माता-पिता को विवाद सुलझाने का दिया परामर्श
कोलकाता. कलकत्ता हाइकोर्ट ने कनाडा में रहने वाली एक बच्ची के भविष्य को लेकर गहरी चिंता जतायी है. मंगलवार को जस्टिस देबांग्शु बसाक और जस्टिस मोहम्मद शब्बार रशीदी की बेंच ने माता-पिता के झगड़े को आपसी बातचीत से सुलझाने का मौखिक आदेश दिया और समस्या समाधान के लिए कई प्रस्ताव रखे. जस्टिस बसाक ने कहा, “हमें माता-पिता के झगड़े में कोई दिलचस्पी नहीं है, हमारी चिंता केवल बच्चे के भविष्य की है. माता-पिता के झगड़े की वजह से उसका भविष्य बर्बाद नहीं होना चाहिए. ” कोर्ट के सूत्रों के अनुसार, 2020 में कनाडा में जन्मी बच्ची को स्वाभाविक रूप से कनाडाई नागरिकता मिली. 2024 में उसका एडमिशन वहां के एक प्रतिष्ठित स्कूल में हुआ. इस बीच, माता-पिता के रिश्ते बिगड़ने लगे. जनवरी में बच्ची की मां कनाडा से कोलकाता आ गयी, जबकि पिता की कनाडा नागरिकता बनी रही. मां ने कनाडा की कोर्ट में तलाक का केस फाइल किया, जबकि पिता ने पहले ही बच्ची की कस्टडी के लिए केस दायर किया था.
कनाडा कोर्ट ने मां को एक सितंबर तक बच्ची के साथ कनाडा लौटने का आदेश दिया था, लेकिन आदेश का पालन नहीं हुआ. बच्ची का पासपोर्ट 31 दिसंबर को समाप्त होने वाला है, जिससे उसे कनाडा की सुविधाएं नहीं मिल पायेंगी. इन परिस्थितियों में पिता ने कलकत्ता हाइकोर्ट में हेबियस कॉर्पस केस दायर कर अपनी बेटी की कस्टडी मांगी. सुनवाई के दौरान, जजों ने पत्नी को कोर्ट में बुलाकर अकेले में बातचीत की और पिता को कोर्ट से उसे बुलाने का आदेश दिया. पति को पत्नी और बच्ची के कनाडा में अलग रहने का इंतजाम करना होगा. पति-पत्नी की अनुमति के बिना घर में नहीं आ सकेगा, लेकिन कुछ समय के लिए अपनी बेटी से मिल सकेगा. कनाडा में रहने के लिए प्रॉपर्टी खरीदनी होगी, जिसकी इएमआइ पति देगा. दोनों पार्टियों को प्रतिदिन तय समय पर फोन या वीडियो कॉल से संवाद करना होगा, जिसमें पिता अपनी बच्ची से भी बात कर सकेगा.
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