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पश्चिम बंगाल : कौन है शाहजहां शेख, जिसका हाईकोर्ट भी कर रहा था इंतजार, जानें संदेशखाली कांड के मुख्य आरोपी की कहानी

पश्चिम बंगाल : 2011 में लेफ्ट को सत्ता से बेदखल कर तृणमूल कांग्रेस सत्ता में आई थी. एक चौथाई का दावा है कि वामपंथियों के सत्ता के गलियारों से चले जाने के बाद शाहजहां ने लाल सेना छोड़ दी और तृणमूल में शामिल हो गये. फिर धीरे-धीरे शाहजहां के पद में बढ़ोत्तरी होती चली गई.

पश्चिम बंगाल के संदेशखाली में हंगामा काफी लंबे समय से चला आ रहा था. संदेशखाली में महिलाओं के यौन उत्पीड़न और जमीन हड़पने के आरोपी तृणमूल कांग्रेस के नेता शाहजहां शेख (Shahjahan Sheikh) को 55 दिन बाद गुरुवार की सुबह गिरफ्तार कर लिया गया. आखिरकार शेख शाहजहां काे पुलिस क्यों तलाश रही थी.गौरतलब है कि तृणमूल नेता पर जमीन गबन करने तक के आरोप लगे हैं.

शाहजहां शेख बांग्लादेश से आया थे संदेशखाली

शाहजहां बांग्लादेश से संदेशखाली आया था और यहां आकर मजदूरी करने लगा था. देखते ही देखते उसने अपार संपत्ति जुटा ली और संदेशखाली में खौफ का दूसरा नाम बन गया. संदेशखाली में शेख शाहजहां का खौफ ऐसा है कि लोग उसके नाम से कांपते थे. लेकिन अचानक 5 जनवरी के बाद संदेशखाली की तस्वीर बदल गई और महिलाएं सड़क पर उतर आई और शेख शाहजहां की गिरफ्तारी की मांग करने लगी.

ज्योतिप्रिय मल्लिक के ‘करीबी’ के रूप में जाने जाते है शाहजहां शेख

ईडी के तलाशी अभियान ने इस घटना को लेकर जोरदार विवाद खड़ा कर दिया है. कलकत्ता उच्च न्यायालय के न्यायाधीश अभिजीत गंगोपाध्याय ने टिप्पणी की है कि राज्य में ‘संवैधानिक बुनियादी ढांचा’ ध्वस्त हो गया है. इस पर सत्ता पक्ष ने प्रतिक्रिया दी. लेकिन शाहजहां कौन हैं जिनके घर पर ईडी के हमले से इतना विवाद हो रहा है? स्थानीय सूत्रों के अनुसार वह संदेशखाली विधानसभा में तृणमूल के संयोजक हैं. इसके अलावा शाहजहां के पास जिला परिषद के मछली और पशु मामलों के निदेशक का पद भी है. इलाके में उन्हें राज्य मंत्री ज्योतिप्रिय मल्लिक के ‘करीबी’ के रूप में जाना जाता है. .

राशन घोटाले और संदेशखाली मामले से आया चर्चा में.

दरअसल, शाहजहां शेख पर पश्चिम बंगाल के राशन वितरण घोटाले में 10 हजार करोड़ का गबन करने का आरोप है.ईडी ने इसी मामले में सबसे पहले बंगाल के पूर्व मंत्री ज्योतिप्रिय मल्लिक को गिरफ्तार किया था. इसके बाद जब ईडी की टीम शाहजहां शेख को पकड़ने संदेशखाली पहुंची तो उसी पर ही हमला हो गया था. राशन भ्रष्टाचार मामले में ज्योतिप्रिय को ईडी ने गिरफ्तार किया था और अब शेख शाहजहां को गिरफ्तार कर लिया गया है.

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2011 में शाहजहां शेख ने तृणमूल का दामन थामा था

2011 में लेफ्ट को सत्ता से बेदखल कर तृणमूल कांग्रेस सत्ता में आई थी. एक चौथाई का दावा है कि वामपंथियों के सत्ता के गलियारों से चले जाने के बाद शाहजहां ने लाल सेना छोड़ दी और तृणमूल में शामिल हो गये. प्रारंभ में किसी पद पर नहीं रहे. लेकिन शाहजहां के संगठनात्मक कौशल को एक शीर्ष तृणमूल नेता ने ‘देख लिया. शाहजहां को उनके हाथ से तृणमूल का पद मिल गया. फिर शाहजहां के पद में बढ़ोत्तरी होती चली गई.

17 कारों के साथ है करोड़ों की संपत्ति का मालिक

राज्य चुनाव आयोग में दायर हलफनामे के अनुसार, शाहजहां के पास करोड़ों की संपत्ति है. इसमें 17 वाहन, 2.5 करोड़ रुपये के सोने के गहने और 14 एकड़ से अधिक जमीन शामिल है. इन सबकी कुल कीमत चार करोड़ रुपये है.इसके अलावा, उसी हलफनामे में बताया गया है कि उसके पास बैंक में 1.92 करोड़ रुपये जमा हैं.

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