जंगली जानवरों को बेहोश करने के लिए एक विशेष किस्म की बंदूक होती है जिससे नींद का कारतूस दागा जाता है. इसके इस्तेमाल के लिए वनकर्मियों का पर्याप्त रूप से प्रशिक्षित होना जरूरी है. वन विभाग में अभी इस तरह के प्रशिक्षित वनकर्मियों का अभाव हो गया था, जिसे दूर करने के लिए यह प्रशिक्षण शुरू किया गया है. वन विभाग ने यह भी फैसला किया है कि उत्तर बंगाल के प्रत्येक फॉरेस्ट डिवीजन में एक ट्रेंकोलाइजिंग टीम का गठन किया जायेगा. इस टीम का काम जरूरत पड़ने पर वन्य प्राणियों को बेहोश करना होगा.
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जंगली जानवरों को बेहोश करने का दिया प्रशिक्षण
मयनागुड़ी. वन्य प्राणियों को नींदवाले कारतूस से बेहोश करने का एकदिवसीय विशेष प्रशिक्षण शिविर मूर्ति में आयोजित किया गया. उल्लेखनीय है कि उत्तर बंगाल में अक्सर ही वन्य प्राणी रिहायशी इलाके में घुस आते हैं. कई बार जंगली हाथी, बाइसन, तेंदुआ काफी उत्पात भी मचाते हैं. इनके आसानी से जंगल नहीं लौटने पर इनको नियंत्रित […]
मयनागुड़ी. वन्य प्राणियों को नींदवाले कारतूस से बेहोश करने का एकदिवसीय विशेष प्रशिक्षण शिविर मूर्ति में आयोजित किया गया. उल्लेखनीय है कि उत्तर बंगाल में अक्सर ही वन्य प्राणी रिहायशी इलाके में घुस आते हैं. कई बार जंगली हाथी, बाइसन, तेंदुआ काफी उत्पात भी मचाते हैं. इनके आसानी से जंगल नहीं लौटने पर इनको नियंत्रित करने का एक ही उपाय होता है कि इन्हें बेहोश कर जंगल में छोड़ा जाये. कई बार अस्वस्थ जंगली जानवरों के इलाज के लिए भी उन्हें बेहोश करने की जरूरत पड़ती है.
जंगली जानवरों को बेहोश करने के लिए एक विशेष किस्म की बंदूक होती है जिससे नींद का कारतूस दागा जाता है. इसके इस्तेमाल के लिए वनकर्मियों का पर्याप्त रूप से प्रशिक्षित होना जरूरी है. वन विभाग में अभी इस तरह के प्रशिक्षित वनकर्मियों का अभाव हो गया था, जिसे दूर करने के लिए यह प्रशिक्षण शुरू किया गया है. वन विभाग ने यह भी फैसला किया है कि उत्तर बंगाल के प्रत्येक फॉरेस्ट डिवीजन में एक ट्रेंकोलाइजिंग टीम का गठन किया जायेगा. इस टीम का काम जरूरत पड़ने पर वन्य प्राणियों को बेहोश करना होगा.
उत्तर बंगाल के वन्य प्राणी विभाग के मुख्य वनपाल उज्जवल घोष ने बताया कि इस तरह की टीमें तैयार करने का ज्यादातर काम हो चुका है. प्रत्येक टीम में चार-चार लोग रखे गये हैं. इन टीमों को बेहोश करने के लिए जरूरी उपकरण मुहैया करा दिये गये हैं. वनकर्मियों को पूरी कुशलता के साथ सटीक लक्ष्य पर नींद की गोली चलाने के लिए प्रशिक्षित किया गया. प्रशिक्षण के पहले चरण में जलपाईगुड़ी, कूचबिहार, गोरूमारा और जलदापाड़ा के करीब 25 वनकर्मियों ने प्रशिक्षण लिया. आनेवाले दिनों में कर्सियांग, बैकुण्ठपुर, कालिम्पोंग, सुकना और बक्सा के वनकर्मियों को प्रशिक्षित किया जायेगा. रविवार को आयोजित शिविर में नींदवाला कारतूस दागने का प्रशिक्षण विशेषज्ञ सुब्रत पाल चौधरी ने दिया.
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