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बोल्ला रक्षा काली मंदिर में सामूहिक पशु बलि पर हाइकोर्ट ने लगायी रोक

सार्वजनिक रूप से नहीं की जा सकेगी बलि

सार्वजनिक रूप से नहीं की जा सकेगी बलि

सिर्फ दो पशुओं की ही बलि होनी चाहिए

कोलकाता. कलकत्ता हाइकोर्ट ने बुधवार को बोल्ला रक्षा काली मंदिर में सामूहिक पशु बलि पर प्रतिबंध लगाने की मांग वाली एक जनहित याचिका (पीआइएल) पर सुनवाई की, जिस पर कोर्ट ने राज्य सरकार को यह सुनिश्चित करने के लिए निर्देश दिया कि मंदिर में सामूहिक पशु बलि को बढ़ावा न दिया जाये. सुनवाई के दौरान कोर्ट को बताया गया कि मंदिर की पूजा समिति ने सामूहिक पशु बलि की प्राचीन प्रथा को रोकने का निर्णय पहले ही ले लिया है. समिति ने कहा था कि इसकी जगह बकरों की बलि केवल मंदिर में निर्दिष्ट क्षेत्र में दी जायेगी, जिसके लिए पहले ही लाइसेंस प्राप्त किया जा चुका है. न्यायालय ने अपनी टिप्पणी में कहा कि समिति के सदस्य बिना किसी विचलन के इस निर्णय का पालन करने के लिए बाध्य हैं और यदि वे इसका उल्लंघन करते हैं तो उन पर मुकदमा चलाया जा सकता है. साथ ही कोर्ट ने कहा कि राज्य के अधिकारी यह भी सुनिश्चित करेंगे कि पूजा समिति सामूहिक बलि को प्रोत्साहित न करे और लोगों को इस तरह की सामूहिक बलि से दूर रहने के लिए मनाये. उन्होंने कहा कि पूजा के दौरान सिर्फ दो पशुओं की ही बलि दी जा सकेगी, इससे अधिक पशुओं की बलि नहीं दी जा सकती. याचिकाकर्ता के वकील ने पहले न्यायालय को बताया था कि रास पूर्णिमा उत्सव के बाद बोल्ला रक्षा काली मंदिर में 10,000 से अधिक पशुओं, मुख्य रूप से बकरियों की बलि दी जाती है.

इसलिए संगठन ने इस पर रोक लगाने की मांग करते हुए याचिका दायर की थी, जिस पर सुनवाई करते हुए हाइकोर्ट ने यह आदेश दिया.

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