पीड़ित ग्राहकों ने जादवपुर थाने में दर्ज करायी शिकायत आरोपी के कब्जे से पोस्ट ऑफिस की नकली मुहर और फर्जी पासबुक जब्त कोलकाता. मेहनत की कमाई को पोस्टऑफिस की विभिन्न बचत योजनाओं में जमा किये गये रुपये की हेराफेरी करने का चौंकाने वाला मामला सामने आया है. घटना रिजेंट एस्टेट पोस्ट ऑफिस की है. जादवपुर और बाघाजतिन क्षेत्र के कई निवेशको के ठगे जाने की शिकायत जादवपुर थाने में दर्ज करायी गयी है. लिखित शिकायत में हेराफेरी की राशि तीन करोड़ रुपये बतायी गयी है. पुलिस ने मामले में अभियुक्त एजेंट सिद्धार्थ कांजीलाल को गिरफ्तार किया है. आरोप है कि आरोपी ने 20 से 25 लोगों को पोस्ट ऑफिस की नकली पासबुक सौंपी थी. क्या है मामला: पुलिस सूत्र बताते हैं कि गिरफ्तार एजेंट सिद्धार्थ कांजीलाल के पिता रिजेंट एस्टेट पोस्ट ऑफिस में एजेंट थे. जादवपुर, बाघाजतिन और रिजेंट पार्क इलाके के सैकड़ों लोग उनके जरिये एमआइएस, एफडी और रेकरिंग डिपॉजिट जैसी योजनाओं में निवेश करते थे. ग्राहकों की पासबुक उनके पास ही रहती थी. पिता की मृत्यु के बाद सिद्धार्थ ने यह सारा डाटा अपने कब्जे में ले लिया. हालांकि उसके पास खुद का एजेंट लाइसेंस नहीं था, फिर भी वह दूसरे एजेंट का लाइसेंस ‘किराये पर’ लेकर ग्राहकों से मासिक किस्तें वसूलता था. वह फर्जी मुहर लगाकर पासबुक अपडेट करता था और कहता कि पैसा डाकघर में जमा हो गया है. योजनाओं की मेच्योरिटी पर वह जाली सर्टिफिकेट बनाकर दिखाता कि पैसा फिर से निवेश कर दिया गया है. पोस्टमास्टर की भूमिका भी संदेह के घेरे में: जांच में यह भी सामने आया है कि पोस्टमास्टर को इस गड़बड़ी की जानकारी थी, फिर भी उन्होंने न तो ग्राहकों को सतर्क किया और न ही पुलिस को सूचित किया. फिलहाल, पोस्टमास्टर को पूछताछ के लिए तलब किए जाने की तैयारी चल रही है. पुलिस इस पूरे घोटाले में शामिल अन्य आरोपियों तक पहुंचने की कोशिश में जुटी है. ग्राहक जब खुद पोस्ट ऑफिस गये तब हुआ खुलासा हेराफेरी का खुलासा तब हुआ जब कुछ ग्राहकों ने अपनी पासबुक मांगी और रकम की पुष्टि के लिए रिजेंट एस्टेट पोस्ट ऑफिस पहुंचे. वहां अधिकारियों ने बताया कि पिछले तीन वर्षों से कोई रकम पोस्ट ऑफिस के इन खातों में जमा नहीं हुआ है. पासबुक पर लगी मुहर भी फर्जी हैं. इस जानकारी के बाद पीड़ित निवेशकों ने जादवपुर थाने में इसकी शिकायत दर्ज करायी, जिसके बाद पुलिस ने आरोपी एजेंट सिद्धार्थ को गिरफ्तार कर लिया. पुलिस सूत्रों ने बताया कि सिद्धार्थ ने ग्राहकों से मिली रकम अपने ही खाते में जमा की और घर पर बैठकर नकली पासबुक तैयार की.
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