कोलकाता. वस्तु व सेवा कर (जीएसटी) के फर्जी बिल बनाने से जुड़े करोड़ों रुपये के धन शोधन के मामले की जांच के सिलसिले में गुरुवार को प्रवर्तन निदेशालय (इडी) ने पश्चिम बंगाल व झारखंड के नौ स्थानों में ताबड़तोड़ छापेमारी की. राज्य में सॉल्टलेक, न्यूटाउन व दक्षिण कोलकाता स्थित आवासनों में अभियान चलाया गया. इडी अधिकारियों के साथ ही सेंट्रल आर्म्ड फोर्स (सीएपीएफ) के जवान भी साथ थे. छापेमारी में संबंधित लोगों से पूछताछ करने के अलावा अहम दस्तावेज, कंप्यूटर के डाटा, बैंक खातों की जानकारी व डिजिटल उपकरण भी जब्त किये गये हैं. खबर लिखे जाने तक केंद्रीय जांच एजेंसी का अभियान जारी था. जांच के बाबत इडी की ओर से अभियान को लेकर फिलहाल कुछ कहने से इनकार किया गया है. इधर, झारखंड के रांची, जमशेदपुर व अन्य जगहों में भी इडी ने इसी दिन अभियान चलाया. धोखाधड़ी के इस मामले के आरोपियों शिव कुमार देवड़ा, सुमित गुप्ता और अमित गुप्ता पर करीब 14,325 करोड़ रुपये के फर्जी बिल तैयार करने के आरोप हैं, जिसके परिणामस्वरूप 800 करोड़ रुपये से अधिक के गलत आइटीसी (इनपुट टैक्स क्रेडिट) दावे किये गये. इ डी के अधिकारियों का कहना है कि छापेमारी का उद्देश्य धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के प्रावधानों के तहत अपराध की कथित आय से जुड़े दस्तावेज और संपत्ति एकत्र करना है. यह तलाशी कथित जीएसटी धोखाधड़ी से जुड़ी संपत्तियों और दस्तावेजों का पता लगाने के लिए हुई. अधिकारियों को संदेह है कि कर लाभ का अवैध रूप से दावा करने के लिए फर्जी बिक्री रिकॉर्ड का इस्तेमाल किया गया था. गौरतलब है कि पिछले वर्ष मार्च में जीएसटी आइडब्ल्यू के जमशेदपुर क्षेत्रीय इकाई महानिदेशालय ने लगभग 132 करोड़ रुपये के जीएसटी धोखाधड़ी रैकेट का भंडाफोड़ किया और कोलकाता के एक व्यापारी देवड़ा को गिरफ्तार किया था, जिसपर शेल कंपनियों के नाम पर नकली चालान बनाकर करोड़ों रुपये की धोखाधड़ी करने का आरोप है. जांच में रैकेट के पश्चिम बंगाल व झारखंड ही नहीं, बल्कि ओडिशा, छत्तीसगढ़, तेलंगाना, महाराष्ट्र और तमिलनाडु तक फैले होने की बात भी सामने आयी. पिछले वर्ष अप्रैल में अमित गुप्ता और सुमित गुप्ता नामक दो भाइयों को साॅल्टलेक इलाके में उनके आवास से गिरफ्तार किया गया था. दोनों भाइयों पर कोलकाता में शेल कंपनियां खोलकर सरकार को करोड़ों रुपये के राजस्व का नुकसान पहुंचाने का आरोप है. सुमित गुप्ता पर 135 बोगस फर्म चलाने का आरोप है, जिनके जरिये फर्जी बिल बनाये गये. यह पूरा खेल सुनियोजित था, जिसमें बड़े पैमाने पर काले धन को सफेद करने की कोशिश की गयी. जांच एजेंसी को अंदेशा है कि धोखाधड़ी के रुपये रियल एस्टेट व अन्य कारोबार में निवेश किया गया होगा. हालांकि, इसकी जांच जारी है.
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