कोलकाता. तृणमूल कांग्रेस ने राज्य के मुख्य चुनाव अधिकारी को पत्र लिखकर मुख्य चुनाव आयुक्त के बयान और बूथ स्तरीय अधिकारियों को जारी दिशा-निर्देशों के बीच विरोधाभास को लेकर गंभीर आपत्ति जतायी है. पार्टी का कहना है कि इस असंगति के कारण राज्यभर में बीएलओ. अधिकारियों के कामकाज में भ्रम और रुकावटें पैदा हो रही हैं. पत्र में कहा गया है कि 27 अक्तूबर 2025 को भारत निर्वाचन आयोग की प्रेसवार्ता में मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने स्पष्ट रूप से कहा था कि मतदाता सूची में व्यक्ति अपने या अपने किसी रिश्तेदार का नाम जोड़ सकता है. उन्होंने विशेष रूप से ‘चाचा’ यानी अंकल का उदाहरण देते हुए कहा था कि ऐसे रक्त संबंधियों के नाम भी जोड़े जा सकते हैं. इससे यह संकेत मिला था कि केवल माता-पिता या दादा-दादी ही नहीं, बल्कि अन्य पारिवारिक रिश्ते भी मान्य होंगे.
लेकिन बीएलओ को दिये गये दिशा-निर्देश और सॉफ्टवेयर प्रणाली में इस कथन का पालन नहीं किया गया है. वर्तमान प्रणाली में केवल पुत्र, पुत्री, पोता, पोती और तृतीय लिंग तक ही विकल्प उपलब्ध है. भाई, बहन, चाचा जैसे अन्य रिश्तेदारों के लिए कोई प्रावधान नहीं है. इससे कई योग्य मतदाताओं के नाम सूची में जोड़े नहीं जा पा रहे हैं और बीएलओ अधिकारी डेटा प्रविष्टि करने में असमर्थ हो रहे हैं. तृणमूल कांग्रेस ने इसे गंभीर प्रशासनिक चूक बतायी है.
पत्र में मंत्री अरूप विश्वास का हस्ताक्षर है. पार्टी ने अपने पत्र के साथ 27 अक्तूबर की प्रेस वार्ता का वीडियो लिंक भी संलग्न किया है, जिसमें मुख्य चुनाव आयुक्त का यह बयान दर्ज है.
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