चुनाव आयोग ने जारी किया दिशा-निर्देश
संवाददाता, कोलकातामतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण ( एसआइआर) के दूसरे चरण में जिन लोगों को सुनवाई के लिए बुलाया जा रहा है, उन्हें वोटर के तौर पर अपनी योग्यता साबित करनी होगी. उन्हें सही दस्तावेज जमा करना पड़ेगा. चुनाव आयोग यह जांच कर देखेगा कि दस्तावेज कहीं फर्जी तो नहीं हैं. गुरुवार को पश्चिम बंगाल समेत 12 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्य चुनाव अधिकारी को भारत निर्वाचन आयोग की ओर से एक पत्र भेज गया है, जिसमें दिशा-निर्देश दिये गये हैं. इसमें जांच करने के तरीके बताये गये हैं.कहा गया है कि सुनवाई के दौरान मिले दस्तावेजों को बूथ स्तरीय अधिकारियों (बीएलओ) के ऐप पर ही अपलोड करना होगा. आयोग ने कहा कि जिन लोगों को सुनवाई के लिए नोटिस दिये जा रहे हैं, उन्हें तय दिन पर पेश होना होगा. डिस्ट्रिक्ट इलेक्शन ऑफिसर (डीइओ) उन सभी दस्तावेजों की जांच करेंगे. डीइओ उस दफ्तर से संपर्क करेंगे, जहां से दस्तावेज दिये गये हैं. संबंधित दफ्तर की जानकारी से तुलना कर दस्तावेजों को सत्यापित (वेरिफाई) किया जायेगा. अगर दस्तावेज एक ही राज्य के अलग-अलग जिलों के हैं, तो मौजूदा जिले का डीइओ ऐप के जरिये दूसरे जिले के डीइओ को वेरिफिकेशन के लिए दस्तावेज भेजेगा. अगर दस्तावेज दूसरे राज्य के हैं, तो उस राज्य के मुख्य चुनाव अधिकारी उन्हें संबंधित राज्य के मुख्य चुनाव अधिकारी को जांच के लिए भेजेंगे.
चुनाव आयोग ने सभी डीइओ, इलेक्शन रजिस्ट्रेशन ऑफिसर्स (इआरओ) और ऑब्जर्वर को इस निर्देश का पालन करने को कहा है. मतदाता को एलिजिबिलिटी का प्रूफ जमा करना होगा. यानी वोटर को खुद यह साबित करना होगा कि उसका मताधिकार वैलिड है. बंगाल में 27 दिसंबर से सुनवाई शुरू होगी. पहले फेज में आयोग 30 लाख से अधिक ‘नो मैपिंग’ वोटर्स को सुनवाई के लिए बुलायेगा.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

