कोलकाता.
उत्तर बंगाल में भारी बारिश ने चाय उद्योग को बुरी तरह प्रभावित किया है. तेज बारिश के कारण लाखों किलो तैयार चाय की पत्तियां नष्ट हो गयी हैं और कई चाय बागान जलमग्न हो गये हैं. कारखानों के मालिक इस स्थिति से चिंतित हैं. प्रारंभिक अनुमान के अनुसार, इस आपदा से लगभग 75 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है, जबकि चाय व्यापारी संघ का अनुमान है कि नुकसान का आंकड़ा 100 करोड़ रुपये से अधिक हो सकता है. मेखलीगंज स्थित मैनाक टी हिल्स के अधिकारी रविवार की रात तक कई प्रयासों के बावजूद बागानों में प्रवेश नहीं कर सके, क्योंकि नदी का पानी बागानों में घुस गया. चांगमारी चाय बागान कारखाने में पानी घुसने से लगभग पांच करोड़ रुपये की सीटीसी और ग्रीन टी नष्ट हो गयीं. डुआर्स के गेंदापाड़ा, गठिया, गुडहोप, जीती, इविले, आनंदपुर, बानरहाट, नागराकाटा सहित अन्य क्षेत्रों में कम से कम 50 बड़े चाय बागानों को भारी नुकसान हुआ है. चाय व्यापारी संघ के अनुसार, उत्तर बंगाल में 276 बड़े चाय बागान हैं, जिनमें से 82 पहाड़ी क्षेत्रों में हैं. पहाड़ी इलाकों में कम से कम 10 बागान भूस्खलन से नष्ट हो गये, जबकि तराई क्षेत्र के 15 बागान क्षतिग्रस्त हुए हैं. अलीपुरद्वार जिले के कालचीनी ब्लॉक में 100 एकड़ सुभाषिनी चाय बागान बाढ़ में डूब गया. डुआर्स शाखा चाय व्यापारी संघ के सचिव राम अवतार शर्मा ने कहा, “1968 की बाढ़ के बाद जलपाईगुड़ी और अलीपुरद्वार जिलों में चाय उद्योग को इतना बड़ा नुकसान नहीं हुआ. हम राज्य सरकार से समर्थन की अपील कर रहे हैं.” उन्होंने यह भी कहा कि सभी बागानों से संपर्क करना अभी संभव नहीं हो पाया है और अनुमानित नुकसान 100 करोड़ रुपये से अधिक हो सकता है.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

