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बक्सा से हटेंगे होटल और रिसोर्ट, पर्यटन को धक्का

अलीपुरद्वार : बक्सा बाघ संरक्षण परियोजना क्षेत्र से सभी होटल, रिसोर्ट बंद किये जाने के ग्रीन ट्रिब्यूनल के निर्देश के खिलाफ राज्य सरकार अदालत का दरवाजा खटखटाने जा रही है. ग्रीन ट्रिब्यूनल के निर्देश से बक्सा बाघ परियोजना में पर्यटन को धक्का लगा है. पर्यावरण विशेषज्ञ सुभाष दत्त द्वारा दायर एक मुकदमे के तहत गुरुवार […]

अलीपुरद्वार : बक्सा बाघ संरक्षण परियोजना क्षेत्र से सभी होटल, रिसोर्ट बंद किये जाने के ग्रीन ट्रिब्यूनल के निर्देश के खिलाफ राज्य सरकार अदालत का दरवाजा खटखटाने जा रही है. ग्रीन ट्रिब्यूनल के निर्देश से बक्सा बाघ परियोजना में पर्यटन को धक्का लगा है.

पर्यावरण विशेषज्ञ सुभाष दत्त द्वारा दायर एक मुकदमे के तहत गुरुवार को ग्रीन ट्रिब्यूनल की ओर से जारी निर्देशिका के तहत, बक्सा बाघ परियोजना की भौगोलिक सीमा में स्थित सभी तरह के सरकारी व गैर सरकारी वन बंग्लो, रिसोर्ट, होटल व रेस्टोरेंटों को जल्द हटाना होगा. इन निर्माणों को अवैध करार दिया गया है. सिर्फ यही नहीं, 13 नवंबर तक ग्रीन ट्रिब्यूनल ने अलीपुरद्वार जिला अधिकारी से पूरी रिपोर्ट तलब की है.

ग्रीन ट्रिब्यूनल की निर्देशिका सार्वजनिक होते ही बक्सा इलाके के पर्यटन व्यवसाय से जुड़े विभिन्न प्राइवेट लॉज मालिकों से लेकर पूरे उत्तर बंगाल के पर्यटन व्यवसायियों में चर्चा का बाजार गर्म है. इस निर्देशिका का विरोध करते हुए लॉज मालिकों व पर्यटन व्यवसायियों ने नये सिरे से कानून का सहारा लेने की बात कही है. व्यवसायियों ने इसमें राज्य सरकार का साथ मिलने पर भी आशा जतायी है. दूसरी ओर, पर्यावरण प्रेमियों ने ग्रीन ट्रिब्यूनल के फैसले का स्वागत किया है.

बक्सा इलाके में अभी 89 सरकारी व गैर सरकारी रिसोर्ट व होटल हैं. बक्सा जंगल में कंक्रीट का जंगल बन रहा है, जो बाघों के संरक्षण के लिए आदर्श पर्यावरण नहीं है.

इसीलिए ग्रीन ट्रिब्यूनल के निर्देश को पर्यावरण प्रेमियों ने ऐतिहासिक करार दिया है. पर्यावरण प्रेमी अमल दत्त का कहना है कि इस फैसले में प्रमाणित हो गया है कि बक्सा बाघ प्रोजेक्ट के तहत पर्यटन कारोबार से पर्यावरण का संतुलन बिगड़ गया है. बक्सा के वन्यजीवों का अस्तित्व खतरे में है.

इधर, वनमंत्री विनय कृष्ण बर्मन ने कहा कि हरियाली व वन्यप्राणियों के संरक्षण के साथ लोगों के रोजगार का रास्ता भी खुला रहना चाहिए. उन्होंने कहा कि किस आधार पर ट्रिब्यूनल ने ऐसा निर्णय लिया है, यह स्पष्ट नहीं है. उन्होंने विस्तृत जानकारी हासिलकर आगे का कदम उठाने का आश्वासन दिया. उन्होंने यह भी कहा कि जंगल के बाहरी इलाकों में जिनलोगों ने रिसोर्ट बनाया है, उसका दायित्व वन विभाग का नहीं है.

राज्य के वन सचिव चंदन सिन्हा ने बताया कि बक्सा बाघ प्रोजेक्ट को लेकर ग्रीन ट्रिब्यूनल के फैसले के बारे में उन्होंने मौखिक रूप से सुना हैं. ऑर्डर की कॉपी उनके पास नहीं पहुंची है. कॉपी मिलने पर विचार-विमर्श कर अगला कदम उठाने की बात उन्होंने कही.

राज्य के पर्यटन मंत्री गौतम देव ने फिलहाल कोई टिप्पणी करने से मना कर दिया. उन्होंने कहा कि उनके पास खबर आयी है कि अलीपुरद्वार के जिला अधिकारी देवीप्रसाद करणम ने ग्रीन ट्रिब्युनल बक्सा बाघ प्रोजेक्ट इलाके के होटल, रेस्टोरेंज व अन्य पर्यटक आवासों पर निषेधाज्ञा जारी की है.

गौतम देव ने कहा कि ऑर्डर की कोई कॉपी उनके पास नहीं आयी है. मंत्री ने कहा कि ऑर्डर में जो भी निर्देश दिया जायेगा, वह उसे मानेंगे. उन्होंने विचार कर कदम उठाने की बात कही.

हेल्प टूरिज्म की ओर से राज बसु ने ग्रीन ट्रिब्यूनल के निर्देश को अनैतिक फैसला करार दिया है. उन्होंने कहा कि इसे हरगिज नहीं माना जायेगा. उन्होंने कहा कि इस बारे में राज्य सरकार के साथ सलाह-मशविरा कर कानून की मदद ली जायेगी. पर्यटन व्यवसायी सम्राट सान्याल ने बताया कि ग्रीन ट्रिब्यूनल का निर्देश लागू होने पर बक्सा बाघ प्रोजेक्ट में पर्यटन संभावना को काफी नुकसान होगा. इसका विरोध किया जायेगा.

डुवार्स टूरिज्म डेवलपमेंट फोरम के अध्यक्ष पार्थसारथि राय ने बताया कि ग्रीन ट्रिब्यूनल के फैसले को किसी हालत में नहीं माना जायेगा. इस सिलसिले में कानूनी सुझाव लिया जा रहा है. फॉरेस्ट डेवलपमेंट कॉरपोरेशन के चेयरमैन उदयन गुह ने बताया कि ऑर्डर की कॉपी देखने के बाद आवश्यक कदम उठाया जायेगा.

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