कोलकाता. कलकत्ता उच्च न्यायालय ने राज्य सरकार को आदिवासी क्षेत्रों में बंद स्कूल को खोलने का आदेश दिया है. शिक्षकों की कमी के कारण स्कूल बंद कर दिया गया था. अदालत ने आदेश दिया कि वहां तुरंत शिक्षकों की नियुक्ति की जाये और कक्षाएं फिर से शुरू की जाएं. पश्चिमी मेदिनीपुर के लोयडा ग्राम पंचायत स्थित कंकारा जूनियर हाई स्कूल में पिछले वर्ष से प्रवेश बंद कर दिया गया है. अधिकारियों के अनुसार, शिक्षकों की कमी के कारण विद्यार्थियों का प्रवेश स्थगित कर दिया गया है. ग्रामीणों के अनुसार, पहले स्कूल में 150-200 छात्र थे. प्रशासन ने शिक्षकों की नियुक्ति बंद कर दी. अब वे स्कूल बंद करना चाहते थे. ग्रामीणों ने स्कूल को बचाने के लिए उच्च न्यायालय में जनहित याचिका दायर की. उनके वकील फिरदौस शमीम ने तर्क दिया कि उस स्कूल में अधिकांश छात्र अनुसूचित जनजाति से हैं. कई छात्र चार किलोमीटर दूर स्थित स्कूल जाने से कतराते हैं, क्योंकि स्कूल बंद है. इससे स्कूल छोड़ने वालों की संख्या बढ़ रही है. अगर, स्कूल नहीं खोले गये तो 70-80 प्रतिशत मूल निवासी परिवारों के बच्चे शिक्षा के अधिकार से वंचित हो जायेंगे. हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश टीएस शिवगनम और न्यायमूर्ति चैताली चटर्जी की खंडपीठ ने कहा कि इस तरह से स्कूल बंद करने से क्षेत्र के लोगों पर असर पड़ेगा. पढ़ाई छोड़ने वालों की संख्या बढ़ेगी. शिक्षा से विमुख होने के कारण बाल श्रमिकों की संख्या भी बढ़ सकती है. समाज के हर स्तर के लोगों को शिक्षा उपलब्ध कराने की आवश्यकता है. यह अस्वीकार्य है कि शिक्षकों की कमी के कारण कोई स्कूल बंद हो जाये. मुख्य न्यायाधीश की खंडपीठ ने आदेश दिया कि शिक्षकों की नियुक्ति कर स्कूल को तुरंत खोला जाये. शिक्षा विभाग को आवश्यकतानुसार शिक्षकों की व्यवस्था करनी होगी. राज्य को यह सुनिश्चित करना होगा कि अगले शैक्षणिक वर्ष से छात्रों को वहां प्रवेश दिया जाये. किसी भी बच्चे को शिक्षा के अधिकार से वंचित नहीं किया जाना चाहिए. शिक्षा विभाग के सूत्रों के अनुसार, अदालत के आदेश के बाद पश्चिमी मेदिनीपुर के उस स्कूल में शिक्षकों की नियुक्ति कर दी गयी है. फिलहाल वहां तीन शिक्षकों को भेजा जा रहा है. हाइकोर्ट ने कहा कि अगर, आवश्यक हो तो आदिवासी क्षेत्र में स्कूल खोलने के लिए बाहरी स्कूलों से शिक्षकों को लाया जाये.
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