Advertisement
गोरखालैंड की मार से नेपाल का बेड़ापार, बंद के एक साल बाद भी हालत में सुधार नहीं
दार्जिलिंग : दार्जिलिंग पर्वतीय क्षेत्र में अलग गोरखालैंड राज्य की मांग में जारी हिंसा व आंदोलन के करीब एक साल होने चले हैं. पिछले साल इसी अवधि के दौरान आंदोलन की वजह से हालात लगातार बिगड़ते जा गए थे. इस दौरान पहाड़ पर विमल गुरूंग के नेतृत्व वाली गोजमुमो ने बेमियादी पहाड़ बंद का आह्वाण […]
दार्जिलिंग : दार्जिलिंग पर्वतीय क्षेत्र में अलग गोरखालैंड राज्य की मांग में जारी हिंसा व आंदोलन के करीब एक साल होने चले हैं. पिछले साल इसी अवधि के दौरान आंदोलन की वजह से हालात लगातार बिगड़ते जा गए थे. इस दौरान पहाड़ पर विमल गुरूंग के नेतृत्व वाली गोजमुमो ने बेमियादी पहाड़ बंद का आह्वाण किया था. 104 दिनों तक चली बंद ने पहाड़ पर अर्थव्यवस्था की रीढ़ रहे पर्यटन और चाय उद्योग को भी भारी नुकसान पहुंचाया .
एक तरह से कहें तो इस आंदोलन ने पर्यटन तथा चाय उद्योगी की रीढ़ तोड़ दी. अचानक शुरू हुई हिंसा और बेमियादी बंद के चलते पर्यटकों ने पहाड़ की इस रानी से मुंह मोड़ लिया . राज्य के इस अकेले पर्वतीय पर्यटन केंद्र में सालाना औसतन 50 हजार विदेशी और पांच लाख देसी पर्यटक आते हैं. अब जब आंदोलन के एक साल होने चले हैं तो वहां शांति बनी हुयी है. इस दौरान पर्यटन उद्योग की हालत तो सुधर गयी है है लेकिन चाय उद्योग की हालत जस की तस है. पहले ही इतना घाटा हो चुका है कि उसकी रिकवरी संभव नहीं हो पा रही है.
गोरखालैंड आंदोलन से दुनिया भर में मशहूर दार्जिलिंग चाय उद्योग पर जारी संकट अब भी कायम है. इलाके में चाय उद्योग की हालत पहले से ही खस्ता थी. आंदोलन ने एक तरह से कहें तो इसकी कमर पूरी तरह से तोड़ दी है. जिसको सुधरने में समय लग सकता है.ऐसा नहीं है कि अंतर्राष्ट्रीय बाजार में दार्जिलिंग चाय की मांग घट गयी है. लेकिन समस्या बढ़ते प्रतियोगियों को लेकर हो रही है. पहले दार्जिलिंग चाय को सिर्फ श्रीलंका के चाय से चुनौती मिलती थी. लेकिन अब अंतरराष्ट्रीय बाजार में नेपाल एक बड़ा प्रतियोगी के रूप में उभरकर सामने आया है .
104 दिनों तक पहाड़ बंद के दौरान दार्जिलिंग चाय की आपूर्ति देश के साथ-साथ विदेशों में भी पूरी तरह से बंद हो गई थी. इसी का फायदा नेपाल ने उठाया. यहां बता दें कि नेपाल में भी दार्जिलिंग चाय का उत्पादन होता है. नेपाल के चाय कारोबारियों ने दार्जिलिंग चाय का क्लोन बनाया है. पहले नेपाल के चाय पत्तियों की मांग अंतर्राष्ट्रीय बाजार में कम थी. लेकिन गोरखालैंड आंदोलन के कारण दार्जिलिंग पहाड़ बंद होने के से नेपाल के चाय की मांग अचानक बढ़ गई. इसी वजह से वर्तमान में दार्जिलिंग चाय को परेशानी उठानी पड़ रही है. सिलीगुड़ी के प्रमुख चाय कारोबारी तथा दिशा ट्रेड इंडेवर प्राइवेट लिमिटेड के निदेशक तथा सिलीगुड़ी टी ऑक्सन कमेटी के सदस्य राजीव जैन ने बताया है कि गोरखालैंड आंदोलन की वजह से दार्जिलिंग चाय को भारी नुकसान का सामना करना पड़ा है.
आंदोलन से लेकर अब तक करीब 1 साल होने चले हैं, लेकिन दार्जिलिंग चाय उद्योग की स्थिति नहीं सुधरी है. अब नेपाल द्वारा नई चुनौती मिलने से परेशानी और भी बढ़ गई है. श्री जैन ने आगे बताया कि यूरोपीय देशों तथा जापान में दार्जिलिंग चाय की काफी मांग रहती है. ऐसा नहीं है कि इन देशों में दार्जिलिंग चाय की मांग में कोई कमी आई है. लेकिन अब यह स्थान नेपाल ने ले लिया है. अब कम कीमत पर उसी क्वालिटी की चाय नेपाल से इनको मिल जाती है. जिसकी वजह से दार्जिलिंग चाय की मांग में कमी आ गई है. उन्होंने आगे कहा कि अभी भी कुछ देशों में दार्जिलिंग चाय की कीमत काफी अधिक मिल जाती है .15000 रूपये किलो तक दार्जिलिंग चाय की बिक्री हुई है.
फिर भी चाय उद्योगी की समस्या का समाधान नहीं हुआ है. क्योंकि 15000 रूपये किलो की चाय बहुत ही कम चाय बागानों में बनती है . ऐसे चाय हैंड मेड होते हैं .सिर्फ इस चाय की बिक्री कर पिछले साल हुए घाटे की भरपाई नहीं की जा सकती है. कुछ इसी तरह की बातें सिलीगुड़ी के एक अन्य चाय कारोबारी तथा तिवारी टी ट्रेडिंग कंपनी प्राइवेट लिमिटेड के निदेशक कमल तिवारी ने कही. उन्होंने कहा कि गोरखालैंड की वजह से चाय उद्योग को जो नुकसान हो चुका है उसे रिकवरी कर पाना काफी मुश्किल है.
अंतर्राष्ट्रीय बाजार में अभी भी दार्जिलिंग चाय की मांग अच्छी है, लेकिन उस पैमाने पर उत्पादन नहीं हो रहा है.सिर्फ समस्या यहीं खत्म नहीं हो जाती. गोरखालैंड आंदोलन के दौरान 104 दिन के बंद का फायदा सिर्फ नेपाल ने ही नहीं,अपितु श्रीलंका ने भी उठाया. चाय निर्माताओं के अनुसार श्रीलंका ने भी एक बड़ा बाजार हथिया लिया है. पिछले सालबंद की वजह से दार्जिलिंग पहाड़ पर करबी 350 करोड़ रुपए के नुकसान का अनुमान है.
दार्जिलिंग चाय को मिल रही है कड़ी चुनौती
दार्जिलिंग पर्वतीय क्षेत्र में गोरखालैंड की मांग सौ साल से भी ज्यादा पुरानी है. इसको लेकर पिछले तीन दशकों से कई बार हिंसक आंदोलन हो चुके हैं. ताजा आंदोलन भी इसी की कड़ी थी. अस्सी के दशक गोरखा नेशनल लिबरेशन फ्रंट (जीएनएलएफ) के बैनर तले सुभाष घीसिंग ने अलग राज्य की मांग में हिंसक आंदोलन शुरू किया था.
उसके बाद गोजमुमो सुप्रीमो विमल गुरूंग पिछले पांच साल के दौरन कई बार हिंसक आंदोलन कर चुके हैं. ताजा आंदोलन के बाद उनके खिलाफ देशद्रोह और विस्फोटक कानून सहित दर्जन भर मामले दर्ज हैं. वह फिलहाल फरार हैं.
हर साल कितना होता है उत्पादन
मिली जानकारी के अनुसार हर साल दार्जिलिंग में करीब 1 करोड़ किलोग्राम चाय का उत्पादन होता है. यहां लगभग 87 चाय बागान हैं, जो 17 हजार 500 हेक्टेयर इलाके में फैले हुए हैं.यहां सीटीसी के साथ अन्य चाय का उत्पादन होता है.
जिसमें दार्जिलिंग चाय पूरी दुनियां में प्रसिद्ध है.इस चाय की पत्तियां आम चाय से अलग होती है.दार्जिलिंग की चाय अपने अलग-अलग फ्लेवर और सुगंध के लिए जानी जाती है.
35 लाख के लूट मामले में पांच गिरफ्तार
जयगांव. जयगांव थाना पुलिस ने 35 लाख रुपए के लूटपाट मामले में पांच आरोपियों को गिरफ्तार किया है. इनमें से दो भूटानी नागरिक हैं जबकि तीन जयगांव के निवासी. पुलिस ने लूटपाट में इस्तेमाल में लाये गये भूटानी वाहन को भी जब्त किया है.
पुलिस पांचों आरोपियों को बुधवार को अलीपुरद्वार अदालत चालान करेगी. हालांकि इस घटना को लेकर जयगांव थाना प्रभारी ने कोई मंतव्य नहीं किया है लेकिन जयगांव शहर में इसको लेकर हलचल है. स्थानीय व्यापारी के अनुसार सभी लुटेरे जयगांव में भारतीय और भूटानी नोटों की अदला-बदली करने वाले कारोबारी हैं. यह घटना आपसी रंजिश का नतीजा भी हो सकती है.
उल्लेखनीय है कि जयगांव के एक व्यापारी कूचबिहार स्थित बैंक से 35 लाख रुपए निकालकर मोटरबाइक पर सवार होकर जयगांव आ रहे थे. इसकी गुप्त सूचना मिलने से रास्ते में चार बदमाश भूटान नंबर की एक टैक्सी रिजर्व कर कूचबिहार की ओर चले.
उन्होंने चिलापाता जंगल के बीचोंबीच सड़क पर आ रहे व्यापारी से चाकू की नोंक पर रुपए का बैग छीनकर चंपत हो गये. घटना की जानकारी जयगांव थाने में दर्ज होने के बाद पुलिस हरकत में आयी और पांचों आरोपियों को गिरफ्तार कर के उन्हें थाने ले गयी.
Prabhat Khabar App :
देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए
Advertisement