38.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

Lok Sabha Election 2024: पुरुलिया की जंग में व्यक्तिगत कुछ नहीं, एक-दूसरे की पार्टी पर हमला बोल रहे उम्मीदवार

पुरुलिया में लोकसभा चुनाव में तृणमूल और भाजपा एक दूसरे पर जमकर हमला बोल रहे हैं. लेकिन, उम्मीदवारों के बीच किसी प्रकार की व्यक्तिगत टिप्पणी नहीं हो रही.

Lok Sabha Election 2024|पुरुलिया, हंसराज सिंह : पश्चिम बंगाल की पुरुलिया लोकसभा सीट पर इस बार सीधी टक्कर राज्य और केंद्र में सत्तारूढ़ प्रमुख दलों के बीच ही दिख रही है. यहां भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के उम्मीदवार हैं पार्टी के युवा नेता ज्योतिर्मय सिंह महतो, जबकि तृणमूल कांग्रेस ने शांति राम महतो को अपना उम्मीदवार बनाया है. बाकी उम्मीदवार भी अपनी उपस्थिति दर्ज कराने के प्रयास में दिन रात कुछ न कुछ कर ही रहे हैं, पर तृणमूल-भाजपा के बीच की जंग लोगों की दृष्टि आकर्षित कर रही है.

पुरुलिया में उम्मीदवार एक-दूसरे की पार्टी पर खूब बोल रहे हमला

दोनों प्रमुख दलों (भाजपा-तृणमूल) के उम्मीदवार एक-दूसरे की पार्टी पर खूब हमले कर रहे हैं. लोगों को बताने की कोशिश कर रहे हैं कि कैसे दूसरे के चलते लोगों को क्षति हो रही है या हो सकती है. तृणमूल प्रत्याशी भाजपा को जुमलेबाज पार्टी बता रहे हैं, तो भाजपा के उम्मीदवार तृणमूल को कट मनी और तोलेबाजों की जमात बता रहे हैं. तृणमूल के उम्मीदवार जहां देश में बेरोजगारी और महंगाई पर भाजपा को घेर रहे हैं, वहीं भाजपा वाले तृणमूल की सरकार और उसके प्रशासन को उदाहरण गिना-गिना कर भ्रष्ट बता रहे हैं.

विरोधी उम्मीदवार की नाकामियां गिना रहे बीजेपी-टीएमसी नेता

भाजपा और तृणमूल कांग्रेस के उम्मीदवार एक-दूसरे पर के खिलाफ लोगों के बीच अपनी शिकायतें दर्ज करा रहे हैं. प्रमुख उम्मीदवारों का जोर अपनी उपलब्धियों से भी ज्यादा विरोधी उम्मीदवार की नाकामियां गिनाने पर है.

भाजपा सांसद ज्योतिर्मय सिंह महतो ने कुछ नहीं किया 5 साल में

तृणमूल उम्मीदवार शांति राम महतो कहते हैं कि पिछले पांच वर्षों में भाजपा उम्मीदवार ज्योतिर्मय सिंह महतो, जो निवर्तमान सांसद भी हैं, ने अपने सांसद मद से कुछ भी खर्च नहीं किया. यह कि उन्हें 25 करोड़ रुपये इस मद में बीते पांच सालों में मिले, पर इलाके में विकास का कोई भी कार्य नहीं हुआ. एक सांसद होने के नाते उन्हें यहां के गरीबों के लिए 100 दिन की रोजगार गारंटी योजना का मामला संसद में उठाना चाहिए था. इसी तरह आवास योजना की बात भी उठानी चाहिए थी. पर उन्होंने ऐसा भी नहीं किया. वह चाहते तो काफी कुछ कर सकते थे, पर किया कुछ भी नहीं.

मामले उलझाते हैं, काम करने ही नहीं देते टीएमसी वाले : सांसद

अपना पक्ष रखते हुए भाजपा उम्मीदवार और पुरुलिया के निवर्तमान सांसद ज्योतिर्मय सिंह महतो कहते हैं कि पिछले पांच वर्षों में कई बार उन्होंने यहां विकास के लिए नियमों के तहत जिला शासक (डीएम) को कई कार्यों के लिए ब्योरा प्रस्तुत किया था, पर राजनीतिक कारणों से आज तक काम कराने की अनुमति नहीं मिली. दरअसल, तरह-तरह के पेंच डाल कर यहां काम ही नहीं करने दिया जाता. हालांकि उन्होंने अपने सांसद मद के पैसे से यहां कई गांवों में सौर ऊर्जा से चलने वाले वाटर पंप और बिजली के खंभे आदि लगवाए हैं.

पुरुलिया पर तो दशकों से फॉरवर्ड ब्लॉक का कब्जा था. चारों ओर केवल वाममोर्चा की हवा होती थी. लगता ही नहीं था कि वे कभी जायेंगे. पर 2014 में मैंने यह सीट तृणमूल के लिए जीती थी. यह अलग बात है कि 2019 में भाजपा की लहर में हमें पुरुलिया में हार स्वीकार करना पड़ा था. अब लोग काफी बुद्धिमान हो गये हैं. सतर्क-सावधान हैं. सोच-समझ कर वोटिंग करते हैं. उम्मीद है कि इस बार भी लोग अपने हितों का ध्यान रख कर ही वोटिंग करेंगे.

मृगांक महतो, पूर्व सांसद, पुरुलिया

पुरुलिया के लोगों के लिए वंदे भारत जैसी ट्रेन चलवाई

उन्होंने कहा कि पुरुलिया वासियों की सुविधा के लिए वंदे भारत जैसी ट्रेन की बात भी वह अपने पक्ष में बताते हैं. इस लोकसभा क्षेत्र के कई स्टेशनों को अमृत भारत स्टेशन परियोजना के तहत करोड़ों रुपये की लागत से अत्याधुनिक बनाये जाने की हुई पहल को भी वह अपने खाते में जोड़ रहे हैं.

Purulia Railway Station Lok Sabha Election West Bengal
पुरुलिया रेलवे जंक्शन. फोटो : प्रभात खबर

हर घर नल हर घर जल योजना के लिए करोड़ों रुपए मिले

भाजपा उम्मीदवार बताते नहीं थकते कि कैसे लेटेस्ट तकनीक और मानदंड के मुताबिक यहां केंद्र नेशनल हाईवे का कायापलट हो रहा है. हर घर नल हर घर जल योजना के तहत करोड़ों रुपये पुरुलिया के लिए प्रदान किये जाने का भी वह दावा करते हैं. पर लगे हाथ यह भी कहते हैं कि राज्य की तृणमूल सरकार की उदासीनता के कारण लोगों को आज भी पानी के लिए तरसना पड़ता है.

बंगाल में आवास योजना पर भी ज्योतिर्मय सिंह महतो ने उठाए सवाल

आवास योजना पर उठते सवाल के जवाब में वह कहते हैं कि केंद्र सरकार द्वारा आवास योजना के लिए करोड़ों की रकम दी गयी है, पर यहां की सरकार गरीबों का यह कार्य भी होने नहीं दे रही है. सौ दिन की रोजगार योजना के तहत यहां हुए कथित घोटाले की चर्चा करते हुए वह कहते हैं कि असली हकदाओं को ही इस योजना से यहां की राज्य सरकार ने वंचित कर दिया. पूरी प्रक्रिया पर जांच की मांग की गयी है. राज्य सरकार इस मामले में एक सटीक रिपोर्ट तक नहीं दे रही है.

हमने कितने चुनाव कवर किया, यह नहीं आता. अनगिनत कह सकते हैं आप. पर, इस बीच में चुनाव से जुड़े पत्रकारीय कामकाज में भी काफी बदलाव दिखने लगा है. खास कर सोशल मीडिया के चलते हालात और भी बिगड़े हैं. हर पल सच को झूठ बनाया जा रहा है और झूठ को सच. आम लोगों को कंफ्यूज करने की हर कोशिश हो रही है. पर, तब भी मैं आश्वस्त हूं कि ऐसे पत्रकार और मीडिया की कमी नहीं, जो निडर और निर्भीक होकर अपना काम धर्म भाव से किये जा रहे होंगे, चुनाव और चुनाव में शामिल दल या व्यक्ति विशेष से बिना प्रभावित हुए. हमें इस मामले में युवा पत्रकारों से ज्यादा उम्मीद रहती है.

संजीत गोस्वामी, वरिष्ठ पत्रकार, पुरुलिया

व्यक्तिगत हमले से बचते दिख रहे भाजपा-तृणमूल प्रार्थी

पुरुलिया के उम्मीदवारों के साथ एक अच्छी बात यह दिख रही है कि यहां भाजपा और तृणमूल के दो प्रमुख उम्मीदवार एक-दूसरे पर ज्यादा व्यक्तिगत आक्षेप नहीं कर रहे. मैदान में निकलने पर लोगों के बीच दोनों एक-दूसरे के दल की खबर ले रहे हैं. भाजपा उम्मीदवार तृणमूल सरकार कट मनी तथा तोलाबाजी (रंगदारी) की सरकार बताते हैं. वह तृणमूल की सरकार को भ्रष्टाचारी सरकार बताते नहीं थक रहे. दूसरी ओर शांति राम महतो केंद्र की सरकार को जुमलेबाजी करनेवाली सरकार बताते हैं. वह केंद्र सरकार और भाजपा पर उसके वादों से पीछे हट जाने का आरोप लगाते हैं. महंगाई और बेरोजगारी को भी वह भाजपा का फेल्योर बताते हैं.

केंद्र-राज्य, दोनों की खिंचाई कर रहे कांग्रेस उम्मीदवार

दूसरी ओर कांग्रेस उम्मीदवार नेपाल महतो का दावा है इस बार इस चुनाव में लोगों ने अपना मन बना लिया है कि उन्हें क्या करना है. एक ओर केंद्र में जुमलेबाजी करनेवाली सरकार है, तो दूसरी ओर राज्य में तृणमूल कांग्रेस का भ्रष्टाचारी सरकार है. इन दोनों सरकारों से पुरुलियावासी अपना मुंह मोड़ चुके हैं. वह आरोप लगाते हैं कि तृणमूल और भाजपा जैसे दलों और इनकी सरकारों ने आम लोगों का जीना मुश्किल कर दिया है. यह भी आमलोगों में भारी ऊब है इनसे. वह कहते हैं कि इस बार चुनाव मैदान में वोटों का समीकरण भी बदला-बदला दिखेगा.

किसी को रोटी-सब्जी पसंद है, तो किसी को मुढ़ी और खीरा

39 वर्ष के भाजपा के युवा नेता ज्योतिर्मय सिंह महतो के समर्थक मान रहे हैं कि उनके नेता को कम उम्र और सेहतमंदी का लाभ मिल रहा है. वह सुबह हल्के-फुल्के नाश्ते के साथ ही प्रचार कार्य में निकल पड़ते हैं. नाश्ते में दो रोटी और सब्जी को ही काफी बताते हैं. हां, दोपहर में वह हल्का चावल-दाल सब्जी के साथ लेते हैं. साथ में थोड़ा दही भी. दूसरी ओर तृणमूल उम्मीदवार चूंकि ज्यादा उम्र के हैं, तो वह और भी संभले रहते हैं. खानपान में भी संयम की बात करते हैं. कड़ी धूप में भी गांव-गांव शहर-शहर कभी पैदल तो कभी चार पहिया वाहन में चढ़ कर चुनाव प्रचार कर रहे हैं.

युवा उम्र में हम लोगों ने जिस तरह का चुनाव देखा है, अब वह नहीं है. काफी परिवर्तन हो चुका है. हमारी युवावस्था में बैलट पेपर पर मोहर लगा कर हम मतदान करते थे. आज खाली कहते हैं लोकतंत्र का उत्सव, पर अब तो चुनाव में काफी तनाव होता है. लोग मानो एक-दूसरे दुश्मन बने हुए हों. हमारी जवानी के दौर में ऐसा नहीं था. कभी-कभार किसी बात को लेकर कुछ बकझक हो भी गयी, तो थोड़ी देर बाद ही हम सभी साथ हो लेते थे. आज तो जिस तरह से हिंसा हो रही है, वह देख कर काफी निराशा होती है. इससे लोकतंत्र रोज शर्मसार हो रहा है. अच्छा होता कि सब मिल कर हिंसा को राजनीति से दूर कर देते.

उत्तम राय, वरिष्ठ नागरिक, रघुनाथपुर नंदवारा, पुरुलिया

तृणमूल प्रार्थी सुबह में मुढ़ी और खीरा आदि नाश्ते में लेकर प्रचार कार्य शुरू करते हैं. दोपहर में वह भी भात-दाल खाना पसंद करते हैं. साथ में सब्जी के अतिरिक्त थोड़ी मछली व दही आदि भी भोजन का हिस्सा होते हैं. शांति राम महतो बताते हैं कि वह हमेशा अपने साथ हल्का गर्म पानी रखते हैं. बीच-बीच में इसी का सेवन करते हैं.

दिनचर्या का सामान्य हिस्सा है पूजा-पाठ भी

पुरुलिया लोकसभा क्षेत्र के दोनों प्रमुख उम्मीदवारों में एक समानता भी है. दोनों उम्मीदवार प्रतिदिन सुबह पूजा-अर्चना अवश्य करते हैं. दोनों ही उम्मीदवार पूजा-पाठ को अपनी दिनचर्या का सामान्य हिस्सा बताते हैं. ऐसा नहीं कि चुनाव है, इसलिए पूजा-पाठ में लगे हों. हां, पर यह भी है कि चुनाव प्रचार का प्रेसर चाहे जितना भी हो, अपनी दिनचर्या में पूजा के लिए तय समय में कोई कटौती नहीं है.

वस्त्र के मामले में गर्मी है मुख्य फैक्टर

राज्य और देश के दूसरे हिस्सों की तरह पुरुलिया भी कड़ी धूप और गर्मी से अछूता नहीं है. गर्मी का आलम यह है कि दोपहर में कई दिन सड़कें खाली देखी गयीं. अगर चुनावी हलचल जैसा मामला नहीं होता, तो बिल्कुल मैदान जैसी होतीं ये सड़कें. चुनाव लड़ रहे लगभग सभी उम्मीदवार घर से निकलते वक्त इस बात का पूरा ध्यान रख रहे हैं कि उन्हें कमोबेश दिन भर कड़ी धूप और गर्मी के बीच मतदाताओं से मिलने के चक्कर में भागते ही रहना होगा.

इसलिए पहनावे-ओढ़ावे में भी ये उम्मीदवार सावधानी बरत रहे हैं. खासकर सूती के लिबास को ही प्राथमिकता दे रहे हैं. ऊपर से इस बात का भी ख्याल रख रहे कि कपड़े ऐसे हों, जिनके चलते अत्यधिक पसीना न निकले और निकले भी तो तुरंत सूख जाये. अधिकतर उम्मीदवार व्हाइट कपड़े पहन कर मतदाताओं के बीच पहुंच रहे हैं. विशेष कर पायजामा-कुर्ता, स्पोर्ट्स शूज आदि. सुबह में पूजा-पाठ और नाश्ते के बाद वेल ड्रेस्ड होकर ये उम्मीदवार इस तरह निकलते रहे हैं कि दिनभर थोड़े-बहुत कंफर्ट के साथ ये अपना प्रचार-प्रसार कर सकें.

इसे भी पढ़ें

Lok Sabha Election 2024 : छठे चरण के लोकसभा चुनाव में हर चार उम्मीदवारों में से एक करोड़पति

West Bengal News: बंगाल में खंड-खंड हो जाएगी टीएमसी, कांथी में अमित शाह ने भरी हुंकार

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें