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नहीं मिल रहा सरकारी सुवधिाओं का लाभ, बैशाखी के सहारे जिंदगी खींचने को मजबूर, भीख मांगकर बीमार बेटे का पेट पालती है वृद्धा

कालियागंज : पश्चिम बंगाल की मां-माटी-मानूस की सरकार जहां एक ओर विकास की गंगा बहाने का दावा कर रही है, वहीं कालियागंज ब्लॉक के धनकोल ग्राम पंचायत के दुर्गापुर गांव की 90 वर्षीय वृद्धा कंचनबाला जीवन के अंतिम पड़ाव में भी वृद्धा भत्ता से वंचित है. वह सरकार से मिलने वाली सभी सुविधाओं से महरूम […]

कालियागंज : पश्चिम बंगाल की मां-माटी-मानूस की सरकार जहां एक ओर विकास की गंगा बहाने का दावा कर रही है, वहीं कालियागंज ब्लॉक के धनकोल ग्राम पंचायत के दुर्गापुर गांव की 90 वर्षीय वृद्धा कंचनबाला जीवन के अंतिम पड़ाव में भी वृद्धा भत्ता से वंचित है. वह सरकार से मिलने वाली सभी सुविधाओं से महरूम हैं. धनकोल के दुर्गापुर से प्रतिदिन बैशाखी के सहारे कालियागंज शहर के महेंद्रगंज बाजार पहुंचकर भीख मांगती है. जिससे बीमार बेटे का पेट पाल रही हैं.
कंचनवाला ने बताया की डालिमगांव स्थित धनकोल ग्राम पंचायत प्रधान के पास अपनी समस्यायें लेकर पहुंची थी. लेकिन ग्राम पंचायत की ओर से कोई महत्व नहीं दिया गया. उसने बताया कि अब शरीर भी साथ देने से इंकार कर रहा है. पेट की जरुरतों के लिए भीख मांगना पड़ता है. वृद्ध महिला ने बताया कि उसके पांच बेटे थे. दो की मौत हो गयी है. दो बेटे अन्य प्रदशों में काम के लिए गये हुए हैं, जबकि तीसरा बीमार पड़ा है. वह भीख मांगकर अपना और बेटे का पेट पालती है. उन्हें कोई मदद करने वाला नहीं है. वृद्धा ने कालियागंज बीडीओ मोहम्मद जकारिया के बारे में कहा कि उनके पास जाने पर वह कुछ रुपए देकर मदद करते है.
इस सवाल को लेकर जब पत्रकार कालियागंज पंचायत समिति के निवर्तमान अध्यक्ष निताई वैश्य से मिले तो उन्होंने कहा कि इलाके के सभी जरुरतमंद लोगों को मदद मिल रही है. कंचनबाला को क्यों नहीं मिलता है, इसकी छानबीन की जायेगी. इस स्थिति में निराश 90 वर्षीय कंचनबाला ने बताया कि सभी गरीबों की मदद की बातें करते है. लेकिन सच्चायी ये है कि मदद करता कोई नहीं है.

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