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राज्य में ट्रांसजेंडर साक्षरता दर 58.83 प्रतिशत

यूपी-बिहार की तुलना में बंगाल में ट्रांसजेंडरों की साक्षरता दर अधिक

कोलकाता. राज्य के स्वास्थ्य विभाग ट्रांसजेंडरों के प्रति सरकारी अस्पतालों के चिकित्सकों को और अधिक संवेदनशीलता और मानवीय दृष्टिकोण के साथ काम करने को कह रहा हे. इसी बीच एक आंकड़ा सामने आया है, जिसके अनुसार पश्चिम बंगाल देश का पांचवां ऐसा राज्य है, जहां ट्रांसजेंडरों की संख्या अन्य राज्यों की तुलना में अधिक है. दूसरी ओर राज्य में ट्रांसजेंडरों की साक्षरता दर उत्तर प्रदेश और बिहार की तुलना में अधिक है. 2011 में हुए जनगणना के अनुसार, देश में ट्रांसजेंडरों यानी तीसरे लिंग वाले लोगों की संख्या चार लाख 87 हजार 803 है. वहीं, देश में 56.07 फीसदी ट्रांसजेंडर्स साक्षर हैं. मंगलवार को राज्य स्वास्थ्य विभाग में इंस्टीट्यूट ऑफ साइकियाट्री (आइओपी) के साइकेट्रिस्ट सोशल वर्क विभाग और चाइल्ड इन नीड इंस्टीट्यूट (सिनी) की ओर से आयोजित कार्यक्रम सपोर्टिंग होलिस्टिक वेलबीइंग : जेंडर अफर्मिंग हेल्थ केयर प्रैक्टिसेस नाम कार्यक्रम में सिनी की ओर से स्वाती चक्रवर्ती ने उक्त जानकारी दी.

पश्चिम बंगाल में 58.83 फीसदी ट्रांसजेंडर साक्षर

2011 में हुए जनगणना के अनुसार, देश में उत्तर प्रदेश ऐसा राज्य है, जहां ट्रांसजेंडरों की संख्या सबसे अधिक है. इस राज्य में एक लाख 37 हजार 465 तीसरे लिंग वाले लोग हैं. यहां इनकी साक्षरता की दर 55.80 फीसदी है. ट्रांसजेंडरों की जनसंख्या के मामले में आंध्र प्रदेश दूसरे स्थान पर हैं. यहां 43,679 ट्रांसजेंडर हैं. जबकि, साक्षरता की दर 53.33 फीसदी है. तीसरे स्थान पर महाराष्ट्र है. यहां 40,891 तीसरे लिंग वाले लोग हैं. जबकि, साक्षरता की दर 67.57 % है. वहीं बिहार में 40 हजार 827 ट्रांसजेंडर हैं. यहां इनकी साक्षरता की दर 44.35 फीसदी है. जबकि पश्चिम बंगाल पांचवां ऐसा राज्य है, जहां तीसरे लिंग वाले वाले लोगों की संख्या सबसे अधिक है. राज्य में 30 हजार 349 ऐसे लोग हैं, पर साक्षरता की दर उत्तर प्रदेश, बिहार और आंध्र प्रदेश से काफी अधिक है. राज्य में 58.83 % ट्रांसजेंडर साक्षर हैं. वहीं तमिलनाडु ऐसा राज्य है जहां साक्षरता दर देश में सबसे अधिक है. पर ट्रांसजेंडरों के साक्षरता के मामले में पश्चिम बंगाल तमिलनाडु से आगे हैं. तमिलनाडु में 57.78 ट्रांसजेंडर साक्षर हैं. स्वास्थ्य विभाग में आयोजित इस कार्यक्रम में आइओपी के साइकेट्रिस्ट सोशल वर्क विभागाध्यक्ष प्रोफेसर डॉ मयंक कुमार, हेल्थ एंड फैमिली वेलफेयर के निदेशक प्रो डॉ प्रो डॉ कौस्तव नायक, मनो चिकित्सक प्रो. डॉ ओम प्रकाश सिंह, स्वाथ्य विभाग के ज्वाइंट डायरेक्टर प्रो डॉ कैशिक कर समेत अन्य अधिकारी व चिकित्सक भी मौजूद थे. प्रो सिंह ने कहा कि ट्रांसजेंडरों के प्रति स्वास्थ्यकर्मियों को और अधिक सहानुभूति के साथ कार्य करना चाहिए. उन्होंने कहा कि होमोसेक्सुअल और ट्रांसजेंडर्स भी समाज का अभिन्न हिस्सा हैं. ऐसा कोई भी निर्णय नहीं लिया जाना चाहिए, जिससे उन्हें समाज से अलग-थलग महसूस हो. कार्यक्रम में ट्रांसजेंडर्स की भी उपस्थिति रही, जिन्होंने अपनी समस्याएं और अनुभव साझा किये.

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