कोलकाता/भुवनेश्वर. भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आइआइटी) , भुवनेश्वर में तीन दिवसीय प्रथम वार्षिक धर्म अध्ययन सम्मेलन (डीएससी 2025) का आयोजन किया गया है, जो धर्म अध्ययन को एक शोध- संचालित, अंतःविषय क्षेत्र के रूप में संस्थागत बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है. यह सम्मेलन अंग्रेजी विभाग, बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) सहित प्रमुख शैक्षणिक और अनुसंधान संस्थानों के सहयोग से आयोजित किया जा रहा है, जिसमें भक्तिवेदांत संस्थान, भुवनेश्वर, आइआइटी रुड़की का मानविकी एवं सामाजिक विज्ञान विभाग, भक्तिवेदांत अनुसंधान केंद्र, कोलकाता, सम्मक्का सरक्का केंद्रीय जनजातीय विश्वविद्यालय, फ्लेम यूनिवर्सिटी में इंडिया सेंटर और अंग्रेजी और विदेशी भाषा विश्वविद्यालय (ईएफएलयू), हैदराबाद शामिल हैं. उद्घाटन समारोह में विशिष्ट अतिथियों ने भाग लिया, जिनमें मुख्य अतिथि के रूप में गोवर्धन इकोविलेज के निदेशक और इस्कॉन गवर्निंग बॉडी कमीशन के सदस्य गौरांग दास और कार्यक्रम की अध्यक्षता करने वाले आइआइटी भुवनेश्वर के निदेशक प्रोफेसर श्रीपाद कर्मलकर शामिल थे. संयोजक डॉ. अक्षय के. रथ ने एक बहु-विषयक और अंतरसांस्कृतिक क्षेत्र के रूप में धर्म का अध्ययन करने के लिए एक समर्पित शैक्षणिक मंच स्थापित करने की प्रासंगिकता पर प्रकाश डाला. उद्घाटन सत्र के समापन पर संयोजक डॉ नरेश चंद्र साहू ने धन्यवाद ज्ञापन किया. उन्होंने इस वर्ष दो जूरी पुरस्कारों की स्थापना की भी घोषणा की, जिसमें भक्तिवेदांत अनुसंधान केंद्र द्वारा स्थापित एसी भक्तिवेदांत स्वामी प्रभुपाद पुरस्कार, और प्रोफेसर होशंग मर्चेंट द्वारा स्थापित व्हाबिज़ मर्चेंट सर्वश्रेष्ठ निबंध पुरस्कार शामिल हैं.
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