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संपत्ति के फर्जी दस्तावेज को चिह्नित व जब्त नहीं कर सकेंगे जिला रजिस्ट्रार

पंजीकरण के लिए दिये गये दस्तावेजों का सत्यापन करना भी उनकी जिम्मेदारी है.

राज्य सरकार के फैसले पर कलकत्ता उच्च न्यायालय ने लगायी रोक कोलकाता. कलकत्ता हाइकोर्ट ने जिला रजिस्ट्रारों को फर्जी संपत्ति दस्तावेजों की पहचान करने और उन्हें जब्त करने के लिए राज्य सरकार द्वारा दी गयी शक्ति को खारिज कर दिया है. इस मामले की सुनवाई करते हुए मुख्य न्यायाधीश टीएस शिवगणनम और न्यायमूर्ति चैताली चटर्जी (दास) की खंडपीठ ने कहा कि जिला रजिस्ट्रार का काम दस्तावेजों की जांच कर संपत्ति का पंजीकरण करना है. पंजीकरण के लिए दिये गये दस्तावेजों का सत्यापन करना भी उनकी जिम्मेदारी है. लेकिन अगर जाली दस्तावेजों का इस्तेमाल करके संपत्ति का पंजीकरण कराया गया है, तो इससे संबंधित मामलों की सुनवाई के लिए सिविल कोर्ट को जिम्मेदारी दी गयी है. जिला रजिस्ट्रार के पास जाली दस्तावेजों के जरिए संपत्ति के रिकॉर्ड बदलने के आरोपों की जांच करने और उन्हें रद्द करने का कोई अधिकार नहीं है. इस टिप्पणी में मुख्य न्यायाधीश की खंडपीठ ने एकल पीठ द्वारा दिये गये फैसले को खारिज करते हुए भूमि सुधार विभाग के प्रधान सचिव द्वारा 17 जनवरी 2020 को जारी अधिसूचना को भी रद्द कर दिया. गौरतलब है कि हाइकोर्ट के इस आदेश के बाद नया सवाल खड़ा हो गया है. क्योंकि पिछले पांच वर्षों में जिला रजिस्ट्रारों ने जिन दस्तावेजों को फर्जी बताया है और रद्द किया है, उनका क्या होगा? उल्लेखनीय है कि राज्य के विभिन्न हिस्सों में फर्जी दस्तावेजों का उपयोग करके दूसरे लोगों की संपत्ति दर्ज करने के कई आरोपों पर त्वरित कार्रवाई करने के लिए 2020 में राज्य भूमि विभाग के तत्कालीन प्रधान सचिव और भूमि सुधार आयुक्त ने एक अधिसूचना जारी कर जिला रजिस्ट्रारों को इसे दर्ज करने की जिम्मेदारी सौंपी थी. ब्लॉक भूमि अधिकारियों को निर्देश दिया गया कि वे जाली दस्तावेजों के किसी भी आरोप को जिला रजिस्ट्रार के पास भेजें. रजिस्ट्रार को निर्देश दिया गया कि यदि दस्तावेज फर्जी साबित होते हैं तो उन्हें रद्द कर दिया जाए तथा पुलिस थाने में आपराधिक शिकायत दर्ज कराई जाये. गौरतलब है कि पूर्व बर्दवान में कथित तौर पर जाली दस्तावेजों के मामले में उच्च न्यायालय की एकल पीठ ने राज्य की अधिसूचना को बरकरार रखा और जिला रजिस्ट्रार को कार्रवाई करने का आदेश दिया. लेकिन उस आदेश को मुख्य न्यायाधीश की खंडपीठ में चुनौती दी गयी. उस सुनवाई में पिछले सप्ताह मुख्य न्यायाधीश की खंडपीठ ने एकल पीठ के आदेश को खारिज कर दिया और 2020 में जिला रजिस्ट्रार को दी गयी शक्तियों को भी रद्द कर दिया.

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