तैयारीlचाय की गुणवत्ता बनाये रखने के लिए कदम
असम से आयी डस्ट के प्रसंस्करण पर रहेगी रोक
जलपाईगुड़ी : सूखे मौसम’ (जिस मौसम में बागानों में पत्तियां नही तोड़ी जातीं) में उत्तर बंगाल की बॉटलीफ फैक्ट्रियों में चाय का प्रसंस्करण नहीं होगा. बॉटलीफ फैक्ट्री संचालकों ने जलपाईगुड़ी टी बोर्ड के कार्यालय में टी बोर्ड के प्रतिनिधि व लघु चाय बागान संचालन समूह के प्रतिनिधियों की मौजूदगी में सूखे मौसम में चाय प्रसंस्करण बंद रखने का प्रस्ताव स्वीकार कर लिया है. बैठक के बाद लघु चाय बागानों के संगठनों की ओर से बता दिया गया है कि 31 दिसंबर के बाद बागानों से चाय की पत्तियां नहीं तोड़ी जा सकेंगी.
उल्लेखनीय है कि लघु चाय बागानों के केंद्रीय संगठन ‘कन्फेडरेशन ऑफ इंडियन स्मॉल टी ग्रोअर्स एसोसिएशन’ की ओर से टी बोर्ड को उक्त प्रस्ताव दिया गया था. इसमें उत्तर बंगाल के चाय की गुणवत्ता बढ़ाने के हित में सूखे मौसम में बॉटलीफ फैक्ट्रियों में चाय का प्रसंस्करण बंद रखने की बात कही गयी थी. इस प्रस्ताव पर हाल ही में टी बोर्ड के जलपाईगुड़ी कार्यालय में एक त्रिपक्षीय बैठक की गयी. टी बोर्ड के डिप्टी डायरेक्टर ने इस बैठक की अध्यक्षता की. बैठक में स्मॉल टी ग्रोअर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष विजयगोपाल चक्रवर्ती ने कहा कि सूखे मौसम में असम से चाय की डस्ट उत्तर बंगाल की कई बॉटलीफ फैक्ट्रियों में भेजी जाती है. इस डस्ट के प्रसंस्करण से यहां चाय की गुणवत्ता में में गिरावट आती है और इस तरह से तैयार चाय स्वास्थ्य के लिए भी हानिकारक है. इसे ध्यान में रखते हुए आगामी 31 दिसंबर से बॉटलीफ फैक्ट्रियों को पूरी तरह से बंद रखने का प्रस्ताव दिया गया. सूखा मौसम बीतने पर नये पत्तों के प्रसंस्करण के जरिए चाय उत्पादन शुरू किया जाएगा.
नॉर्थ बंगाल टी प्रोड्यूसर वेलफेयर एसोसिएशन के अध्यक्ष सतीश मित्रुका ने बताया कि वे फैक्ट्री बंद रखेंगे. बैठक के बाद टी बोर्ड के डिप्टी डायरेक्टर चंद्रशेखर मित्र ने बताया कि बैठक में बॉटलीफ फैक्ट्री संचालकों एवं लघु चाय बागानों के संगठनों ने सूखे मौसम में फैक्ट्रियों को बंद रखने पर सहमति जतायी है.