कोलकाता
. सुप्रीम कोर्ट ने हाल में संशोधित वक्फ कानून को लेकर विरोध-प्रदर्शनों के बाद राज्य के मुर्शिदाबाद में हुई हिंसा की जांच के लिए शीर्ष अदालत के एक सेवानिवृत्त न्यायाधीश के नेतृत्व में विशेष जांच दल (एसआइटी) से जांच कराने का अनुरोध करने वाली याचिका पर सुनवाई से मंगलवार को इनकार कर दिया. हालांकि, न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति एन कोटिश्वर सिंह की पीठ ने याचिकाकर्ता सतीश कुमार अग्रवाल को राहत पाने के लिए उच्च न्यायालय का रुख करने की छूट दी और कहा कि वह ऑनलाइन माध्यम से याचिका दायर कर सकते हैं. न्यायमूर्ति सूर्यकांत ने याचिकाकार्ता की ओर से अदालत में पेश हुए अधिवक्ता बरुण कुमार सिन्हा से कहा कि जब तक दो या इससे अधिक राज्य शामिल नहीं हैं, शीर्ष अदालत संविधान के अनुच्छेद 32 के तहत दायर याचिका पर विचार करने को इच्छुक नहीं है.पीठ ने उच्च न्यायालय का रुख नहीं करने और सीधे शीर्ष अदालत आने को लेकर याचिकाकर्ता से सवाल किया.
न्यायाधीश ने कहा : सीधे उच्चतम न्यायालय में याचिकाएं दायर करने के इस चलन को अनुमति नहीं दी जा सकती. यह उच्च न्यायालयों की गरिमा को ठेस पहुंचाने जैसा है. जब तक दो या इससे अधिक राज्य शामिल नहीं हैं, हम अनुच्छेद 32 के तहत याचिकाओं पर विचार करने के इच्छुक नहीं हैं.सिन्हा ने दावा किया कि राज्य में हुई हिंसा के मद्देनजर अगर याचिकाकर्ता उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाते हैं, तो उनकी जान को खतरा हो सकता है.
उन्होंने कहा कि राज्य में हुई हिंसा की अन्य घटनाओं को लेकर मुकदमे दायर करने वाले वकीलों पर पुलिस ने झूठे मामले दर्ज किये हैं.पीठ ने कहा कि अगर याचिकाकर्ता को अपनी जान का खतरा है, तो वह उच्च न्यायालय में ऑनलाइन माध्यम से याचिका दायर कर सकते हैं और उच्च न्यायालय के रजिस्ट्रार जनरल को प्रक्रिया को सुगम बनाने का निर्देश दिया.
अग्रवाल ने अपनी याचिका में पुलिस और प्रशासन के ‘पक्षपातपूर्ण रवैये’ से पीड़ित होने का दावा किया, स्थानीय अधिकारियों पर ‘भयावह घटनाओं के असली गुनहगारों को बचाने’ का आरोप लगाया है. जनहित याचिका में कहा गया है : पश्चिम बंगाल में कानून का शासन लागू करने और हिंदू समुदाय के सदस्यों के बीच कानून के शासन के प्रति विश्वास पैदा करने के लिए, घटना को अंजाम देने वालों की पहचान समय की मांग है.याचिका में हिंदू समुदाय को निशाना बनाने का आरोप
याचिका में कहा गया है कि वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 के पारित होने के बाद हिंसा भड़क उठी और पश्चिम बंगाल में कानून व्यवस्था पूरी तरह से चरमरा गयी, जिसमें विशेष रूप से हिंदू समुदाय के सदस्यों के खिलाफ हमले, आगजनी और सांप्रदायिक रूप से निशाना बनाने की कई घटनाएं हुईं. याचिकाकर्ता ने पीठ से आग्रह किया था कि मुर्शिदाबाद जिले में आठ अप्रैल से 12 अप्रैल के बीच हुई हिंसा की जांच के लिए शीर्ष अदालत के सेवानिवृत्त न्यायाधीश की अध्यक्षता में एक विशेष जांच दल (एसआइटी) का गठन किया जाये या सीबीआइ जांच का निर्देश दिया जाये.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है