एक मामले की सुनवाई में अदालत ने की टिप्पणी
कोलकाता. कलकत्ता हाइकोर्ट के न्यायाधीश सुजय पाल व न्यायाधीश स्मिता दास डे की खंडपीठ ने मंगलवार को मामले की सुनवाई के दौरान कहा कि जनहित याचिकाओं के दुरुपयोग को रोकना आवश्यक है. एक मामले का उदाहरण देते हुए, न्यायमूर्ति सुजय पाल ने कहा कि जनहित याचिकाएं दायर करने का प्रावधान मुख्य रूप से गरीबों और वंचितों की मदद के लिए बनाया गया था. लेकिन अगर इसका इस्तेमाल राजनीतिक उद्देश्यों के लिए किया जाता है, तो इससे जनहित याचिकाओं का उद्देश्य ही समाप्त हो जायेगा. गौरतलब है कि मंगलवार को मतुआ समुदाय द्वारा जाति प्रमाण पत्र को लेकर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई हुई. हाइकोर्ट के न्यायमूर्ति सुजय पाल और न्यायमूर्ति स्मिता दास डे की खंडपीठ ने मामले की सुनवाई के दौरान यह टिप्पणी की. अदालत ने मामले को भी खारिज कर दिया. खंडपीठ ने कहा कि जनहित याचिकाओं का इस्तेमाल राजनीतिक उद्देश्यों के लिए नहीं किया जा सकता. कुछ याचिकाकर्ता राजनीतिक दलों से जुड़े हुए हैं. नतीजतन, मामले की स्वीकार्यता पर भी सवाल उठ रहे हैं. यह कहते हुए खंडपीठ ने आवेदन खारिज कर दिया. खंडपीठ ने कहा कि इस संबंध में विशिष्ट कानून के अनुसार कार्रवाई की जायेगी. अखिल भारतीय मतुआ महासंघ ने उच्च न्यायालय में एक जनहित याचिका दायर कर आरोप लगाया कि पिछले 15 वर्षों से कई लोगों को अवैध रूप से फर्जी अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति प्रमाण पत्र जारी किये गये हैं. उनका कहना है कि दूसरे समुदायों को भी एससी-एसटी के फर्जी प्रमाण पत्र दिये जा रहे हैं. उन सभी फर्जी प्रमाण पत्रों को रद्द किया जाना चाहिए और इस मामले की सीबीआइ जांच होनी चाहिए.
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