रोज की तरह बुधवार को भी गोरखालैंड समर्थकों ने दार्जिलिंग शहर में रैली निकाली. रेलवे स्टेशन से शुरू हुई रैली शहर की परिक्रमा करते हुए चौक बाजार पहुंची और जनसभा में बदल गयी. इस जनसभा को संबोधित करते हुए श्री छेत्री ने कहा कि हमारे पार्टी प्रमुख आरवी राई अभी दिल्ली में हैं. टेलीफोन पर हुई बातचीत में श्री राई हमें साफ शब्दों में बता चुके हैं कि अगर बंगाल सरकार ने पहाड़ के विकास को लेकर बैठक बुलायी होगी तो उसमें क्रामाकपा शामिल नहीं होगी.
उन्होंने कहा कि जीएमसीसी में यह तय हुआ था कि गोरखालैंड के अलावा किसी भी विषय पर बातचीत नहीं करनी चाहिए. फिर गोरामुमो ने किस आधार पर बंगाल की मुख्यमंत्री को बैठक के लिए पत्र लिखा? श्री छेत्री ने कहा कि 1986 में अलग राज्य गोरखालैंड गठन की मांग को लेकर गोरामुमो ने ही आंदोलन किया था. उस वक्त 1200 लोग शहीद हुए थे.
जनसभा को गोजमुमो के भीम प्रधान ने भी संबोधित किया. उन्होंने कहा कि जनता गोरखालैंड के लिए सड़क पर उतरी है और अलग राज्य की प्राप्ति के लिए उत्साहित है. लेकिन आंदोलन का नेतृत्व थका हुआ नजर आ रहा है. अगर आंदोलन के नेताओं ने गोरखालैंड के अलावा किसी व्यवस्था पर समझौता करने का प्रयास किया या समझौता किया, तो उन्हें समतल से पहाड़ पर चढ़ने नहीं दिया जायेगा. इस बार के आंदोलन में अब तक आठ आंदोलनकारी शहीद हो चुके हैं और कई घायल व जेल में हैं. इनकी कुर्बानी बेकार नहीं जाने दी जा सकती.