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17 जुलाई को 12 घंटे का बंगाल बंद

सिलीगुड़ी. विभिन्न मांगों को लेकर एसयूसीआइ ने 17 जुलाई को 12 घंटा बंगाल बंद का आह्वान किया है. सिलीगुड़ी जर्नलिस्ट क्लब में सोमवार को संवाददाताओं से बातचीत करते हुए यह जानकारी संगठन के प्रवक्ता अचिंत्य सिंह ने दी. उन्होंने कहा कि पहली कक्षा से पास-फेल सिस्टम चालू करने,चाय श्रमिकिों की न्यूनतम मजदूरी तय करने,भ्रष्टाचार खत्म […]

सिलीगुड़ी. विभिन्न मांगों को लेकर एसयूसीआइ ने 17 जुलाई को 12 घंटा बंगाल बंद का आह्वान किया है. सिलीगुड़ी जर्नलिस्ट क्लब में सोमवार को संवाददाताओं से बातचीत करते हुए यह जानकारी संगठन के प्रवक्ता अचिंत्य सिंह ने दी. उन्होंने कहा कि पहली कक्षा से पास-फेल सिस्टम चालू करने,चाय श्रमिकिों की न्यूनतम मजदूरी तय करने,भ्रष्टाचार खत्म करने सहित विभिन्न मांगों को लेकर वहलोग काफी दिनों से आंदोलन कर रहे हैं,उसके बाद भी राज्य सरकार ने उनकी मांगों को मानने की दिशा में कोई पहल नहीं की. 24 मई को ही इन मांगों को लेकर सिलीगुड़ी के साथ ही कोलकाता में भी महाजुलूस का आयोजन किया गया था. इसमें दोनों ही स्थानों पर बड़ी संख्या में आमलोग शामिल हुए थे. उसके बाद भी लगता है राज्य सरकार की नींद नहीं टूटी है.

बाध्य होकर बंद का आह्वाण किया गया है. श्री सिंह ने कहा कि आज से करीब 37 साल पहले राज्य की तत्कालीन वाम मोरचा सरकार ने अंग्रेजी की पढ़ाई के साथ ही प्राथमिक शिक्षा में पास-फेल की व्यवस्था को खत्म कर दिया. इसके अलावा वर्ष 2009 में केंद्र में तत्कालीन यूपीए सरकार ने शिक्षा के अधिकार कानून के तहत पास-फेल सिस्टम खत्म करने की बात कही.

उसके बाद राज्य की वर्तमान तृणमूल सरकार ने भी आठवीं कक्षा तक पास-फेल खत्म कर दिया है. इसकी वजह से बच्चों की शिक्षा पर काफी बुरा असर पड़ा है. शिक्षा का स्तर राज्य में काफी गिर गया है. उन्होंने आगे कहा कि उनकी इस मांग को कुचलने की काफी कोशिश की गयी. पुलिस की मदद से एसयूसीआइसी को दबाने की कोशिश की जा रही है. यही कारण है कि पार्टी नेताओं पर लगातार पुलिस अत्याचार जारी है. उसके बाद भी वहलोग अपनी मांगों से पीछे हटने वाले नहीं हैं. सिर्फ राज्य ही नहीं पूरे देश में उनका यह आंदोलन जारी है और आगे भी जारी रहेगा. श्री सिंह ने चाय श्रमिकों की समस्याओं को भी उठाया. उन्होंने कहा कि चाय श्रमिकों की हालत काफी खराब है.

उनकी न्यूनतम मजदूरी अबतक तय नहीं की गयी है. बागान बंद पड़े हुए हैं और श्रमिकों के सामने भूखों मरने की स्थिति है. आखिरकार ऐसा कब तक तक चल सकता है. चाय श्रमिकों के विभिन्न ट्रेड यूनियन संगठनों द्वारा गठित संयुक्त फोरम द्वारा भी इस मांग को लेकर आंदोलन जारी है.

12 और 13 जून को चाय उद्योग में हड़ताल का आह्वाण किया गया है. उनकी पार्टी चाय श्रमिकों के इस आंदोलन का भी समर्थन करती है. संवाददाता सम्मेलन में संगठन की ओर से राज्य कमेटी के सदस्य तपन भौमिक तथा दार्जिलिंग जिला कमेटी के सचिव गौतम भट्टाचार्य भी उपस्थित थे.

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