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दार्जिलिंग और कालिम्पोग जिले में लागू हो फॉरेस्ट एक्ट
बैठक में राशन भत्ता चालू करने की मांग: बैठक में राशन भत्ता तत्काल चालू करने की मांग के साथ ही चाय श्रमिकों को जमीन का पट्टा देने की मांगकी गई. दार्जिलिंग पर्वतीय क्षेत्र में चाय श्रमिक काफी वर्षों से रह रहे हैं. उन्हें अब तक जमीन का पट्टा नहीं मिला है. जिस श्रमिक के कब्जे […]
बैठक में राशन भत्ता चालू करने की मांग: बैठक में राशन भत्ता तत्काल चालू करने की मांग के साथ ही चाय श्रमिकों को जमीन का पट्टा देने की मांगकी गई. दार्जिलिंग पर्वतीय क्षेत्र में चाय श्रमिक काफी वर्षों से रह रहे हैं. उन्हें अब तक जमीन का पट्टा नहीं मिला है. जिस श्रमिक के कब्जे में जितनी भी जमीन है उनको उतने का पट्टा मिलना चाहिए.
श्री छेत्री ने आगे बताया कि सेवक-रंगपो रेल परियोजना से जो लोग प्रभावित हो रहे हैं उनको उचित मुआवजा देने की मांग अलग से की गई है. इसके लिए मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को एक ज्ञापन सौंपा गया. उन्होंने कहा कि काफी आंदोलन के बाद वर्ष 2006 में फारेस्ट एक्ट बना था. पूरे देश में इस कानून को लागू कर दिया गया है.
पश्चिम बंगाल में मात्र दो ही जिले जलपाईगुड़ी तथा अलीपुरद्वार में इसको लागू किया गया है. कालिंपोंग तथा दार्जिलिंग जिले में फारेस्ट एक्ट को लागू नहीं किया गया है. इसी वजह से सेवक-रंगपो रेल परियोजना से प्रभावित 24 गांव के लोग अपने अधिकारों से वंचित हो रहे हैं. इन 24 गांव के लोगों को उचित मुआवजा देने की मांग मुख्यमंत्री से की गई है. इसके लिए उन्हें एक ज्ञापन भी दिया गया है.
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