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नदिया के कुछ हिस्सों में 18 अगस्त को मना स्वतंत्रता दिवस

नदिया जिले के कुछ हिस्सों में 15 अगस्त नहीं, बल्कि 18 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस मनाया जाता है. इसके पीछे एक लंबा इतिहास है.

प्रतिनिधि, कल्याणी.

नदिया जिले के कुछ हिस्सों में 15 अगस्त नहीं, बल्कि 18 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस मनाया जाता है. इसके पीछे एक लंबा इतिहास है. 15 अगस्त 1947 को पूरे देश में आजादी की तैयारियां चल रही थीं. तभी एक घोषणा ने नदिया के लोगों की खुशी को गम में बदल दिया था. बाद में यानी 18 अगस्त को पुन: नदिया के एक बड़े हिस्से को भारत में शामिल कर लिया गया. इस वजह से यहां हर साल 18 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस मनाया जाता है.

रेडक्लिफ की गलती और नदिया की अनिश्चितता : आकाशवाणी से घोषणा हुई कि नदिया ज़िले का बड़ा हिस्सा स्वतंत्र भारत में शामिल नहीं होगा और इसे पूर्वी पाकिस्तान का हिस्सा घोषित कर दिया गया है. आजादी की खुशी अचानक मातम में बदल गयी. नदिया के कुछ हिस्सों में विरोध प्रदर्शन शुरू हो गये. 30 जून 1947 को भारत के गवर्नर जनरल रेडक्लिफ की अध्यक्षता में एक पांच सदस्यीय ‘सीमा आयोग’ का गठन किया गया. 30 जून से 14 अगस्त तक आयोग ने गवाही लेने सहित कई प्रक्रियाओं से रिपोर्ट तैयार की. 12 अगस्त 1947 को रेडक्लिफ की देखरेख में नया नक्शा तैयार हुआ. नक्शा बनाते समय गलती से कृष्णनगर, शिवनिवास और राणाघाट को तत्कालीन पूर्वी पाकिस्तान में शामिल कर लिया गया.

रानी ज्योतिर्मयी देवी की भूमिका

जैसे ही यह खबर रेडियो पर प्रसारित हुई, नदिया जिला के लोगों ने विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया. कृष्णनगर राजबाड़ी की रानी ज्योतिर्मयी देवी सक्रिय हो गयीं. चारों ओर अफरा-तफरी मच गयी. सौरिशचंद्र ने अंग्रेजों से नदिया जिले की सुरक्षा की गुहार लगायी. फोर्ट विलियम से रातोंरात सेना तैनात कर दी गयी. अंततः नक्शा बदल दिया गया और रेडक्लिफ रेखा को स्थगित कर दिया गया. पूरा नदिया जिला भारत में शामिल कर लिया गया. दो दिन घोर अनिश्चितता में बिताने के बाद नये दिशानिर्देश जारी हुए और नदिया जिला के लोगों ने राहत की सांस ली. भारत की आजादी के 72 घंटे बाद, 18 अगस्त को नदिया जिला में भारत का राष्ट्रीय ध्वज फहराया गया.

आज भी जारी है परंपरा : नदिया जिले के वे हिस्से, जो मूल रूप से पूर्वी पाकिस्तान के हिस्सा थे, 18 अगस्त को ही अपना स्वतंत्रता दिवस मानते हैं. अतीत को याद करते हुए आजादी के 79 साल बाद भी शिवनिवास, राणाघाट और शांतिपुर में भारत में विलय दिवस मनाया गया. सोमवार को शांतिपुर व शिवनिवास में राष्ट्रीय ध्वज फहराया गया, गंगा में नौका दौड़ प्रतियोगिता और सांस्कृतिक कार्यक्रमों का भी आयोजन किया गया. नदिया जिले के माजदिया इलाके के 102 वर्षीय प्रभात मंडल की स्मृति में चिंता के वे तीन दिन आज भी ताजा हैं. उन्होंने कहा कि रेडियो पर घोषणा सुनकर हम सब कृष्णानगर की ओर भागने की तैयारी कर रहे थे. तभी अचानक राजमहल से खबर आयी कि माजदिया भारत में ही रहेगा. अगले दिन भारत में हमारे विलय की आधिकारिक घोषणा हो गयी.

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