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विस चुनाव से पूर्व तृणमूल की तैयारी तेज

अगले वर्ष होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले तृणमूल कांग्रेस बूथ-दर-बूथ अपनी सांगठनिक ताकत बढ़ाने की रणनीति को तेजी से लागू कर रही है. पार्टी की शीर्ष नेतृत्व ने सांसदों, विधायकों और सभी स्तर के नेताओं को साफ निर्देश दिया है कि विशेषकर उन बूथों पर लगातार बैठकें और प्रचार अभियान चलाए जायें, जहां पिछले चुनाव में तृणमूल कमजोर साबित हुई थी.

कोलकाता.

अगले वर्ष होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले तृणमूल कांग्रेस बूथ-दर-बूथ अपनी सांगठनिक ताकत बढ़ाने की रणनीति को तेजी से लागू कर रही है. पार्टी की शीर्ष नेतृत्व ने सांसदों, विधायकों और सभी स्तर के नेताओं को साफ निर्देश दिया है कि विशेषकर उन बूथों पर लगातार बैठकें और प्रचार अभियान चलाए जायें, जहां पिछले चुनाव में तृणमूल कमजोर साबित हुई थी. पार्टी का कहना है कि ‘बूथ जिसका, वोट उसका’ के सिद्धांत पर चलते हुए बूथ संचालन, मतदाता संवाद और स्थानीय स्तर पर संगठन को और मजबूत करना अब प्राथमिकता है. इसी उद्देश्य से नेताओं को छोटे-स्तर की बैठकें आयोजित करने को कहा गया है, जिनमें 100 से 150 लोगों तक की उपस्थिति हो. जरूरत पड़ने पर सप्ताह में दो से तीन बैठकें करने के भी निर्देश जारी किये गये हैं.

पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव अभिषेक बनर्जी और प्रदेश अध्यक्ष सुब्रत बक्सी ने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की अनुमति के बाद इस अभियान को औपचारिक रूप से शुरू किया है. शीर्ष नेतृत्व के आदेश के बाद जिला से लेकर बूथ स्तर तक संगठन सक्रिय हो गया है. बुधवार से ही कमजोर बूथों की समीक्षा तेज कर दी गयी है, खासकर वे क्षेत्र जहां हाल की बैठकों में अभिषेक बनर्जी ने खराब प्रदर्शन को लेकर नाराजगी जतायी थी.

सूत्रों के अनुसार, राणाघाट, मालदा, उत्तर दिनाजपुर, दक्षिण दिनाजपुर, पूर्व मेदिनीपुर, आसनसोल और अलीपुरदुआर समेत कई जिलों में ऐसे बूथ चिह्नित किये गये हैं जहां तृणमूल पिछले चुनाव में मामूली अंतर से पीछे रही थी. इन क्षेत्रों में स्थानीय नेतृत्व को तुरंत बैठक बुलाकर बूथ की स्थिति की समीक्षा करने और मतदाताओं को फिर जोड़ने की रणनीति तैयार करने के निर्देश दिये गये हैं.

इन मुद्दों पर भी चर्चा : बूथ स्तर पर पिछड़ने के कारणों की पहचान के लिए विभिन्न स्तरों पर आंतरिक चर्चा भी शुरू कर दी गयी है. संगठन यह समझने की कोशिश कर रहा है कि मतदाताओं का रुझान किन कारणों से कम हुआ और स्थानीय मुद्दों को पार्टी के पक्ष में कैसे मोड़ा जा सकता है. इस अभियान में केंद्र की नीतियों से बंगाल को कथित वंचित किये जाने और बंगाल के लोगों के अधिकारों जैसे नैरेटिव को प्रमुख विषय बनाया जा रहा है, ताकि प्रत्यक्ष संवाद के दौरान तृणमूल अपना राजनीतिक संदेश अधिक प्रभावी ढंग से रख सके.

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