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त्रिपक्षीय वार्ता पर विनय तमांग व विमल गुरूंग में होड़

सिलीगुड़ी: करीब तीन माह तक चला गोरखालैंड आंदोलन कमजोर पड़ रहा है. धीमी रफ्तार से ही सही पहाड़ में स्थिति सामान्य की ओर लौटने लगी है. इस बीच पार्टी में अपना वर्चस्व कायम रखने के लिये अध्यक्ष विमल गुरुंग और विनय तमांग के बीच मनौवैज्ञानिक युद्ध तेज हो गया है. दोनों ही गुट केंद्र सरकार […]

सिलीगुड़ी: करीब तीन माह तक चला गोरखालैंड आंदोलन कमजोर पड़ रहा है. धीमी रफ्तार से ही सही पहाड़ में स्थिति सामान्य की ओर लौटने लगी है. इस बीच पार्टी में अपना वर्चस्व कायम रखने के लिये अध्यक्ष विमल गुरुंग और विनय तमांग के बीच मनौवैज्ञानिक युद्ध तेज हो गया है. दोनों ही गुट केंद्र सरकार से संपर्क कर त्रिपक्षीय वार्ता बुलवाने के लिए प्रयास कर रहे हैं. राजनीतिक पर्यवेक्षकों का मानना है कि इस लक्ष्य में जो भी गुट कामयाब हो जायेगा, उसके हाथ में ही आंदोलन की कमान होगी और अंतत: गोजमुमो पर भी उसी का नेतृत्व कायम हो जायेगा.

विनय तमांग दिल्ली में केंद्रीय नेताओं से मिलकर लौट आये हैं. दिलचस्प तथ्य यह है कि दोनों विक्षुब्ध मोर्चा नेता विनय और अनित थापा कोलकाता में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से भेंटकर नई दिल्ली के लिये रवाना हुए. तो क्या इसमें विनय-अनित गुट की कोई सधी हुई चाल है ताकि राज्य सरकार के माध्यम से केंद्र सरकार पर त्रिपक्षीय वार्ता के लिये दबाव बनाया जा सके. उल्लेखनीय है कि गोजमुमो नेताओं ने जीएमसीसी के बैनर तले पिछले माह केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह से भेंट की थी. लेकिन उसमें मंत्री राजनाथ सिंह ने स्पष्ट कर दिया था कि त्रिपक्षीय वार्ता के लिए राज्य सरकार को ही पहल करनी होगी. इस तरह से उन्होंने त्रिपक्षीय वार्ता की गेंद मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के पाले में डाल दी है. इस तथ्य के मद्देनजर विनय तामंग ने इस बार कौशल बदलते हुए राज्य सरकार की सहमति बनाकर केंद्र के साथ बात करना चाह रहे हैं.
जानकारों का मानना है कि यदि विनय व अनित राज्य सरकार की सहमति के साथ त्रिपक्षीय वार्ता के लिये केंद्र को राजी करने में सफल होता है तो यह विनय-अनित कैम्प के लिये बड़ी जीत कही जायेगी.
वैसे विमल गुरुंग का खेमा भी केंद्र सरकार को त्रिपक्षीय वार्ता के लिये राजी कराने को जी तोड़ कोशिश में जुटा हुआ है. हालांकि इसमें सबसे बड़ी कठिनाई है कि विमल कैम्प के अधिकतर नेता पहाड़ में अपने कार्यकर्ताओं के साथ सीधा संपर्क नहीं बना पा रहे हैं. चूंकि उन पर राज्य सरकार ने कई तरह के मामले दायर कर रखे हैं. उनकी गिरफ्तारी का परवाना जारी कर दिया है. विमल गुरुंग और उनके निकट के सहयोगी जैसे प्रकाश गुरुंग भूमिगत होकर आंदोलन का संचालन कर रहे हैं.
विमल की कमजोरी बन गयी है विनय व अनित थापा की ताकत
जानकारों का मानना है कि विमल गुरुंग की कमजोरी ही विनय तामंग और अनित थापा की ताकत बन गई है. ये दोनों जनता से सीधा संवाद बना रहे हैं और धीरे धीरे ही सही बंद को जारी रखने की निरर्थकता की बात लोगों को समझा रहे हैं. इसका असर भी हो रहा है. पहाड़ में जनजीवन धीरे धीरे सामान्य स्थिति में लौटने लगा है. हाल में शुरू हुए पहाड़ में दोनों गुटों के बीच पोस्टर युद्ध से भी ऐसा आभास हो रहा है कि विमल गुरुंग का एकाधिकार मोर्चा पर से समाप्त हो रहा है. राशन व अन्य आवश्यक खाद्यान्न की कमी और शिक्षा व्यवस्था के प्रभावित होने से पहाड़ के लोग बंद को समाप्त किये जाने के पक्ष में खुलकर बोलने भी लगे हैं. कर्सियांग में स्कूलों में कक्षाएं शुरु भी हो गई हैं. उधर, विनय तामंग ने मुख्यमंत्री से चाय श्रमिकों के लिये बोनस का भुगतान करवाने का अनुरोध किया है. साथ ही वे चाय बागानों में काम काज बहाल करवाने के लिये भी प्रयास कर रहे हैं. इसका असर भी दिखने लगा है. कर्सियांग के गुडरिक ग्रुप के कैसलटन चाय बागान में सोमवार को 217 में से 70 श्रमिक काम करने के लिये राजी हुए हैं. यह जानकारी मोहन छेत्री सचिव इंडियन टी एसोसिएशन ने दी है.
बंद के चलते पहाड़ में पर्यटन व्यवसाय खा रहा है मार
मुख्यमंत्री ममता बनर्जी भी गरम दल के नेता विमल गुरुंग की काट के तौर पर विनय-अनित के गुट को तरजीह दे रही हैं. इस तरह से वह पहाड़ में सामान्य स्थिति बहाल करवाने में यदि कामयाब हो जाती हैं तो यह विनय तामंग और राज्य सरकार के लिये बड़ी राजनैतिक जीत कही जायेगी. उधर, पहाड़ या कहें जीटीए क्षेत्र के निवासी उत्सुकता से राजनीतिक घटनाक्रम पर नजर रख रहे हैं. वहां के आमजन और मेहनत मजदूरी कर खाने वाले लोगों का कहना है कि उनके सामने सबसे बड़ी समस्या रोजी रोटी की है. बंद के चलते पहाड़ में पर्यटन व्यवसाय मार खा रहा है. इसके चलते होटल से लेकर वाहन चालकों की हालत दयनीय है. वे चाहते हैं कि बंद समाप्त हो और पहाड़ में सामान्य जीवन बहाल हो. गोरखालैंड तो उनकी भावनाओं से ताल्लुक रखता है और वह आगे भी रहेगा. लेकिन आज तो उनके सामने वर्तमान है जिसकी अनदेखी वह नहीं कर सकते.

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