श्रीकांत शर्मा, कोलकाता.
मानव तस्करों के लिए आरपीएफ का ऑपरेशन आहट खौफ का पर्याय बनकर उभरा है. रेल मार्ग मानव तस्करों के लिए हमेशा से ही पसंदीदा परिवहन साधन रहा है. लेकिन रेल बोर्ड के निर्देश के बाद ऑपरेशन आहट मानव तस्करी के खिलाफ एक मजबूत ढाल बनकर उभरा है. आरपीएफ द्वारा चलाये जा रहे अभियान के तहत हजारों बच्चों को तस्करों को चंगुल से बचाया गया, जबकि सैकड़ों तस्कर गिरफ्तार भी किये गये. देशभर के स्टेशनों और ट्रेनों में यह अभियान चल रहा है. पिछले एक वर्ष (एक अप्रैल 2024 से पांच मार्च 2025 तक) के बीच पूर्व रेलवे में चलाये गये अभियान के दौरान 101 नाबालिगों को तस्करों के हाथों में जाने बचा लिया गया. इनमें 89 लड़के और छह लड़कियां थीं. आरपीएफ ने छह दो पुरुष और चार महिलाओं को भी बचाया. इस अवधि में 32 मानव तस्कर पकड़े भी गये. मंगलवार को हावड़ा मंडल से 13 तस्करों को गिरफ्तार किया गया.
मानव तस्करों पर लगाम को आरपीएफ कर रहा आधुनिक प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल
मानव तस्करों पर लगाम लगाने के लिए आरपीएफ द्वारा आधुनिक प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल किया जा रहा है. रेलवे स्टेशनों को फेस रिकॉग्नाजेशन सिस्टम ( चेहरे की पहचान प्रणाली) और सीसीटीवी सर्विलांस जैसे आधुनिक सिस्टम से लैस किया गया है. बच्चों को बचाने के लिए उन्नत डेटा एनालिटिक्स और वास्तविक समय की डिजिटल निगरानी का उपयोग किया जा रहा है. 2024 में इस पहल ने 14,756 बच्चों को तस्करी और शोषण से बचाया. इस सिस्टम का इस्तेमाल कर आरपीएफ ने ऑपरेशन आहट और नन्हे फरिश्ते के तहत अब तक 84,000 से अधिक बच्चों को मानव तस्करों से मुक्त कराया है. बता दें कि गृह मंत्रालय ने आरपीएफ को एआइ प्रणाली से लैस करने के लिए 1256 लाख रुपये आवंटित किये हैं.
बच्चों को देते हैं लालच
मानव तस्कर अक्सर महिलाओं और बच्चों को नौकरी, पैसों और बेहतर जीवन का लालच देकर यौन शोषण, जबरन मजदूरी, भीख मंगवाने और यहां तक कि अंग प्रत्यारोपण जैसे घिनौने कामों के लिए इस्तेमाल करते हैं.
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