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ऐसा लगा भारत देश के हिस्से में नहीं है: रेखा शर्मा

कालिम्पोंग. दार्जिलिंग पर्वतीय क्षेत्र के दौरे पर आयीं राष्ट्रीय महिला आयोग की अध्यक्ष रेखा शर्मा पहाड़ में हुए आंदोलन के पीड़ितों की शिकायतें सुनने के बाद मंगलवार को मीडिया से मुखातिब हुईं. उन्होंने कहा कि शिकायतें सुनने के दौरान उन्हें ऐसा नहीं लगा कि वह भारत के किसी हिस्से में हैं. वह तो जानती थीं […]

कालिम्पोंग. दार्जिलिंग पर्वतीय क्षेत्र के दौरे पर आयीं राष्ट्रीय महिला आयोग की अध्यक्ष रेखा शर्मा पहाड़ में हुए आंदोलन के पीड़ितों की शिकायतें सुनने के बाद मंगलवार को मीडिया से मुखातिब हुईं. उन्होंने कहा कि शिकायतें सुनने के दौरान उन्हें ऐसा नहीं लगा कि वह भारत के किसी हिस्से में हैं. वह तो जानती थीं कि पुलिस आम आदमी की मदद के लिए होती है. लेकिन यहां जो तस्वीर देखने को मिली वह हैरान करनेवाली है.

रेखा शर्मा ने कहा कि वह तीन दिनों के अपने दौरे में कई पीड़ितों से मिलीं और बीते साल 105 दिनों में जो अन्याय, अत्याचार उन पर हुए उसकी जानकारी मिली. उन्होंने महिलाओं के प्रति दार्जिलिंग सदर थाने के आइसी के दुष्कर्म संबंधी बयान की शिकायत सुनी. उन्होंने जो व्यक्तिगत शिकायत सुनी थी उससे ज़्यादा उन्हें यहां देखने मिला. यहां की पुलिस एजेंट की तरह काम कर रही है. उन्होंने एसपी से मुलाक़ात में पूछा कि ड्यूटी ज्वाइन करने पर उन्होंने क्या शपथ ली थी तो एसपी ने बताया कि लोगों की मदद करने की शपथ ली थी. लेकिन यहां तो पुलिस इस भूमिका में नहीं है.

ज्यादातर महिलाओं ने पुलिस के खिलाफ ही बयान दिये हैं. एसपी के पास इस सवाल का कोई जवाब नहीं था. उन्होंने दार्जिलिंग की डीएम को भी उनसे मिलने के लिये बुलाया था, लेकिन वह नहीं आयीं. उसके बाद उनके ट्वीट करने पर पांच बजे वह उनसे मिलने पहुंचीं. लेकिन उनके पास भी उनके सवालों के जवाब नहीं थे.

रेखा शर्मा ने इस बात पर हैरानी जतायी कि एक महिला को उसके बच्चे के साथ जेल में रखा गया. आंदोलन में किसी ने अपना भाई, पति, पिता और पुत्र खो दिया. कई के घर के पुरुष व महिलाएं अभी तक इस डर से वापस नहीं आये, क्योंकि उन्हें डर था कि पुलिस उन्हें गिरफ्तार कर लेगी. राजनैतिक बंदियों पर इतने मामले लाद दिये गये हैं कि उनकी पूरी जिंदगी मुकदमा लड़ने में ही बीत जायेगा.
महिलाओं तक पर आर्म्स एक्ट के तहत केस दर्ज हुए हैं. पुलिस के अत्याचार की जमीनी रिपोर्ट वह केंद्र सरकार के साथ ही राष्ट्रपति को देंगी. बंगाल की मुख्यमंत्री खुद एक महिला हैं. उनसे अपील है कि अगर वह खुद आकर पीड़ितों से मिलें तो उनका दिल पिघल जायेगा. पुलिस यदि अत्याचार करती है तो उसकी निष्पक्ष जांच होनी चाहिए.
आंदोलन के सात महीने बाद उनके आगमन पर हो रहे विरोध कर रेखा शर्मा ने कहा कि केंद्र सरकार के प्रतिनिधि के बंगाल आने पर रोक लगाना गंभीर मसला है. उनके आने पर लगता है कि यहां का पूरा जिला प्रशासन छुट्टी पर चला गया है. उन्होंने कहा कि राजनीतिक विरोध के चलते उनके खिलाफ प्रदर्शन किये गये. जिस महिला के हाथ में प्लेकार्ड था उन्हें यह भी पता नहीं कि राष्ट्रीय महिला आयोग की अध्यक्ष आ रही हैं कि मानवाधिकार आयोग की. इतना बुरा हाल देश में इमरजेंसी में भी नहीं रहा.
राज्य महिला आयोग पर भी बरसते हुए रेखा शर्मा ने कहा कि अत्याचार की घटनाओं के बाद यहां सबसे पहले राज्य महिला आयोग को आना चाहिए था. उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय महिला आयोग सभी राज्यों के महिला आयोग को एकजुट करके काम कर रहा है, सिवा बंगाल महिला आयोग के.

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