कोलकाता.
भारतीय निर्वाचन आयोग के उप मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश भारती समेत अन्य अधिकारियों ने बुधवार को महानगर में राज्य के विभिन्न जिलों के जिलाधिकारियों के साथ बैठक की. इस बैठक के दौरान राज्य के प्रशासनिक अधिकारियों ने चुनाव आयोग के अधिकारियों से पूछा कि क्या एसआइआर के मामले में आधार कार्ड को नागरिकता प्रमाण पत्र माना जा सकता है? इसके जवाब ने आयाेग के वरिष्ठ अधिकारी ने स्पष्ट कहा कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार, आधार कार्ड केवल एक पहचान पत्र है. यह पते या नागरिकता का प्रमाण नहीं है. आधार को सिर्फ एक पहचान पत्र माना जायेगा. चुनाव आयोग इसे ज्यादा महत्व नहीं देगा. गौरतलब है कि बिहार में एसआइआर लागू होने के बाद भी यही मुद्दा उठाया गया था. इसे लेकर सुप्रीम कोर्ट में अभी भी मामला चल रहा है. नागरिकता प्रमाण पत्र के तौर पर एसआइआर की सूची में 11 दस्तावेज हैं. हाल ही में, सुप्रीम कोर्ट ने नागरिकता के दस्तावेजों की सूची में आधार कार्ड को 12वें नंबर पर शामिल करने का भी आदेश दिया है. लेकिन वह आदेश बिहार के एक विशेष मामले के संदर्भ में दिया गया था. इस मामले में, चुनाव आयोग ने स्पष्ट कर दिया है कि बंगाल में आधार कार्ड को नागरिकता प्रमाण पत्र नहीं माना जायेगा. सूत्रों के अनुसार, ऐसे में सवाल उठता है कि अगर उन लोगों के नाम जिनके माता-पिता का नाम 2002 की मतदाता सूची में नहीं है, तो क्या होगा? आयोग का स्पष्ट निर्देश है कि उनके लिए जांच या सुनवाई जरूर की जाये. आयोग की आइटी शाखा की महानिदेशक सीमा खन्ना ने बैठक में कहा कि बीएलओ के पास बहुत शक्ति होती है. आपको पूरी ईमानदारी से काम करना होगा. उन्होंने फ़ोन पर बीएलओ ऐप इस्तेमाल करने का सुझाव दिया. उन्होंने आने वाले नये मॉड्यूल का इस्तेमाल करने का सुझाव दिया. उन्होंने यह भी कहा कि किसी भी प्रकार की समस्या होने पर आयोग द्वारा दिये गये नंबर पर सीधे कॉल करके समस्या बतायी जा सकती है. इसका तुरंत समाधान किया जायेगा. उन्होंने बीएलओ अधिकारियों को हर हाल में पारदर्शी तरीके से काम करने का संदेश दिया.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

