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नदी कटाव से कोलकाता को खतरा, गंगा घाटों पर लगाये गये मैंग्रोव

कोलकाता नगर निगम ने नदी के कटाव से बचाव और स्थायी समाधान के लिए शहर में गंगा नदी के किनारे मैंग्रोव के पौधे लगाना शुरू कर दिया है.

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कोलकाता. पश्चिम बंगाल में बाढ़ और नदी का कटाव एक गंभीर समस्या है. आधिकारिक रिपोर्टों के अनुसार, राज्य में हर साल औसतन आठ किलोमीटर जमीन नदी में समा जाती है. पिछले कुछ सालों में गंगा के किनारे कटाव की समस्या बढ़ी है, जिसका असर नदिया, मालदा और मुर्शिदाबाद जिलों में दिख रहा है. अब राजधानी कोलकाता, हावड़ा और उत्तर 24 परगना जिले के लिए भी यह समस्या गंभीर होती जा रही है. कोलकाता नगर निगम ने नदी के कटाव से बचाव और स्थायी समाधान के लिए शहर में गंगा नदी के किनारे मैंग्रोव के पौधे लगाना शुरू कर दिया है. हालांकि कोलकाता में गंगा के कटाव की समस्या अभी नियंत्रण में है, लेकिन इससे इनकार नहीं किया जा सकता कि यह कई इलाकों को प्रभावित कर रहा है. हाल ही में, उत्तर कोलकाता में नीमतला घाट के पास गंगा के किनारों पर कटाव देखा गया है. इसके अलावा हावड़ा के बिचाली घाट से लेकर कोलकाता के रतन बाबू घाट तक लगभग 16.5 किलोमीटर लंबा नदी का किनारा रखरखाव की कमी और कटाव के कारण प्रभावित है. विचार-विमर्श के बाद निगम ने आखिरकार कटाव को रोकने के लिए मैंग्रोव लगाने का फैसला किया और इस पर काम शुरू कर दिया है. निगम के एक वनस्पतिशास्त्री ने बताया कि कोलकाता और हावड़ा में नदी के किनारे का कुछ हिस्सा श्यामा प्रसाद मुखर्जी पोर्ट ट्रस्ट और कुछ सेना के अधीन है. अगर नदी के किनारों को नुकसान पहुंचता है, तो आस-पास के इलाकों के निवासियों पर इसका असर पड़ेगा. इसीलिए निगम ने मैंग्रोव लगाने की ठोस योजना बनायी है. नारियल के पौधे भी लगाये गये निगम से मिली जानकारी के अनुसार, मिट्टी के कटाव को रोकने के लिए गंगा घाटों पर गोवर्धन प्रजाति के नारियल के 70 पौधे भी लगाये गये हैं. ये पौधे छोटे होते हैं और इनमें अधिक फल लगते हैं. गंगा घाटों के सौंदर्यीकरण के लिए भी नारियल के पौधे लगाये गये हैं. इन जगहों पर लगाये गये मैंग्रोव के पौधे निगम के वनस्पतिशास्त्री ने बताया कि शहर में प्रिंसेप घाट से सेकेंड हुगली ब्रिज तक करीब 750 मैंग्रोव के पौधे इसी साल मार्च में लगाये गये हैं. ये पौधे स्वस्थ हैं और गर्मी में भी सूखे नहीं हैं. विश्व पर्यावरण दिवस (पांच जून) के बाद शहर और हावड़ा के गंगा घाटों पर कुछ और मैंग्रोव के पौधे लगाये जायेंगे. फिलहाल काकड़ा, बाइन और सुंदरी प्रजाति के मैंग्रोव लगाये गये हैं. कोलकाता में पिछले कुछ सालों में आंधी-तूफान भी काफी आ रहे हैं. ऐसे में मैंग्रोव न केवल मिट्टी के कटाव को रोकेंगे, बल्कि ये आंधी-तूफान से भी कोलकाता की रक्षा करेंगे.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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