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जेयू में हिजाब से जुड़े विवाद पर राज्य सरकार ने अपनाया कड़ा रुख : ब्रात्य

समिति को 30 दिनों में अपना जांच निष्कर्ष सौंपने को कहा गया है.

कोलकाता. राज्य के शिक्षा मंत्री ब्रात्य बसु ने मंगलवार को कहा कि राज्य सरकार ने जादवपुर विश्वविद्यालय (जेयू) में हिजाब से संबंधित विवाद पर कड़ा रुख अपनाया है. मंत्री ने तीसरे वर्ष की अंग्रेजी सेमेस्टर परीक्षा के दौरान हिजाब पहनी एक छात्रा से जुड़ी घटना की जांच के लिए विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ चिरंजीव भट्टाचार्य द्वारा तीन सदस्यीय तथ्यान्वेषण समिति गठित किये जाने के एक दिन यह टिप्पणी की है. इस समिति में बर्दवान यूनिवर्सिटी के इतिहास के प्रोफेसर सैयद तनवीर नसरीन, जेयू विश्वविद्यालय के पुस्तकालय व सूचना विज्ञान विभाग के संकाय सदस्य और अनुसूचित जाति-जनजाति (एससी-एसटी) प्रकोष्ठ के संपर्क अधिकारी सुबर्ण कुमार दास और पद्मश्री से सम्मानित काजी मासूम अख्तर शामिल हैं. श्री अख्तर विश्वविद्यालय की कार्यकारी परिषद में कुलाधिपति द्वारा नामित हैं. समिति को 30 दिनों में अपना जांच निष्कर्ष सौंपने को कहा गया है. कला संकाय की एसएफआइ इकाई के सदस्यों ने बताया कि 17 दिसंबर को अंग्रेजी सेमेस्टर की परीक्षा के दौरान एक निरीक्षक ने कथित तौर पर हिजाब पहनी हुई तृतीय वर्ष की स्नातक छात्रा से अपनी एक सहपाठी का हिजाब आंशिक रूप से हटाने में मदद करने के लिए कहा, ताकि यह जांचा जा सके कि वह वायरलेस हेडफोन का उपयोग कर रही है या नहीं.

जांच में कथित तौर पर कुछ भी संदिग्ध नहीं मिला. इस विवाद पर अपनी पहली प्रतिक्रिया में मंत्री ने कहा कि हमने कथित घटना के संबंध में कड़ा रुख अपनाया है. इस तरह के कृत्य (हिजाब हटाना) को बर्दाश्त नहीं किया जा सकता और जल्द से जल्द आवश्यक कार्रवाई की जानी चाहिए, ताकि बंगाल में ऐसी घटनाएं दोबारा न हों. हम अल्पसंख्यक आयोग से इस घटना के संबंध में निष्कर्षों का इंतजार करेंगे, उसके बाद ही कोई जवाब देंगे. अंग्रेजी विभाग के वरिष्ठ अध्यापकों द्वारा इन आरोपों का खंडन किये जाने के बारे में पूछे जाने पर श्री बसु ने कहा कि यह उनका पक्ष है. हम सभी तथ्यों की पुष्टि और जांच करने के बाद ही कुछ कह सकते हैं. उन्होंने कहा कि कुलपति के निर्देशानुसार एक तथ्यान्वेषी समिति का गठन किया गया है. उप रजिस्ट्रार (अतिरिक्त) उज्ज्वल कुमार मंडल को इस मामले में प्रस्तुतकर्ता अधिकारी नियुक्त किया गया है. हालांकि, संकाय के एक वर्ग ने इन आरोपों का खंडन किया है. एक अध्यापक ने कहा कि हम इस्लाम विरोधी आरोपों का खंडन करते हैं. परीक्षा के दौरान कई विद्यार्थियों को नकल करने की कोशिश करते हुए पकड़ा गया, जिसके बाद निगरानी बढ़ा दी गयी. अगर किसी का भी व्यवहार संदिग्ध लगा, तो दोबारा जांच की गयी. पिछले हफ्ते कम से कम चार परीक्षार्थी हेडफोन का इस्तेमाल करते हुए पकड़े गये, जिनमें से कोई भी अल्पसंख्यक समुदाय से नहीं था. उन्होंने कहा कि जेयू पर इस्लाम विरोधी जैसे आरोप लगने की संभावना सबसे कम होती है. अगर अध्यापकों को इस तरह निशाना बनाया जायेगा, तो उनके लिए अपने कर्तव्यों का पालन करना असंभव हो जायेगा. बसु ने कहा कि हमने कथित घटना के बारे में कड़ा रुख अपनाया है. कमेटी शीघ्र निष्कर्ष कर रिपोर्ट देगी.

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