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SIR का खौफ! बंगाल से भाग रहे बांग्लादेशी नागरिक, हर दिन 150-200 लोगों को वापस भेज रहा बीएसएफ

Reverse Migration in West Bengal Due To SIR: पश्चिम बंगाल के उत्तर 24 परगना जिले में भारत-बांग्लादेश की सीमा पर अचानक भीड़ बढ़ गयी है. बोरिया-बिस्तर समेटकर बड़ी संख्या में लोग पश्चिम बंगाल छोड़कर बांग्लादेश जाना चाहते हैं. यह सब हुआ है एसआईआर लागू होने की वजह से. सीमा पर मौजूद कई लोगों ने स्वीकार किया है कि उन्होंने बिचौलियों की मदद से आधार कार्ड, राशन कार्ड, यहां तक कि वोटर कार्ड भी बनवाये थे. उनके पास भारत की नागरिकता का कोई वैध दस्तावेज नहीं है.

Reverse Migration in West Bengal: पश्चिम बंगाल के उत्तर 24 परगना जिले में हाकिमपुर बीएसएफ सीमा चौकी के पास पक्की सड़क से आगे जाने वाला संकरा, धूल और कीचड़ से भरा रास्ता वर्षों से राज्य में रह रहे गैरकानूनी बांग्लादेशियों के लिए लौटने का प्रमुख मार्ग बन गया है. शनिवार को विशाल बरगद के पेड़ के नीचे छोटे-छोटे कपड़ों के बैग लिये परिवार, प्लास्टिक की बोतलें पकड़े बच्चे और पुरुष लंबी कतार में खड़े थे. वे बार-बार बीएसएफ वालों से एक ही गुहार लगा रहे थे- हमें घर जाने दो.

बंगाल में शुरू हुआ ‘रिवर्स माइग्रेशन’

दक्षिण बंगाल सीमा क्षेत्र में सुरक्षाकर्मियों और स्थानीय निवासियों के अनुसार, नवंबर की शुरुआत से बिना दस्तावेज भारत में रह रहे बांग्लादेशी नागरिकों के अपने देश लौटने की कोशिशें तेज हो गयीं हैं. यह असामान्य ‘रिवर्स माइग्रेशन’ का रूप ले चुका है, जिसे अधिकारी और स्वयं ये लोग राज्य में शुरू हुए मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआइआर) से जोड़कर देख रहे हैं.

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सामान और बच्चों के साथ बांग्लादेश लौटने के इंतजार में बैठी महिला. पास में सो रहे हैं कई लोग.

शाहीन बीबी के पास नहीं है कोई दस्तावेज, लौटना चाहती है खुलना

खुद को खुलना जिले की निवासी बताने वाली शाहीन बीबी कोलकाता के पास न्यू टाउन में घरेलू सहायिका का काम करती थी. अपने छोटे बच्चे के साथ सड़क किनारे इंतजार कर रही थी. उसने कहा- मैं यहां इसलिए आयी थी, क्योंकि हम बहुत गरीब थे. मेरे पास कोई सही दस्तावेज नहीं है. अब खुलना लौटना चाहती हूं. इसलिए यहां आयी हूं.

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बांग्लादेश लौटने से पहले जांच के इंतजार में बैठे लोग.

बिचौलियों की मदद से बनवा लिये थे आधार, राशन कार्ड और मतदाता पहचान पत्र – शाहीन

शाहीन बीबी ने कहा कि वह लगभग 20,000 रुपए महीना कमाती थी. 2 महिलाओं के साथ एक कमरे में रहती थी और नियमित रूप से घर पैसे भेजती थी. कतार में खड़े कई लोगों ने स्वीकार किया कि पश्चिम बंगाल में रहने के दौरान उन्होंने दलालों और बिचौलियों की मदद से आधार कार्ड, राशन कार्ड या मतदाता पहचान पत्र बनवाये थे. एसआइआर के दौरान पुराने दस्तावेज मांगे जाने के कारण वे पूछताछ और संभावित हिरासत के जोखिम से बचना चाहते हैं.

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Reverse Migration in West Bengal: 8 साल से कोलकाता में रह रहे युवक ने कहा- अब यहां नहीं रहना

कोलकाता में आठ साल से रह रहे एक युवक ने कहा कि अब यहां नहीं रहना. अगर वे पुराने दस्तावेजों की जांच करेंगे, तो हमारे पास दिखाने के लिए कुछ नहीं होगा. पूछताछ से पहले निकल जाना ही बेहतर है. इसी तरह न्यू टाउन, बिराटी, धूलागढ़, बामनगाछी, घुसुड़ी और हावड़ा के औद्योगिक इलाकों से आये पुरुष, महिलाएं और परिवार भी इसी डर से लौटने की कोशिश कर रहे हैं. कुछ लोग 10 साल से अधिक समय से राज्य में रह रहे थे, जबकि कुछ हाल के वर्षों में ही आये थे.

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बांग्लादेश लौटने वालों की सीमा पर बढ़ गयी है भीड़.

150-200 लोगों को सत्यापन के बाद वापस भेज रहा बीएसएफ

सीमा पर तैनात अधिकारी इस बढ़ोतरी की पुष्टि करते हैं. उनके अनुसार रोजाना 150-200 लोगों को सत्यापन के बाद हिरासत में लेकर वापस भेजा जा रहा है. कतारें चार नवंबर से तेजी से बढ़नी शुरू हुईं, जिस दिन एसआइआर प्रक्रिया शुरू हुई. बीएसएफ के एक अधिकारी ने कहा कि हम यह मान नहीं सकते कि यहां मौजूद हर व्यक्ति अपने घर लौट रहा है. सत्यापन अनिवार्य है. बायोमेट्रिक विवरण जिले के अधिकारियों और राज्य पुलिस को भेजे जाते हैं. इसमें समय लगता है.

क्या है रिवर्स माइग्रेशन?

रोजगार की तलाश में लोग कई बार अपना शहर, राज्य या देश छोड़कर अन्यत्र चले जाते हैं. अचानक से जब ये लोग बिना किसी ठोस वजह के अपने घर वापसी करने लगते हैं, तो इसे रिवर्स माइग्रेशन कहते हैं.

पश्चिम बंगाल में क्यों हो रहा रिवर्स माइग्रेशन?

पश्चिम बंगाल में वर्ष 2026 में विधानसभा के चुनाव होने वाले हैं. इससे पहले निर्वाचन आयोग ने चुनावी राज्य में एसआइआर की प्रक्रिया शुरू कर दी. ऐसे लोग जो बिना किसी दस्तावेज के बंगाल में वर्षों से रह रहे हैं, वे जांच से बचने के लिए जल्द से जल्द किसी तरह अपने देश बांग्लादेश लौट जाना चाहते हैं. इसलिए यहां से लोगों के पलायन ने ‘रिवर्स माइग्रेशन’ का रूप ले लिया है.

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Mithilesh Jha
Mithilesh Jha
प्रभात खबर में दो दशक से अधिक का करियर. कलकत्ता विश्वविद्यालय से कॉमर्स ग्रेजुएट. झारखंड और बंगाल में प्रिंट और डिजिटल में काम करने का अनुभव. राजनीतिक, सामाजिक, राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय विषयों के अलावा क्लाइमेट चेंज, नवीकरणीय ऊर्जा (RE) और ग्रामीण पत्रकारिता में विशेष रुचि. प्रभात खबर के सेंट्रल डेस्क और रूरल डेस्क के बाद प्रभात खबर डिजिटल में नेशनल, इंटरनेशनल डेस्क पर काम. वर्तमान में झारखंड हेड के पद पर कार्यरत.

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