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राज्य सरकार को सुप्रीम कोर्ट से झटका

शीर्ष अदालत ने कलकत्ता हाइकोर्ट के उस फैसले पर हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया, जिसमें हाइकोर्ट की खंडपीठ ने आंगनबाड़ी कर्मचारियों की पदोन्नति करने का आदेश दिया था.

आंगनबाड़ी कर्मियों की पदोन्नति का मामला

संवाददाता, कोलकाता

शीर्ष अदालत ने कलकत्ता हाइकोर्ट के उस फैसले पर हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया, जिसमें हाइकोर्ट की खंडपीठ ने आंगनबाड़ी कर्मचारियों की पदोन्नति करने का आदेश दिया था. इससे पहले, कलकत्ता उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति तपोब्रत चक्रवर्ती और न्यायमूर्ति पार्थसारथी चटर्जी की खंडपीठ ने वंचित आंगनबाड़ी कर्मियों के पक्ष में फैसला सुनाया था. राज्य सरकार ने अब आंगनबाड़ी कर्मचारियों की पदोन्नति से जुड़े एक मामले में कलकत्ता उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती देते हुए सर्वोच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था और हाइकोर्ट के फैसले पर रोक लगाने की मांग की थी. मंगलवार को मामले की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश पंकज मित्तल की अध्यक्षता वाली खंडपीठ में हुई. सुनवाई के दौरान आंगनबाड़ी कर्मचारियों की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता एमपी सिंह व अधिवक्ता आशीष कुमार चौधरी ने मामले की पैरवी की. इस दौरान न्यायाधीश ने अधिवक्ताओं से पूछा कि क्यों 25-75 अनुपात पर सुपरवाइजर पद पर नियुक्तियां नहीं की जा रही हैं. इसके जवाब में आइसीडीएस के अधिवक्ता ने कहा कि इससे पहले 1998 में नियुक्ति हुई थी. इसके बाद राज्य सरकार ने 2019 में 3458 पदों पर नियुक्ति के लिए विज्ञप्ति जारी की गयी, लेकिन नियुक्ति प्रक्रिया में केंद्र सरकार के आदेश का पालन नहीं किया गया. इसके बाद न्यायाधीश पंकज मित्तल ने सभी पक्षों को नोटिस जारी करने का निर्देश दिया. मामले की अगली सुनवाई चार सप्ताह बाद होगी.

क्या है मामला : ममता परिहार सहित 415 आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं ने उच्च न्यायालय में एक मामला दायर कर आरोप लगाया था कि राज्य सरकार केंद्र के आदेश की अवहेलना करते हुए आंगनबाड़ी कर्मियों को पदोन्नत करने की बजाय सीधे सुपरवाइजर के पद पर नये सिरे से नियुक्तियां कर रही है. लगभग दो दशकों से वे व्यावहारिक रूप से पदोन्नति के अवसर से वंचित हैं. फिर भी वे राज्य में विभिन्न परियोजनाओं के कार्यान्वयन में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं. 15 सितंबर, 2015 को केंद्र सरकार ने एक निर्देश जारी किया, जिसमें कहा गया था कि पर्यवेक्षकों के पद के 50 प्रतिशत रिक्त पदों को आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं में से पदोन्नति के माध्यम से भरा जाना होगा. आरोप है कि 2019 में राज्य सरकार ने केंद्र सरकार के निर्देशों की अवहेलना करते हुए आंगनबाड़ियों के लिए 3,458 रिक्तियों में से केवल 422 पद आंगनबाड़ी कर्मियों के लिए आरक्षित किये और शेष 3,036 पदों पर सीधी नियुक्ति की अधिसूचना जारी कर दी. हाइकोर्ट ने राज्य सरकार को कुल रिक्त पदों में 50 प्रतिशत आंगनबाड़ी कर्मियों को पदोन्नत कर भरने का आदेश दिया था, जिसके खिलाफ राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था.

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