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गोरखालैंड आंदोलन में गिरफ्तार पार्षद की मौत

कालिम्पोंग. कालिम्पोंग नगरपालिका के 16 नंबर वार्ड के पार्षद वरुण भुजेल की न्यायिक हिरासत में बुधवार को भोर में करीब 2.45 बजे कोलकाता के एक अस्पताल में मौत हो गयी. उन्हें गोरखालैंड आंदोलन शुरू होने के कुछ ही दिन बाद गत 16 जून को गिरफ्तार किया गया था. श्री भुजेल दो बार उक्त वार्ड से […]

कालिम्पोंग. कालिम्पोंग नगरपालिका के 16 नंबर वार्ड के पार्षद वरुण भुजेल की न्यायिक हिरासत में बुधवार को भोर में करीब 2.45 बजे कोलकाता के एक अस्पताल में मौत हो गयी. उन्हें गोरखालैंड आंदोलन शुरू होने के कुछ ही दिन बाद गत 16 जून को गिरफ्तार किया गया था. श्री भुजेल दो बार उक्त वार्ड से भारी वोटों से पार्षद बने थे. एक कट्टर मोर्चा समर्थक और अलग राज्य के पैरोकार की मौत की खबर पहंचते ही कालिम्पोंग शोक में डूब गया. शहर में काले झंडे लगाकर बाजार बंद रखा गया.

गिरफ्तारी से पहले बिल्कुल हट्टे-कट्ठे वरुण भुजेल के साथ बीते चार महीनों में पुलिस और न्यायिक हिरासत में क्या हुआ कि उनकी मौत हो गयी, यह सवाल पूरे पहाड़ पर पूछा जा रहा है. वरुण के छोटे भाई बीरेन भुजेल ने कहा कि पार्षद वरुण भुजेल को गत 16 जून को कालिम्पोंग के पुलिस अधीक्षक ने गिरफ्तार किया था. उस वक्त वह खून से लथपथ थे, यह सभी ने देखा. ऐसी हालत में ही उनको सिलीगुड़ी ले जाया गया. कालिम्पोंग में केस होने के बावजूद उन्हें सिलीगुड़ी की बागराकोट जेल में रखा गया.


भाई का आरोप है कि पुलिस के टॉर्चर के कारण वह बीमार हुए. काफी बाद में हमें फोन पर बताया गया कि वरुण को उत्तर बंगाल मेडिकल कॉलेज में भर्ती किया गया है. जब अस्पताल में परिवार पहुंचा तो देखा कि वरुण भुजेल को किसी पशु की तरह बांधकर रखा गया है. वहां पता चला कि उनका पैन्क्रिआस एकदम खराब हो गया है. उनकी ऐसी हालत देखकर हमने कोर्ट में उनके बेहतर इलाज की गुहार लगायी, पर उनको सही समय पर सही इलाज नहीं मिल पाया. उन्होंने सवाल किया बीमारी का पता होने के बावजूद वरुण का समुचित इलाज क्यों नहीं करवाया गया. भाई ने बताया कि वरुण को गत 22 तारीख की रात अचानक एम्बुलेंस में कोलकाता ले जाकर पीजी अस्पताल के सीसीयू में रखा गया, जहां परिवार के किसी सदस्य को उनसे मिलने नहीं दिया गया. बुधवार भोर में करीब पौने तीन बजे हमें मौत की सूचना दी गयी. बीरेन भुजेल ने कहा कि एक राजनीतिक कैदी से साथ जो व्यवहार होना चाहिए वह मेरे बड़े भाई के साथ नहीं हुआ. उन्होंने इस घटना के लिए कालिम्पोंग एसपी को जिम्मेदार ठहराया. उन्होंने पुलिस पर अत्याचार करने का आरोप लगाते हुए इंसाफ की गुहार लगायी.

घटना की खबर इलाके में फैलते ही वरुण भुजेल के घर में शुभचिंतकों के पहुंचने का सिलसिला शरू हो गया. उनकी वृद्ध मां के आंसू थमने का नाम नहीं ले रहे हैं. वह अपने पीछे मां-पिता, पत्नी, दो बच्चों, एक बड़े भाई, एक छोटे भाई को छोड़कर गये हैं.
सरकार से न्यायिक जांच की मांग करूंगा : विनय जीटीए चेयरमैन विनय तमांग ने वरुण भुजेल की मौत की न्यायिक जांच कराने की मांग की है. श्री तमांग ने कहा, बीते 14 सितंबर को मैं गिरफ्तार मोर्चा कार्यकर्ताओं से मिलने सिलीगुड़ी जेल गया था. वहां मैंने वरुण से भेंट की थी. तब वह स्वस्थ थे. लेकिन दो महीने के अंतराल में उनका स्वास्थ्य कैसे इतना खराब हुआ, यह सोचने की बात है.

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