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दो अस्पतालों की पोस्टमार्टम रिपोर्ट एक दूसरे से भिन्न

हाइकोर्ट ने कहा- व्यवस्था से उठ जायेगा आम लोगों का विश्वास

हाइकोर्ट ने कहा- व्यवस्था से उठ जायेगा आम लोगों का विश्वास

कोलकाता. कलकत्ता उच्च न्यायालय ने पूर्व मेदिनीपुर के खेजुरी में दो लोगों की असामान्य मौत की जांच पर संदेह व्यक्त किया है. न्यायाधीश देबांग्शु बसाक और न्यायाधीश सब्बार रसीदी की खंडपीठ ने सवाल उठाया कि दो अस्पतालों की पोस्टमार्टम रिपोर्ट अलग-अलग कैसे हो सकती है. इस घटना की जांच सीआइडी कर रही है. हालांकि, अदालत अभी सीबीआइ जांच के बारे में नहीं सोच रही है. अदालत अगली सुनवाई में इस घटना में शामिल 17 लोगों के कॉल रिकॉर्ड देखना चाहती थी. खंडपीठ ने सवाल उठाया कि दूसरे पोस्टमार्टम के बाद यातना के निशान कैसे मिल सकते हैं. जब मेले में इतनी बड़ी घटना हुई तो प्रत्यक्षदर्शी का बयान क्यों नहीं है? इसके बाद अदालत ने कहा कि गवाह डर से सामने नहीं आ रहे हैं. खंडपीठ ने सीआईडी को गवाहों का डर दूर करने को कहा. न्यायाधीशों ने कहा कि यह मौत बिजली का खंभा टूटने से शायद नहीं हुई होगी. क्योंकि शरीर पर चोट के कई निशान हैं, जो दूसरे पोस्टमार्टम में सामने आये हैं. अदालत ने घटना में दो अलग-अलग पोस्टमार्टम की अलग-अलग रिपोर्टों पर भी संदेह व्यक्त किया.

न्यायाधीश देबांग्शु बसाक ने कहा, दोनों पोस्टमार्टम रिपोर्ट अलग-अलग हैं. दो अस्पतालों की दो रिपोर्ट. अगर ऐसा है तो आम जनता का पूरी व्यवस्था से विश्वास उठ जायेगा. अदालत ने सीआइडी को सभी संदिग्ध मोबाइल फोन की कॉल रिकॉर्डिंग की पुष्टि करने को कहा. डॉक्टर, जांच अधिकारी और ओसी समेत बाकी 17 लोगों की फोन रिकॉर्डिंग की जांच की जाये. फिलहाल इन 17 लोगों को जांच के दायरे में लाया जाये. हाईकोर्ट ने कहा कि अगर जरूरत पड़ी तो अदालत बाद में सीबीआइ जांच के पर विचार करेगी.

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