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अभिषेक ने दी आयोग को चुनौती, तृणमूल सांसदों के साथ बैठक का हो सीधा प्रसारण

राज्य में जारी मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआइआर) को लेकर तृणमूल कांग्रेस और चुनाव आयोग के बीच बढ़ता टकराव अब दिल्ली तक पहुंच गया है. तृणमूल के राष्ट्रीय महासचिव अभिषेक बनर्जी ने सोमवार को घोषणा की थी कि एसआइआर के खिलाफ आंदोलन अब बंगाल से निकलकर दिल्ली की सड़कों तक जायेगा.

कोलकाता.

राज्य में जारी मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआइआर) को लेकर तृणमूल कांग्रेस और चुनाव आयोग के बीच बढ़ता टकराव अब दिल्ली तक पहुंच गया है. तृणमूल के राष्ट्रीय महासचिव अभिषेक बनर्जी ने सोमवार को घोषणा की थी कि एसआइआर के खिलाफ आंदोलन अब बंगाल से निकलकर दिल्ली की सड़कों तक जायेगा. इसी क्रम में तृणमूल सांसदों ने मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार से समय मांगा था और 10 सांसदों का एक प्रतिनिधिमंडल दिल्ली भेजा गया है. हालांकि आयोग ने स्पष्ट किया कि 28 नवंबर को सुबह 11 बजे सिर्फ पांच सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल ही उससे मुलाकात करेगा और इन पांचों के नाम पहले से भेजने होंगे. आयोग द्वारा केवल पांच सांसदों को अनुमति देने के फैसले के बाद अभिषेक बनर्जी ने चुनाव आयोग को खुली चुनौती देते हुए कहा कि यदि आयोग वास्तव में पारदर्शी है, तो तृणमूल सांसदों के साथ होने वाली बैठक का लाइव टेलीकास्ट कराया जाये. उन्होंने सोशल मीडिया पर लिखा, “तृणमूल सांसद जनता द्वारा चुने गये प्रतिनिधि हैं, जबकि मुख्य चुनाव आयुक्त सरकार द्वारा नियुक्त अधिकारी. बैठक के चुनिंदा अंश लीक कर पारदर्शिता का नाटक किया जाता है. यदि आयोग सचमुच पारदर्शी है, तो 10 सांसदों से डर कैसा? खुले दरवाजे में बैठक करें, हम केवल पांच सीधे सवाल पूछेंगे. लाइव प्रसारण में उनके जवाब दें.”

इसी विवाद के बीच मंगलवार को तृणमूल सांसद डेरेक ओ’ब्रायन ने चुनाव आयोग को एक और पत्र भेजकर 10 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल का पूरा विवरण साझा किया है और आयोग से अपने निर्णय पर पुनर्विचार की अपील की है. पत्र में शामिल 10 सांसदों के नाम हैं- डेरेक ओ’ब्रायन, कल्याण बनर्जी, प्रतिमा मंडल, शताब्दी राय, डोला सेन, महुआ मोइत्रा, प्रकाश चिक बराइक, सजदा अहमद, ममता बाला ठाकुर और साकेत गोखले.

तृणमूल का आरोप है कि चुनाव आयोग एसआइआर प्रक्रिया में पक्षपाती और अपारदर्शी तरीके से काम कर रहा है. पार्टी का कहना है कि बंगाल में एसआइआर को लेकर शिकायतें लगातार बढ़ रही हैं और आयोग राजनीतिक दबाव में है. अभिषेक बनर्जी के बयान के बाद यह विवाद और गंभीर हो गया है. अब 28 नवंबर को होने वाली बैठक पर राजनीतिक हलकों की निगाहें टिकी हैं.

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