संवाददाता, कोलकाता.
हावड़ा जिले के उलबेड़िया मेडिकल कॉलेज में महिला चिकित्सक के साथ उत्पीड़न व मारपीट की घटना की चिकित्सकों के विभिन्न संगठनों ने निंदा की है. घटना जिले के शरत चंद्र चट्टोपाध्याय गवर्नमेंट मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल की है. यहां प्रसूती विभाग की एक सीनियर रेसिडेंट महिला डॉक्टर के साथ गाली-गलौज और मारपीट गयी. साथ ही उसे जान से मारने की धमकी दी गयी है. उलबेड़िया के सरकारी मेडिकल कॉलेज में ड्यूटी पर तैनात एक महिला जूनियर डॉक्टर के उत्पीड़न के विरोध में और सरकारी स्वास्थ्य केंद्र के समग्र बुनियादी ढांचे में सुधार की मांग करते हुए मेडिकल सर्विस सेंटर की ओर से पश्चिम बंगाल राज्य समिति के सचिव डॉ बिप्लब चंद्रा ने बयान जारी किया. अपने बयान में उन्होंने कहा : मैं उलबेड़िया मेडिकल कॉलेज में ड्यूटी पर तैनात एक महिला जूनियर डॉक्टर के उत्पीड़न की कड़ी निंदा करता हूं. उत्पीड़न करने वालों में एक पुलिसकर्मी का नाम भी सामने आया है, जो अत्यंत निंदनीय है.
इसके साथ ही डॉक्टर, नर्स और स्वास्थ्यकर्मी बार-बार कार्यस्थल पर असुरक्षा और अस्पतालों में बुनियादी ढांचे की भारी कमी के शिकार हो रहे हैं. सरकारी अस्पतालों में पर्याप्त बुनियादी ढांचे का अभाव है, लेकिन एसएसकेएम अस्पताल में वुडबर्न 2 को करोड़ों रुपये की लागत से तैयार किया गया है. जिससे सरकारी स्वास्थ्य व्यवस्था जरूरतमंद लोगों से से छीन ली जा रही है. उन्होंने आरजी कर कांड का जिक्र करते हुए कहा कि दोषियों को सजा नहीं मिल रही है. न्याय के अभाव में अपराधियों को बार-बार अपराध करने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है. हम उलबेड़िया मेडिकल कॉलेज के सभी दोषियों को तत्काल सजा देने और सरकारी स्वास्थ्य क्षेत्र के बुनियादी ढांचे में आमूल-चूल सुधार की मांग करते हैं.
उधर, सर्विस डॉक्टर फोरम की ओर से भी इस घटना की निंदा की गयी है. संगठन की ओर से महासचिव डॉ सजल विश्वास ने एक प्रेस रिलीज जारी कर बताया है कि सोमवार को उलबेड़िया मेडिकल कॉलेज अस्पताल में ड्यूटी के दौरान एक जूनियर महिला डॉक्टर के साथ मरीज के परिजनों ने मारपीट की. उनके साथ कथित तौर पर अभद्र व्यवहार किया गया. मरीज के परिजनों ने खुद को पुलिस अधिकारी बताकर इस बर्बर हमले को अंजाम दिया. हम सेवारत चिकित्सक मंच की ओर से इस घटना की कड़ी निंदा करते हैं और इसका विरोध करते हैं. हम मांग करते हैं कि इस घटना की उच्चस्तरीय जांच हो और दोषियों को कड़ी सजा दी जाये. वहीं, वेस्ट बंगाल डॉक्टर्स फोरम की ओर से भी इस घटना की निंदा की गयी है. संगठन की ओर से राज्य सरकार की भी आलोचना की गयी है.
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