प्रतिनिधि, हुगली.
जिले का पांडुआ इस वर्ष काली पूजा के भव्य और थीम-आधारित आयोजनों के कारण राज्य भर में चर्चा का केंद्र बना हुआ है. बारासात और नैहाटी की प्रसिद्ध काली पूजा की तरह पांडुआ की श्यामा पूजा भी अब अपनी विशेष पहचान बना रही है. यहां के थीम-आधारित पंडाल, झिलमिल करती रोशनी की सजावट (आलोक सज्जा) और कलात्मक प्रतिमाएं दूर-दराज से आने वाले दर्शकों का मन मोह रही हैं. इस वर्ष पांडुआ में कुल लगभग 200 पूजा समितियां काली पूजा का आयोजन कर रही हैं. इनमें से 48 पूजा समितियां पांडुआ श्यामा पूजा केंद्रीय समिति के अधीन हैं, जिनकी संख्या पिछले वर्ष से दो अधिक है. विगत कुछ वर्षों से यहां की पूजा समितियां थीम-आधारित प्रतियोगिता में शामिल हो रही हैं, जिसके कारण पंडालों में हर साल नयापन और आकर्षण देखने को मिल रहा है.
नीरोदगढ़ सबुज संघ ने अपनी 75वीं वर्षगांठ पर राजस्थान के राजमहल की तर्ज पर एक भव्य पंडाल तैयार किया है. पंडाल के भीतर राजाओं की तस्वीरों, राजमहल के दृश्यों, प्राचीन शस्त्रों के मॉडलों और नृसिंह अवतार की झांकी के माध्यम से मां काली के कृष्ण काली रूप को प्रदर्शित किया गया है. यह पंडाल शक्ति और शांति दोनों का संदेश देता है. पंडाल के उद्घाटन समारोह में क्लब के अध्यक्ष असित चट्टोपाध्याय, सचिव सुजीत दत्ता, सानू चक्रवर्ती और उपदेशक मनोज चक्रवर्ती सहित अन्य पदाधिकारी उपस्थित थे. मध्यमपाड़ा व्यापारी समिति तरुण संघ ने अपनी 58वीं वर्षगांठ के लिए ‘विविध रंग’ थीम चुनी है, जहां मां काली दसभुजा रूप में विराजमान हैं. प्रगति संघ ने दक्षिण भारतीय मंदिर शैली में पंडाल बनाया है.
इसकी सजावट मिट्टी, टेराकोटा, बांस और अन्य परंपरागत सामग्रियों का उपयोग करके की गयी है. मेलातला व्यापारी समिति ने ‘मयूर महल’ थीम अपनाया है, जहां मां दुर्गा काली रूप में स्थापित हैं. शतदल क्लब का पंडाल ‘फलक पर रंगों का उत्सव’ थीम पर आधारित है, जिसे बांस, बेंत और कपड़े से भव्य रूप दिया गया है. इस पूजा का बजट लगभग साढ़े चार लाख रुपये है. पांडुआ श्यामा पूजा केंद्रीय समिति के अध्यक्ष संजय घोष ने बताया कि प्रशासन की ओर से सुरक्षा और यातायात के पुख्ता इंतजाम किये गये हैं. आयोजन की निगरानी हुगली ग्रामीण पुलिस अधीक्षक कामनाशीष सेन, डीएसपी (क्राइम) अभिजीत सिन्हा महापात्र और थाना प्रभारी पलाश विश्वास स्वयं कर रहे हैं. यातायात व्यवस्था के तहत 21 से 23 अक्तूबर तक जीटी रोड और आसपास के क्षेत्रों में भारी वाहनों के प्रवेश पर रोक लगायी गयी है. दर्शनार्थियों के लिए पांच अलग-अलग जगहों पर पार्किंग जोन भी बनाये गये हैं. घोष ने बताया कि प्रतिमाओं का विसर्जन 23 अक्तूबर को भव्य शोभायात्रा के साथ किया जायेगा, जिसमें लगभग 23 पूजा समितियां भाग लेंगी.
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