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मौत के बाद भी बकाया बिल माफ कर अस्पताल ने दिखायी संवेदनशीलता

अक्सर निजी अस्पतालों पर चिकित्सकीय लापरवाही और ओवर बिलिंग की शिकायतें लगती रही हैं, लेकिन इस बार कोलकाता के एक निजी अस्पताल ने संवेदनशीलता का परिचय देते हुए मरीज के परिजनों को बड़ी राहत दी है.

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आयोग के अनुरोध पर अस्पताल ने मानवीय अप्रोच दिखाया

क्लीनिकल एस्टेब्लिशमेंट रेगुलेटरी कमीशन की अपील पर सीएमआरआइ अस्पताल ने दी मरीज के परिजनों को राहत

संवाददाता, कोलकाताअक्सर निजी अस्पतालों पर चिकित्सकीय लापरवाही और ओवर बिलिंग की शिकायतें लगती रही हैं, लेकिन इस बार कोलकाता के एक निजी अस्पताल ने संवेदनशीलता का परिचय देते हुए मरीज के परिजनों को बड़ी राहत दी है. वेस्ट बंगाल क्लीनिकल एस्टेब्लिशमेंट रेगुलेटरी कमीशन के आग्रह पर सीएमआरआइ ने इलाज खर्च में भारी छूट दी है. कमीशन के चेयरमैन एवं पूर्व जस्टिस असीम कुमार बनर्जी ने बताया कि रिया पाल ने अपने पिता को जनवरी महीने में सेरेब्रल स्ट्रोक होने पर सीएमआरआइ अस्पताल में भर्ती कराया था. मरीज को स्वास्थ्य बीमा योजना के तहत भर्ती किया गया था. इलाज के दौरान एक फरवरी को उनकी मौत हो गयी. इस दौरान इलाज पर कुल 16 लाख रुपये का खर्च आया, लेकिन स्वास्थ्य बीमा के तहत सिर्फ साढ़े छह लाख रुपये ही स्वीकृत किये गये. मरीज के परिजनों ने अस्पताल में भर्ती के समय केवल साढ़े नौ हजार रुपये ही जमा किये थे. परिजनों की ओर से 29 जनवरी को आयोग से अनुरोध किया गया था कि मरीज का इलाज ‘स्वास्थ्य साथी’ योजना के अंतर्गत किया जाये. उधर, एक फरवरी को मरीज की मौत हो गयी. इसके बावजूद अस्पताल प्रशासन ने पूरे बकाये का भुगतान लिये बिना ही शव को परिजनों को सौंप दिया. कुछ दिन बाद अस्पताल प्रबंधन ने मृतक की बेटी रिया को आठ लाख 66 हजार रुपये के बकाये का भुगतान आठ प्रतिशत वार्षिक ब्याज दर पर करने का पत्र भेजा. रिया ने आयोग से फिर गुहार लगायी कि इतनी बड़ी राशि वह नहीं चुका सकती क्योंकि पिता ही परिवार के कमाने वाले सदस्य थे. पुन: कमीशन ने हस्तक्षेप किया, तो अस्पताल ने राहत प्रदान कर दी.

कमीशन की सिफारिश पर राहत

कमीशन ने मामले की जांच के बाद पाया कि इलाज और बिलिंग में कोई अनियमितता नहीं बरती गयी है. मरीज लंबे समय तक आइसीयू, फिर एचडीयू और अंत में पुनः आईसीयू में भर्ती था. मृत्यु स्वाभाविक थी और किसी प्रकार की लापरवाही सामने नहीं आयी. इसके बाद कमीशन ने अस्पताल से अनुरोध किया कि मृतक के परिजनों पर बकाया वसूली का दबाव न डाला जाये. आयोग की सिफारिश पर अस्पताल ने मानवीय आधार पर बड़ी राहत देते हुए बकाये की वसूली नहीं करने का निर्णय लिया. यह उदाहरण उस संवेदनशीलता और सहानुभूति को दर्शाता है, जिसकी आज चिकित्सा तंत्र में आमतौर पर कमी दिखती है.

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