया जाता है. पद के अनुसार रकम की मांग की जाती है.
राजी होने पर निर्धारित रकम का कुछ एडवांस लिया जाता है. फिर नियुक्ति प्रक्रिया का फर्जीवाड़ा रचा जाता है. नियुक्ति प्रक्रिया के तहत आवेदक को विभिन्न वन विभाग का रेंज व बीट कार्यालय घुमाया जाता है. फिर साक्षात्कार के लिए वन विभाग के हेड क्वार्टर तक ले जाया जाता है. हेड क्वार्टर में किसी भी तरह से साक्षात्कार कराया जाता है.
इसके लिए फर्जी अधिकारी वगैरह की भी व्यवस्था होती है. मेडिकल चेकअप के लिए भी फर्जी डॉक्टर व सेटअप तैयार कर जांच करवायी जाती है. इसके बाद इन सभी को वन विभाग सचिव के सील व हस्ताक्षर वाला नियुक्ति पत्र देकर पूरी रकम अदायगी ली जाती है. इसके बाद जब आवेदक नियुक्त पत्र के साथ रेंज या बीट कार्यालय पहुंचता तब पूरे फर्जीवाड़े का उसे पता चलता है.
ठगी पूरा होते ही गिरोह के सदस्य इलाके से रफू चक्कर हो जाते हैं. बेलाकोवा वन विभाग से मिली जानकारी के अनुसार सिलीगुड़ी, जलपाईगुड़ी व मालदा के जिन युवाओं को वन विभाग में नौकरी देने के नाम पर ठगी करने का जाल बिछाया गया था, उन युवाओं को सिलीगुड़ी के निकट स्थित डाबग्राम रेंज कार्यालय तक ले जाया गया था. बल्कि रेंज के अंतर्गत जंगल इलाके में इन्हें घुमाया भी गया था.
और कौन-कौन है गिरोह में शामिल
वन विभाग में नौकरी देने के नाम पर ठगी करने वाले इस गिरोह में कई नामचीन का नाम भी सामने आ रहा है. मिली जानकारी के अनुसार यह गिरोह पिछले करीब 5 वर्षों से अनगिनत युवाओं से नौकरी देने के नाम पर अनगिनत युवाओं से लाखों रूपये लूट चुके हैं. गिरोह के लोग सिर्फ वन विभाग ही नहीं बल्कि कई विभागों में नौकरी देने के नाम पर अपना धंधा चलाते थे.
प्राथमिक जांच के बाद ही इस गिरोह के कुछ सदस्य का नाम सामने आया है. सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार इस गिरोह में सिलीगुड़ी के हाकिमपाड़ा निवासी सुजीत साहा, सुकांतपल्ली निवासी राजू पाल, बोतलबाड़ी निवासी तोपस पोद्दार, मालदा निवासी सौम्य विश्वास व कोलकाता के विमल दास का नाम सामने आया है.
इसके अतिरिक्त इस गिरोह में राज्य के कई नामचीन व्यवसायी व अधिकारियों की मिलीभगत की संभावना भी जतायी जा रही है.
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