फूड प्रोसेसिंग, पोषण और जागरूकता पर विशेषज्ञों ने साझा की ज्ञानवर्धक जानकारी
संवाददाता, कोलकाता.
विश्व खाद्य दिवस 2025 के अवसर पर इंड फूड एंड बेवरेज एसोसिएशन (आइएफबीए) ने विशेष सेमिनार का आयोजन किया, जो विभिन्न क्षेत्रों के सहयोग की एक सशक्त मिसाल पेश करता है. यह कार्यक्रम नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ फूड टेक्नोलॉजी, एंटरप्रेन्योरशिप एंड मैनेजमेंट (एनआइएफटीइएम) और इंस्टीट्यूट ऑफ होटल मैनेजमेंट, कैटरिंग एंड न्यूट्रीशन (आइएचएम-दिल्ली) के सहयोग से आयोजित हुआ. इस मौके पर केंद्रीय खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय के सचिव अविनाश जोशी ने कहा कि आज की तेज रफ्तार दुनिया में प्रोसेस्ड फूड्स जैसे रेडी-टू-ईट मील्स, फ्रोजन स्नैक्स और कैन्ड फूड्स अभूतपूर्व सुविधा प्रदान करते हैं, जिससे लोग समय और पोषण दोनों का प्रबंधन कर पाते हैं. हालांकि, इस क्षेत्र के महत्व के बावजूद लोगों की धारणा अक्सर गलत सूचनाओं और मीडिया-प्रेरित मिथकों से प्रभावित होती है.
अविनाश जोशी ने बताया कि इसे दूर करने के लिए मंत्रालय ने प्रोसेस्ड फूड्स पर अक्सर पूछे जाने वाले सवालों का एक प्रकाशन जारी किया है, जिसमें अल्ट्रा प्रोसेस्ड फूड्स (यूपीएफ) और हाई फैट, साल्ट और शुगर (एचएफएसएस) पर विशेष ध्यान दिया गया है. इसका उद्देश्य वैज्ञानिक और प्रमाण आधारित जानकारी साझा करना है. इस अवसर पर एफएसएसएआइ के कार्यकारी निदेशक (नियामक अनुपालन) सत्यन कुमार पांडा ने कहा कि खाद्य सुरक्षा सिर्फ नियमों की बात नहीं है, बल्कि जनजागरूकता की भी जिम्मेदारी है. उन्होंने कहा, ‘‘हम ऐसे प्रयासों का स्वागत करते हैं जो वैज्ञानिक संवाद के माध्यम से भ्रांतियों को दूर करें और जिम्मेदार खाद्य विकल्पों को बढ़ावा दें. शिक्षा, उद्योग और सरकार के बीच सहयोग ही खाद्य सुरक्षा और पोषण की विश्वसनीयता बनाये रखने की कुंजी है.’’
डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

